जीवाजी विश्वविद्यालय में लगातार नए-नए तरह के घोटाले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला ऐसा है जिसमें एक छात्रा के अंक कॉलेज से भेजे ही नहीं गए, लेकिन उसकी बाकायदा अंकसूची बन गई।
संबंधित कॉलेज के प्राचार्य ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया है तो विश्वविद्यालय प्रशासन को जवाब देते नहीं बन रहा है।
(courtsey: naudunia.jagran.com)
नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, मामला शासकीय कॉलेज आरोन की एमएससी की छात्रा सपना ग्वाल का है। सपना ने पहले सेमेस्टर की परीक्षा दिसंबर 2009 में दी थी, लेकिन प्रायोगिक परीक्षा के अंक न पहुंचने के कारण परिणाम घोषित नहीं किया गया था। रुके परिणाम के बाद भी तत्कालीन प्राचार्य ने सपना को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा जून 2010 में दिला दी थी। इस परीक्षा के भी प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय नहीं पहुंचने के कारण परिणाम फिर से रोक दिया गया।
तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा के अंक जीवाजीराव विश्वविद्यालय आ गए तो विश्वविद्यालय ने इसका परिणाम घोषित कर दिया। जून 2011 में हुई चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में छात्रा का परिणाम अटका रह गया क्योंकि पहले के दो सेमेस्टर के उसके प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय पहुंचे ही नहीं थे।
परिणाम घोषित नहीं हुआ तो छात्रा ने इस मामले में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की, लेकिन बताया गया कि छात्रा का परिणाम प्रायोगिक परीक्षा में सम्मलित नहीं होने के कारण रुका है।
इधर, गुना जिले के शासकीय कॉलेज आरोन के मौजूदा प्राचार्य निरंजन श्रोत्रिय को पिछले दिनों जब पता चला कि छात्रा का परिणाम घोषित हो गया तो उन्होंने परीक्षा नियंत्रक को इस बारे में बताया। परीक्षा नियंत्रक ने जांच कराई तो पता चला कि छात्रा के किसी परिजन ने प्राचार्य निरंजन श्रोत्रिय के हस्ताक्षर वाले पत्र के साथ प्रायोगिक परीक्षा के अंक भेजे थे। इन अंकों को जेयू के कर्मचारियों ने चार्ट में चढ़ा भी दिया। अब पूरे मामले की फिर से जांच हो रही है।
संबंधित कॉलेज के प्राचार्य ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया है तो विश्वविद्यालय प्रशासन को जवाब देते नहीं बन रहा है।
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नईदुनिया की रिपोर्ट के अनुसार, मामला शासकीय कॉलेज आरोन की एमएससी की छात्रा सपना ग्वाल का है। सपना ने पहले सेमेस्टर की परीक्षा दिसंबर 2009 में दी थी, लेकिन प्रायोगिक परीक्षा के अंक न पहुंचने के कारण परिणाम घोषित नहीं किया गया था। रुके परिणाम के बाद भी तत्कालीन प्राचार्य ने सपना को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा जून 2010 में दिला दी थी। इस परीक्षा के भी प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय नहीं पहुंचने के कारण परिणाम फिर से रोक दिया गया।
तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा के अंक जीवाजीराव विश्वविद्यालय आ गए तो विश्वविद्यालय ने इसका परिणाम घोषित कर दिया। जून 2011 में हुई चौथे सेमेस्टर की परीक्षा में छात्रा का परिणाम अटका रह गया क्योंकि पहले के दो सेमेस्टर के उसके प्रायोगिक परीक्षा के अंक विश्वविद्यालय पहुंचे ही नहीं थे।
परिणाम घोषित नहीं हुआ तो छात्रा ने इस मामले में सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की, लेकिन बताया गया कि छात्रा का परिणाम प्रायोगिक परीक्षा में सम्मलित नहीं होने के कारण रुका है।
इधर, गुना जिले के शासकीय कॉलेज आरोन के मौजूदा प्राचार्य निरंजन श्रोत्रिय को पिछले दिनों जब पता चला कि छात्रा का परिणाम घोषित हो गया तो उन्होंने परीक्षा नियंत्रक को इस बारे में बताया। परीक्षा नियंत्रक ने जांच कराई तो पता चला कि छात्रा के किसी परिजन ने प्राचार्य निरंजन श्रोत्रिय के हस्ताक्षर वाले पत्र के साथ प्रायोगिक परीक्षा के अंक भेजे थे। इन अंकों को जेयू के कर्मचारियों ने चार्ट में चढ़ा भी दिया। अब पूरे मामले की फिर से जांच हो रही है।