"नमस्कार मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, नोटबंदी याद है?"

Written by Navnish Kumar | Published on: May 30, 2022
"नमस्कार मिस्टर पीएम नोटबंदी याद है?" आपने कैसे राष्ट्र से वादा किया था कि नोटबंदी सभी नकली नोटों को मार्केट से खत्म कर देगी। लेकिन आरबीआई की हालिया रिपोर्ट नकली नोटों की संख्या में भारी वृद्धि की ओर इशारा करती है।" ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि टीएमसी सांसद ने ट्वीट कर कही है। तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन ने इस ट्वीट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। साथ ही उनके उस दावे पर भी तंज कसा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा और बाजार से नकली मुद्रा का सफाया हो जाएगा।



जी हां, यह सब तब हुआ है जब सत्ता में 8 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री बता रहे थे कि 8 साल में उन्होंने कैसे देश को गांधी और पटेल के सपनों का भारत बनाने का ‘प्रयास’ किया और उनकी सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे जनता को ‘शर्म’ आए। ऐसे में अखबारों का काम था कि उनके काम-काज का लेखा-जोखा प्रकाशित करते। जो नहीं हुआ लेकिन रविवार को नकली नोट व आधार कार्ड को लेकर दो ऐसी खबर आईं कि 8 साल का लेखा जोखा स्वत: उजागर होने का काम हो गया। 

खास है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि बीते एक साल में देश में नकली नोटों की सप्लाई में कितनी वृद्धि या गिरावट हुई। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में नकली नोटों के इन्हीं आंकड़ों की ओर इशारा करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। साथ ही उनके उस दावे पर भी तंज कसा है जिसमें उन्होंने कहा था कि नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा और बाजार से नकली मुद्रा का सफाया हो जाएगा।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिस्टर डेरेक ओ'ब्रायन ने एक टेबल ग्राफ़िक साझा किया, जिसमें दिखाया गया कि बीते एक साल में 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या दोगुनी हो गई। वहीं, इसी समय अवधि में 2000 रुपये के नकली नोटों की संख्या में 54 प्रतिशत का उछाल आया है। इस पर टीएमसी सांसद ने ट्वीट कर कहा, “नमस्कार मिस्टर पीएम नोटबंदी याद है? और कैसे ममता बनर्जी ने आपके इस कदम की आलोचना की थी? आपने कैसे राष्ट्र से वादा किया था कि नोटबंदी सभी नकली नोटों को मार्केट से खत्म कर देगी। लेकिन यह आरबीआई की हालिया रिपोर्ट है, जो नकली नोटों की संख्या में भारी वृद्धि की ओर इशारा करती है।"



बता दें कि आरबीआई द्वारा जारी नए वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले साल की तुलना में 10, 20, 200, 500 और 2000 रुपये के नकली नोटों के फ्लो में क्रमशः 16.4%, 16.5%, 11.7 प्रतिशत, 101.9% और 54.6% की वृद्धि हुई है। जबकि 50 और 100 रुपये के नकली नोटों के प्रवाह में क्रमशः 28.7% और 16.7% की गिरावट आई है।” खास है कि नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम ने देश को झकझोर कर रख दिया था। लाखों लोगों को अपनी गाढ़ी कमाई को निकालने के लिए बैंकों के बाहर घंटों लाइन में लगना पड़ा था। अचानक हुई इस घोषणा से अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया था क्योंकि लोग एक बैंक से दूसरे बैंक की ओर भाग रहे थे। नोटबंदी की घोषणा करते हुए, प्रधान मंत्री मोदी ने नकली नोटों के खतरे की ओर इशारा किया था और बताया कि कैसे आतंकवादी लेनदेन के लिए इस मार्ग का उपयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी का उद्देश्य काले धन और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए नकद लेनदेन को कम करना है। पीएम ने कहा था कि नोटबंदी एक ऐसा अवसर है, जहां हर नागरिक भ्रष्टाचार, काले धन और नकली नोटों के खिलाफ "महायज्ञ" में शामिल हो सकता है।

दूसरी खबर में करोड़ों डेटा लीक होने के बाद, अब भारत सरकार कह रही है कि आधार कार्ड की फ़ोटोकॉपी किसी को मत दो। UIDAI की विज्ञप्ति में कहा गया है, "कृपया ई-आधार डाउनलोड करने के लिए इंटरनेट कैफे/कियोस्क में सार्वजनिक कंप्यूटर का उपयोग करने से बचें। हालांकि, यदि आप ऐसा करते हैं, तो कृपया यह सुनिश्चित कर लें कि आप ई-आधार की सभी डाउनलोड की गई प्रतियों को उस कंप्यूटर से स्थायी रूप से हटा दें।"

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार कार्ड के दुरुपयोग का हवाला देते हुए लोगों को चेतावनी दी है कि वे किसी भी संगठन के साथ आधार की फोटोकॉपी साझा न करें। UIDAI ने आधार कार्ड का फोटोकॉपी देने के बजाय 'मास्क्ड आधार' के इस्तेमाल की सलाह दी है। मास्क्ड आधार में आधार संख्या के केवल अंतिम 4 अंक ही दिखाई देते हैं। इसे UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट https://myaadhaar.uidai.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है।
UIDAI ने बताया है कि किसी भी आधार संख्या के अस्तित्व को https://myaadhaar.uidai.gov.in/verifyAadhaar पर सत्यापित किया जा सकता है। प्राधिकरण के मुताबिक, ऑफ़लाइन सत्यापित करने के लिए, आप एमआधार मोबाइल एप्लिकेशन में क्यूआर कोड स्कैनर का उपयोग करके ई-आधार या आधार पत्र या आधार पीवीसी कार्ड पर क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं।

इस पर लोगों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। भड़ास 4 मीडिया पर आशीष अभिनव कहते हैं कि ये सरकार सीधा सीधा लोगों को उल्लू समझती है। हमारा आधार नंबर किसी के पास होना ठीक नहीं है। ये बात सरकार अब कह रही है। सोचिये। कोई भी कागजी काम कितने सालों से बिना आधार कार्ड के हुआ है? सरकार ये बात तब कह रही है, जब लोगों के आधार नंबर राशन दुकान से लेकर गली गली में सिमकार्ड कार्ड बेचने वालों तक के पास हैं। वहीं, गुरदीप सिंह सप्पल कहते हैं कि आप लोगों में से कितनों ने कहीं न कहीं अपना आधार कार्ड या नम्बर दिया है। शायद सभी ने, क्योंकि सरकार ने आपको आश्वस्त किया था कि ये ज़रूरी है और ये सुरक्षित भी है। लेकिन अब सरकार बाक़ायदा प्रेस रिलीज़ जारी कर रही है कि ये असुरक्षित है और आप अपना आधार कार्ड या नम्बर कहीं न दें। सरकार कह रही है कि इसलिए लिए मास्क आधार नम्बर डाउनलोड करें और उसे इस्तेमाल करें। लेकिन इतने सालों में जो आप सब के आधार नम्बर दूसरों के पास पहुँच चुके हैं और उनका दुरुपयोग हो सकता है, उसका क्या हल है?

सरकार जानती है कि आधार नम्बर का दुरुपयोग बैंक अकाउंट हैक करने, ग़लत गतिविधियों के लिए दूसरे के नाम से फ़ोन सिम लेने, ज़मीन घोटाले, दूसरे के नाम से लोन लेने, बीमा क्लेम में बाधा होने जैसे कामों में हो सकता है। यदि आप ही सोचते हैं कि आप कुछ ग़लत नहीं करते और इसलिए आपको निजता की फ़िक्र नहीं है, तो आप ग़लत हैं। आधार नम्बर ग़लत हाथों में जाने से आपके साथ कितने ही तरह के फ़्रॉड हो सकते हैं। ऐसे में सवाल है कि जानकार लोग निजता के हनन से होने वाले इन ख़तरों के बारे में सालों से कह रहे हैं। फिर सरकार को ये बात समझ क्यों नहीं आयी? क्यों सबको आधार नम्बर देने को प्रेरित या मजबूर किया गया था?

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