8 साल के अमृत वर्ष में जनता को कराया जा रहा विष पान

Written by Dr. Amrita Pathak | Published on: June 2, 2022
भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA गठबंधन के 8 साल पूरे हो चुके हैं. 26 मई 2014 को भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. साल 2019 में इस गठबंधन की सरकार दूसरी बार बनी और नरेंद्र मोदी नें एक बार फिर से प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इन 8 सालों में देश के बजाय पूंजीपति हितैषी नीतियों और समाज की स्थितियों को बदलनें के लिए इनके द्वारा कई बड़े फैसले लिए गए. जिसे सराहना भी मिली और सवालों का भी सामना करना पड़ा. 



भारत की अर्थव्यवस्था को ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने के मोदी सरकार के लक्ष्य की काफी चर्चा रही है. पहले कार्यकाल में ‘सबका साथ सबका विकास’ और दुसरे कार्य काल में ‘सबका साथ, सबका विकास और सबके विश्वास’ की बात कर सत्ता में आने वाली मोदी सरकार ने एक के बाद एक जनविरोधी फैसले लिए और नीतियाँ बनायी हैं. पिछले 8 सालों में न तो आर्थिक विकास दिखा और न समाज का विश्वास बचा रहा. बाकि कसर दुनिया भर में फैले कोरोना महामारी नें पूरी कर दी और अब रूस-युक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. 

हालाँकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कोरोना महामारी से पहले ही नोटबंदी, GST और बैड लोन के बैंक की समस्या ने भारत के आर्थिक विकास को प्रभावित करना शुरू कर दिया था. अर्थव्यवस्था के इस हालत ने जुमले से उपजे ट्रिलियन डॉलर के सपने को झटका भी दिया. मोदी सरकार द्वारा उनके 8 साल के कार्यकाल में लिए गए कुछ बड़े फैसले: 

नोटबंदी
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का सबसे बड़ा फैसला नोटबंदी था जिसे 8 नवम्बर 2016 को लाया गया. केंद्र सरकार ने रातों रात 500 और 1000 रूपये के नोटों के विमुद्रीकरण यानि डीमोनेटाइजेशन करने की घोषणा की. सरकार के इस तुगलकी फैसले को ही नोटबंदी कहा गया. इस समय सरकार ने 500 और 2000 के नए नोट जारी करने की घोषणा की थी. देश भर में बिना सरकारी तैयारी के लिए गए इस फैसले के बाद अफरा तफरी का माहौल बन गया. पुराने नोटों को बैंक में जमा कराने और नए नोट को हासिल करने की जुगत में बैंकों के बाहर कई दिनों तक लम्बी लाईनें लग गयीं. इस समय लाइन में खड़ी आम जनता से ले कर अस्पताल में पड़े लोगों की जरूरतें पूरी नहीं हो पाने की वजह से कई लोगों की मौत हो गयी. विपक्षी पार्टियों द्वारा इसका विरोध किया गया.

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके पीछे तर्क दिया कि नोटबंदी के बाद देश और विदेश में पड़ा कालाधन वापस आएगा, भ्रष्टाचार, सीमापार आतंकवाद, जाली नोट और देश में फैली नक्सल समस्या पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी जबकि बीते वर्षों में इसके आसार कहीं नजर नहीं आए. भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रूपये के नोट वापस आए.

GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स)
मोदी सरकार के बड़े फैसले में से एक (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) माल एवम सेवा कर अधिनियम 29 मार्च 2017 को संसद में पारित किया गया था जिसे 1 जुलाई 2017 से देश भर में लागू किया गया. एक देश एक कानून को ध्यान में रख कर यह अधिनियम बनाया गया था. GST ने अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर को समाप्त किया. इसका उद्धेश्य एक टैक्स सिस्टम को पुरे भारत में लागू करना था.

तीन तलाक 
भारतीय जनता पार्टी, आरएसएस व् उनके सहयोगी संगठन देश में मुसलमान समाज को लेकर शुरू से आक्रामक रहे हैं. वे उनके धार्मिक जीवन व् जीवनचर्या को लेकर विवाद करते रहे हैं. अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धियों में से एक संसद में तीन तलाक विधेयक का पारित होना था. यह सही है कि समाज में फैली कुरीतियों को दूर किया जाए लेकिन केवल एक ही धर्म को लेकर पूर्वाग्रही होना और उसी आधार पर फैसले लेना समाज में अंतिम रूप से अशांति ही पैदा करती है. यह एक ऐसा कानून है जिसने तीन तलाक को आपराधिक श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया. इसे संसद में काफी बहस के बाद 1 अगस्त, 2019 को पारित किया गया था. 

जम्मू कश्मीर में धारा 370 का खात्मा 
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला किया. 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 और अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को खत्म दिया गया. फैसले से ठीक पहले तमाम स्थानीय नेताओं को अलोकतांत्रिक तरीके से नजरबंद कर लिया गया. वहीं काफी दिनों तक जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं. ये सरकार का काफी बड़ा और चौंकाने वाला फैसला था. जिसे लेकर खूब हंगामा भी हुआ, लेकिन मोदी सरकार अपने फैसले पर टिकी रही. सरकार ने इस दिशा में कदम उठाकर एक देश, एक विधान का संदेश दिया. हालाँकि इस कदम की व्यापक स्तर पर आलोचना हुई.

CAA-NRC विवाद 
CAA-NRC को लेकर भी मोदी सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा. सरकार 2019 में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए नागरिकता (संशोधन) कानून लेकर आई. इस कानून को लेकर पूर्वोत्तर के असम से लेकर राजस्थान तक और दिल्ली से लेकर दक्षिण भारत आंदोलन हुए. दिल्ली शाहीन बाग में CAA-NRC को लेकर लंबा आंदोलन चला जिसके तर्ज पर देश के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष की अव्वाज बुलंद की गयी. 

बाद में पीएम मोदी को खुद भी कहना पड़ा था कि इससे देश के किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं जाएगी और NRC लाने की कोई मंशा नहीं है. यही वजह है कि CAA कानून आने के बाद भी अभी तक देश में लागू नहीं किया जा सका है.

सर्जिकल स्ट्राइक 
जम्मू-कश्मीर के उरी में देश के जवानों पर हुए कायराना हमले का बदला लेने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला किया था. उरी हमले में 18 जवान शहीद हुए थे. दिनांक 29 सितंबर 2016 को भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक की और बड़े स्तर पर आतंकवादी लॉन्च पैड को निशाना बनाया. इस हमले में कई आतंकवादी मारे गए थे. हालांकि, पाकिस्तान ने भारत के दावे को खारिज कर दिया था. 

साल 2019 में पुलवामा में भारतीय सेना के जवानों पर आतंकी हमले हुए जिसमें 40 जवान शहीद हो गए. उसके जबाब में भारतीय वायुसेना के फाईटर जेट्स नें पाक अधिकृत कश्मीर में घुस कर बमबारी कर दी.

कृषि कानून 
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून को मोदी सरकार के सबसे बड़े और मुश्किल फैसले के तौर पर देखा जाता है. कृषि कानून को 17 सितम्बर 2020 को तमाम विरोधों के बाद भी संसद से पारित करा लिया गया. इस कानून के अंतर्गत शामिल है,

1.    कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम -2020
2.    कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
3.    आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020

केंद्र सरकार ने इन कानूनों को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन कानून के पास होते ही इसका विरोध शुरू हो गया. किसान इस हद तक नाराज थे कि कृषि कानून की वापसी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक आन्दोलन चला. इस दौरान कई किसानों को जान भी गंवानी पड़ी थी. दिनांक 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की. इसके बाद 29 नवंबर 2021 को संसद के दोनों सदनों से कृषि कानून को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी मिली. 

इसके अलावे आज महंगाई और बेरोजगारी की स्थिति आसमान को छु रही है. लगभग सभी सार्वजानिक संस्थाएं बंद होने या बिकने के कगार पर कड़ी है. शिक्षा और रोजगार का पूरी तरह से निजीकरण किया जाना लगभग तय हो चूका है. देश को आजादी के 75 वें सालगिरह पर अमृत वर्ष में विष पान कराया जा रहा है.

महंगाई की बात करें तो सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है. जब मोदी ने साल 2014 में सत्ता संभाली, तब CPI इन्फ्लेशन औसतन 5.8 प्रतिशत था. कच्चे तेल की कम कीमतों के चलते साल 2014 से 2019 तक महंगाई RBI के दायरे में रही. हालांकि, कोरोना महामारी के बाद 2020 में इसने 6 फीसदी का आंकड़ा पार कर लिया. 

साल 2021 में महंगाई कम होकर 5.5 फीसदी पर आ गई. लेकिन यह लगातार तीसरा महीना है जब रिटेल इन्फ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है. महंगाई सरकार के साथ-साथ आरबीआई के लिए भी एक बड़ी चिंता की बात है क्योंकि यूक्रेन में युद्ध के अभी तक कम होने या खत्म होने के संकेत नहीं मिले हैं. 

बेरोजगारी को लेकर फाईनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से लेकर साल 2017 तक बेरोजगारी दर औसतन 5.4 प्रतिशत पर रही. इसके बाद, 2018 और 2019 में बेरोजगारी मामूली रूप से गिरकर 5.3 प्रतिशत हो गई. लेकिन कोरोना महामारी के पहले साल 2020 में बेरोजगारी बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी दर 2021 में 6 प्रतिशत के स्तर पर थी. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारत की लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 2016 में 47 प्रतिशत से गिरकर 40 प्रतिशत हो गई.

आज देश की जनता तार्किक होकर सवाल करना बंद कर चुकी है. मीडिया के माध्यम से लोगों के दिमाग को भावनात्मक रूप से अपंग और सामाजिक रूप से हत्यारी बनाया जा रहा है. लोग के लिए मुलभुत समस्या गौण हो चुका है और उन्मादी सोच नें दिमाग पर कब्ज़ा कर लिया है. इसका सबसे बड़ा फायदा सरकार को हुआ है जो जनता के भावनाओं से खेल कर वोट की राजनीति कर रहे हैं और सता में आकर जनविरोधी फैसले ले रहे हैं. इस सरकार के 8 साल की कारगुजारी जनता के सामने है और इनके कार्यकाल के बचे हुए वर्षों में होने वाली बर्बादी का इन्तजार है.
 
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