पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक (पीएमसी) घोटाला के बीच एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि कोई भी वित्तीय ढांचा आम आदमी की बचत की रक्षा करने में सक्षम नहीं था।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हम नियमित रूप से लोन माफी और कॉरपोरेट लोन में छूट देते हैं लेकिन आम आदमी की बचत की रक्षा करने के लिए कोई वित्तीय ढांचा नहीं होना क्रूर नाइंसाफी है। पीएमसी बैंक घोटाले की वजह से उसके हजारों ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरबीआई ने ग्राहकों को 25,000 रुपये से अधिक रुपये की निकासी पर रोक लगा दी है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वित्त क्षेत्र में आम आदमी की मेहनत की कमाई के गलत इस्तेमाल से बड़ा कोई पाप नहीं है। वहीं पारेख ने किसी घटना का नाम लिए बिना कहा कि यह क्रूर नाइंसाफी है कि हम लोन माफी और हर तरह के बट्टे ऋण को माफ कर रहे हैं जबकि अब तक ईमानदार आदमी की बचत की रक्षा के लिए वित्तीय ढांचा नहीं बन पाया है। विश्वास और भरोसा किसी भी वित्तीय व्यवस्था की रीढ़ होती है और किसी को भी इथिक्स और मूल्यों की ताकत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वहीं अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू बचत जरूरी है। लेकिन ब्याज दर में कमी इस दिशा में बाधक है।
उन्होंने कहा कि कमर्शियल सेक्टर में अब भी क्रेडिट संकट बना हुआ है। उन्होंने वैश्विक परिदृश्य में भारत को खड़ा करने के लिए खुद में सुधार, वित्तीय क्षेत्र में सुधारों की दिशा में काम करना, नीतियों को सक्षम बनाना, सच्चे और निष्पक्ष उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और स्थिर कानून बनाने की बात कही।
इस दौरान उन्होंने कहा कि हम नियमित रूप से लोन माफी और कॉरपोरेट लोन में छूट देते हैं लेकिन आम आदमी की बचत की रक्षा करने के लिए कोई वित्तीय ढांचा नहीं होना क्रूर नाइंसाफी है। पीएमसी बैंक घोटाले की वजह से उसके हजारों ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरबीआई ने ग्राहकों को 25,000 रुपये से अधिक रुपये की निकासी पर रोक लगा दी है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि वित्त क्षेत्र में आम आदमी की मेहनत की कमाई के गलत इस्तेमाल से बड़ा कोई पाप नहीं है। वहीं पारेख ने किसी घटना का नाम लिए बिना कहा कि यह क्रूर नाइंसाफी है कि हम लोन माफी और हर तरह के बट्टे ऋण को माफ कर रहे हैं जबकि अब तक ईमानदार आदमी की बचत की रक्षा के लिए वित्तीय ढांचा नहीं बन पाया है। विश्वास और भरोसा किसी भी वित्तीय व्यवस्था की रीढ़ होती है और किसी को भी इथिक्स और मूल्यों की ताकत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वहीं अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू बचत जरूरी है। लेकिन ब्याज दर में कमी इस दिशा में बाधक है।
उन्होंने कहा कि कमर्शियल सेक्टर में अब भी क्रेडिट संकट बना हुआ है। उन्होंने वैश्विक परिदृश्य में भारत को खड़ा करने के लिए खुद में सुधार, वित्तीय क्षेत्र में सुधारों की दिशा में काम करना, नीतियों को सक्षम बनाना, सच्चे और निष्पक्ष उद्यमिता को प्रोत्साहित करना और स्थिर कानून बनाने की बात कही।