मृतक का सुसाइड नोट जिसने रांची के सेवासदन अस्पताल के बाहर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली....

From the wall of Sarika Tiwari Anand
https://www.facebook.com/sarika.anand



घटती सहनशीलता, बढ़ती आपराधिक वृत्ति, प्रशासनिक अधिकारियों की नाकामी, रिश्वत खोरी , साथ ही संवेदनहीन और गैरजरूरी बर्ताव की वजह से एक और नवयुवक को जान देने पर विवश होना पड़ा और मृतक के सुसाइड नोट के हिसाब से उनके पिता जी को भी प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किये जाने की संभावना है ...

आखिर कैसे समाज मे जी रहे हैं हम, जहां पीड़ित के साथ ही अपराधियों जैसा सुलूक होता है , और अपराधी पाक साफ करार दिए जाते हैं ?
---------------
मृतक का सुसाइड नोट जिसने रांची के सेवासदन अस्पताल के बाहर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली....

नमस्ते सर/मैम

मेरा नाम शिव सरोज कुमार है और मेरी ऐज 27 वर्ष है,और मैं धनबाद का रहने वाला हूँ । मैं सैटरडे 12 बजे एयर एशिया की फ्लाइट से दिल्ली से रांची आया था अपने पासपोर्ट के कुछ काम के लिए ,मुझे स्टे करना था तो मैंने 'oyo room ' के थ्रू ऑनलाइन होटल बुक किया 'होटल रेडिएंट' स्टेशन रोड ।

करीब 4 बजे के आस पास मैं वहां चेक-इन किया और मुझे रूम नंबर 402 दिया गया रहने के लिए ;और रात के करीब 10 बजे वहां कुछ लोग शराब पी के हल्ला करने लगे सो मैने उन्हें मना किया और उन्होंने मुझे धमकियाँ देना स्टार्ट कर दिया । नेक्स्ट डे मुझे होटल वालों ने रूम चेंज करवा के रूम नंबर 201 दिया । मैं करीब 10:5 pm अपने रूम से डिनर के लिए बाहर गया तभी मोड़ पे एक ब्लैक कलर की कार रुकी और मुझसे avn plaza का एड्रेस पूँछा, मैं बताने के लिए आंगे की तरफ़ बढ़ा फिर किसी ने मेरे मुह पर हॉकी रख कर दिया और मुझे बेहोशी होने लगी । फिर जब मुझे होश आया तो खुद को पीछे की एक डिग्गी में पाया और मेरा एक फोन मेरे जीन्स में था सो मैंने 100 डायल करके इन्फॉर्म किया और अपने जीजा को कॉल करके इन्फॉर्म किया,तभी मेरे हांथ से फोन ले लिया गया । और उसके बाद मैंने खुद को एक तालाब में पाया और जैसे तैसे ऊपर की ओर बढ़ा और कुछ बाइक्स से मदद मांगी ,उसके बाद मुझे ज्यादा अच्छे से याद नहीं कि क्या हुआ क्या नहीं ,फिर खुद को महावीर हॉस्पिटल में पाया ,ये न्यूज़ सभी पेपर में निकली ।
बाद में मेरे पापा धनबाद से आए और मेरा इलाज़ करवाने लगे ।
ये केस रांची "चुटिया" थाने में फ़ाइल हुआ ,और यहाँ से जो हमारे साथ हुआ उसका दर्द बयां नहीं कर सकता । मंडे को दोपहर 2 बजे थाने से डिस्चार्ज लेकर हम अस्पताल से थाने गए,फिर होटल से अपना सामान लेने लेकिन वहां से पता चला कि रूम का सारा सामान सब बिखरा पड़ा था और चुटिया थाने के थाना पर प्रभारी 'अजय वर्मा ' केस हैंडल कर रहे थे । उनसे जब बात स्टार्ट हुई तो ऐसा लगा ही नहीं कि एक थाना प्रभारी से बात हो रही है; माँ-बहन की गालियां ,बार बार मारने की धमकी,जेल भेजने की धमकी ,मुझे और मेरे पापा दोनों को,मुझसे होश में बयान लिए बिना उन्होंने क्या क्या लिख दिया पता ही नहीं चला ।
मेरी कन्डीशन अच्छी नहीं थी और रिपोर्ट में भी लिखा हुआ था कि मुझे रेस्ट चाहिए कुछ दिनों तक, पर थाने में हमारी किसी ने एक नहीं सुनी और 2 बजे तक वहीं बैठाए रखा कि DSP सर केस हैंडल कर रहे हैं ,सो वो आएंगे तो समान मिलेगा आपको । बाद में सिटी dsp सर थाने आये, मुझे लगा कि चलो वो dsp हैं अच्छे से हैंडल कर देंगे सब ,पर उन्होंने जब बोलना स्टार्ट किया तो गालियों से बात स्टार्ट हुई ,माँ-बहन कि गाली ।
मेरे पापा से बस ये गलती हुई थी कि उन्होंने जब 100 नंबर में कॉल किया था तो मुझे 'IT ऑफीसर' बताने की जगह घबराहट में IB ऑफीसर बता दिया,क्योंकि रात एक बजे उन्हें उनके बेटे की मुसीबत में होने की ख़बर मिली थी, और उस टाइम कैसा फील होता है जब आपका अकेला बेटा और ऐसी कन्डीशन में हो ।
और बस इसी बात को लेकर DSP सर ने मेरे पापा को मा-बहन मि गालियां दीं और उनका कालर पकड़ के धमकी देने लगे । बांकी सारे केस पर से फोकस चला गया और उस बात को लेके इंवेस्टिगेशन होने लगा ।
मैं विक्टिम था और मुझे एक्यूस की तरह ट्रीट किया गया ,और मेरे पापा के साथ वहां बहुत ज्यादा बत्तमीजी हुई,हमे वहां 2 बजे दोपहर से सुबह से सात बजे तक रखा गया,होटल के स्टॉफ और ऑनर भी आए थे बट ऑनर बहुत जल्दी चला गया। मेरे सामने वहां के सिपाही होटल वाले से पैसों की सेटिंग करने में लगे हुए थे, और हमारे साथ जानवरों जैसा बिहेव किया गया ,जैसे विक्टिम वो हैं और हम Accuse ।DSP सर मेरी इन्वेस्टीगेशन करने में लग गए और मेरी कॉल डिटेल्स निकाल कर मेरी दीदी और रिलेटिव्स के साथ मेरे रिलेशन बताने लगे ।पापा बोले कि वो मेरी बेटी है तो बोलने लगे कि आप झूठ बोल रहे हैं,आपका बेटा यहां लड़की से मिलने आया था ,और पता नहीं क्या क्या ।देखते ही देखते वो पूरा केस ही मोल्ड करने लगे ,मुझे और मेरे पापा को अलग-अलग बुला कर हरॉस किया,गालियां दीं, मारने की धमकी जेल में डालने की धमकी । मेरे सामने मेरे पापा जलील होते रहे ,और मैं कुछ नहीं कर पाया । वो एक रिटायर्ड पर्शन हैं,2017 में रिटायर्ड हुए BCCL धनबाद से, पर उसने साथ जैसा बिहेव किया गया ,तो देख कर मुझे समझ आ गया कि आम लोग पुलिस से हेल्प क्यों नहीं लेना चाहते हैं ।पब्लिक सर्वेंट तो बस नाम के लिए हैं ,थाने में जो होता है वो अब मुझे पता चल गया। वहां मेरे और पापा के साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया । समान मेरा चोरी गया,2 फोन,गोल्ड रिंग ,कैश 10,000,लैपटॉप ,और अभी रूम ओपन नहीं किया गया जो मुझे पता चले । हमे बार बार इंटोरेगेट किया जा रहा था कि हम अपने बयान बदल दें,और होटल के ऑनर से कुछ नहीं कहा गया ,बस उसके स्टॉफ को इंटोरेगेट किया गया । मेरे पापा बहुत ही सीधे इंसान हैं ,और आज तक पुलिस स्टेशन नहीं गए थे और मै भी नहीं । पर कल रात जो हुआ हमारे साथ,मेरी रूह कांप जाती है वहां जाने से ।
और में अब जीना नहीं चाहता जो मेरे पापा के साथ हुआ है ।
और अब मैं सुसाइड करने जा रहा हूँ ,क्योंकि मुझे पता है थाने में केश को पूरी तरह से चेंज कर दिया गया है और विक्टिम को Accuse और accuse को विक्टिम बनाया जा रहा है ।मुझे धमकियां दी गईं की जेल भेज के कैरियर बिगाड़ दिया जाएगा, मेरी पूरी फैमिली को कॉल्स करके परेशान किया गया 
। मैं अब जीना नहीं चाहता; पर आप सभी से कुछ सवाल हैं जो पूँछना चाहता हूँ।

1-क्या पुलिस को गाली दे कर बात करने की परमीशन है?

2-नार्मल लोगों की कोई रिस्पेक्ट नहीं होती थाने में ?
3-वो हमारी प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए होते हैं ,या प्रॉब्लम बढ़ाने के लिए ?

4-हम गुंडों से डरते हैं क्योंकि वो गुंडे हैं पर पुलिस वालों से भी डरते हैं कि वो वर्दी वाले गुंडे हैं
5-सीनियर पुलिस अधिकारी ही जब माँ-बहन कि गली देकर बात करेगा तो उनमें और रोड चलते मवाली में क्या डिफरेंस है?

6-क्या एक नार्मल इंसान की कोई रिस्पेक्ट नहीं है,मोरल वैल्यू नहीं ?
7-आज "चुटिया" थाना प्रभारी की वजह से मेरे मम्मी पापा ने अपने एक बेटे को खो दिया.. मेरी 4 दीदी अपने एकलौते भाई को राखी से पहले खो रही हैं ।

क्यों ऐसा होता है हमारे देश में ? क्या हमें आज़ादी से जीने का हक नहीं? कौन सुनेगा हमारी?आज मैं अपने पापा को थाने में छोंड़ कर अकेले निकल आया,सुसाइड करने। और मुझे पता भी नहीं कि क्या किया गया होगा उनके साथ थाने में?कौन साथ देगा हम जैसे नार्मल लोगों का?कब तक हम जैसे यंग लड़के पुलिस के टॉर्चर से सुसाइड करेंगे? वो अधिकारी हैं तो उनको बोलने वाला कोई नहीं है?
कहाँ गए हमारे मोदी जी? कहाँ गए ह्यूमन राइट्स वाले? कहाँ गए झारखंड के CM?
मेरी मौत की वजह सुसाइड नहीं मर्डर है ,जिसकी पूरी रिस्पांसबिलिटी चुटिया थाना प्रभारी और सिटी DSP का है । उन लोगों ने एक नाईट में रावण राज़ की याद दिला दी, मैं ऐसा फेस नहीं देखा था कभी प्रशासन का ।

मेरी मौत के रिस्पांसिबल सिर्फ़ और सिर्फ चुटिया थाना प्रभारी मिस्टर अजय वर्मा और सिटी DSP हैं ।

आप सभी से हाँथ जोड़कर निवेदन है कि plz help my father, और मुझे कुछ नहीं चाहिए,वो सब थाने में मिल के मेरे पापा के साथ बुरा कर देंगे ।

PLZ SAVE MY FATHER अगर ऐसा हुआ तो मेरी आत्मा को शांति मिल जाएगी ।

मैने एक कॉपी PMO OFFiCE और CM Jharkhand को भी सेंड किया है ,और आप सभी को,ताकि मेरे फादर को कहीं से तो हेल्प मिल जाए ।

With Best regards,
SHIV SAROJ