9 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की तो पार्टी के नेता और कई केंद्रीय मंत्री भी इसे आतंकवाद और कालेधन पर सर्जिकल स्ट्राइक का नाम दिया करते थे। लेकिन अब यह दांव सत्ताधारी भाजपा को उलटा पड़ गया है। एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद अब सरकार की रिपोर्ट्स की इस फैसले को गलत साबित कर रही है।
ताजा रिपोर्ट में सरकार ने चौंकाने वाले आंकड़े दिए है। सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेनदेन में 480 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह सब नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमा नोटों पर तैयार की गई एक सरकारी रिपोर्ट में पता चला है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) द्वारा तैयारा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट, पब्लिक और कोऑपरेटिव सेक्टर सहित सभी बैंकों और अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ने संयुक्त रूप से 2016-17 में 400 फीसदी ज्यादा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट की है। ऐसे ट्रांजैक्शंस की संख्या 4।73 लाख है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि बैंकिंग और अन्य वित्तीय चैनलों में जाली मुद्रा के लेनदेन में पिछले साल की तुलना में 2016-17 के दौरान 3।22 लाख मामले अधिक सामने आए हैं।
फाइनेंशियल ईयर 2015-16 में जाली मुद्रा के कुल 4।10 लाख मामले रिपोर्ट हुए थे, वहीं 2016-17 में इनकी संख्या बढ़कर 7।33 लाख हो गई। नकली नोटों पर यह ताजा आंकड़ा अभी तक का सर्वोच्च आंकड़ा है।
जाली मुद्रा के लिए रिपोर्ट के आंकड़ों को संकलित करने का काम सबसे पहले फाइनेंशियल ईयर 2008-09 में शुरू किया गया था। फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में संदिग्ध लेनेदन रिपोर्ट में 4,73,006 मामले सामने आए, जो 2015-16 की तुलना में चार गुना अधिक हैं।
ताजा रिपोर्ट में सरकार ने चौंकाने वाले आंकड़े दिए है। सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेनदेन में 480 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह सब नोटबंदी के बाद संदिग्ध जमा नोटों पर तैयार की गई एक सरकारी रिपोर्ट में पता चला है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) द्वारा तैयारा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट, पब्लिक और कोऑपरेटिव सेक्टर सहित सभी बैंकों और अन्य फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन ने संयुक्त रूप से 2016-17 में 400 फीसदी ज्यादा संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट की है। ऐसे ट्रांजैक्शंस की संख्या 4।73 लाख है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि बैंकिंग और अन्य वित्तीय चैनलों में जाली मुद्रा के लेनदेन में पिछले साल की तुलना में 2016-17 के दौरान 3।22 लाख मामले अधिक सामने आए हैं।
फाइनेंशियल ईयर 2015-16 में जाली मुद्रा के कुल 4।10 लाख मामले रिपोर्ट हुए थे, वहीं 2016-17 में इनकी संख्या बढ़कर 7।33 लाख हो गई। नकली नोटों पर यह ताजा आंकड़ा अभी तक का सर्वोच्च आंकड़ा है।
जाली मुद्रा के लिए रिपोर्ट के आंकड़ों को संकलित करने का काम सबसे पहले फाइनेंशियल ईयर 2008-09 में शुरू किया गया था। फाइनेंशियल ईयर 2016-17 में संदिग्ध लेनेदन रिपोर्ट में 4,73,006 मामले सामने आए, जो 2015-16 की तुलना में चार गुना अधिक हैं।