गहरी मंदी से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था, लेकिन सरकार दिखा रही मूवी टिकट की बिक्री

Written by Girish Malviya | Published on: October 13, 2019
कल पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी हो गई है और किसी एक व्यक्ति के द्वारा इसको चलाया नहीं जा सकता है। इसके परिणाम घातक निकले है।



राजन ने इस संदर्भ में नोटबंदी और जीएसटी के फैसले का जिक्र किया उन्होंने कहा कि अगर नोटबंदी और जीएसटी के फैसले नहीं लिए गए होते तो अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती। बिना किसी सलाह या समीक्षा के नोटबंदी को लागू करने से लोगों को नुकसान हुआ और इसे करने से किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ।

2016 में जो जीडीपी 9 फीसदी के पास थी, वह अब घटकर 5.3 फीसदी के स्तर पर आ गई है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने राजन ने जीडीपी ग्रोथ में आई गिरावट के लिए निवेश, खपत और निर्यात में सुस्ती के अलावा एनबीएफसी क्षेत्र के संकट को जिम्मेदार ठहराया।

ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बेहद 'चिंताजनक' स्थिति की तरफ धकेल रहा है।

लगभग इसी तरह की बात अर्थव्यवस्था की साधारण समझ रखने वाला व्यक्ति भी कब से बोल रहा है लेकिन मोदी सरकार के कानों पर जूं भी नही रेंग रही है।

सितंबर महीने में जीएसटी कलेक्शन 19 महीने के निचले स्तर पर पुहंच गया है। वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम ने बता रहा है कि सितंबर में कारों की बिक्री एक बार फिर लुढ़की है। यह लगातार ग्यारहवा महीना है जब पैसेंजर व्‍हीकल्‍स की बिक्री गिर गई है। अगस्‍त महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.1 फीसदी घट गया। यह औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर पिछले 7 साल का सबसे खराब प्रदर्शन है। 

सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि जीडीपी ग्रोथ 5 प्रतिशत पर आ गयी है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश, मूडीज आरबीआई ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान घटा दिया है।

अर्थव्यवस्था के तमाम इंडीकेटर यही संकेत दे रहे हैं कि अर्थव्यवस्था गहरी मंदी से गुजर रही है लेकिन सरकार तीन मूवी टिकट की बिक्री के आंकड़े दिखा कर यह सिद्ध करना चाहती है कोई मंदी नही है। इस देश की जनता, क्या ऐसी ही मूर्ख सरकार डिजर्व करती है?

बाकी ख़बरें