छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद एक तरह से राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में कम ही रहा है। भारतीय जनता पार्टी भी उसे काफी हद तक रमन सिंह के हवाले करके आश्वस्त बैठी रही।
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कांग्रेस भी पहले जोगी के भरोसे छत्तीसगढ़ को छोड़े रही, फिर जोगी को निकालने के बाद चरणदास महंत, भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव जैसे नेताओं को उनका विकल्प बनाने में लगी रही।
छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े नरसंहार, अत्याचार, कन्या छात्रावासों में बलात्कार और जबरन देह-व्यापार जैसे बड़े-बड़े मामले हुए, लेकिन वो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा के विषय नहीं बन सके। नतीजतन रमन सिंह 15 सालों से लगातार हुकूमत में बने हुए हैं।
इस बार भी मुख्य जिम्मेदारी तो रमन सिंह की ही है, लेकिन उन्होंने जिस तरह से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने नामांकन के समय बुलाया, वह हैरान करने वाली बात है।
सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की छवि न तो वोट खींचने वाले नेता की रही है, और न ही अब वे हिंदू हृदय सम्राट माने जाते हैं। एक कमजोर प्रशासक की छवि वाले योगी आदित्यनाथ छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की कितनी मदद कर पाएंगे, ये बड़ा सवाल है।
बीजेपी के रमन सिंह के खिलाफ लड़ रहीं करुणा शुक्ला ने तो यहां तक कह दिया कि उनके डर के मारे ही रमन सिंह ने योगी को बुलाया है। इतना ही नहीं, रमन सिंह ने अपने से उम्र में बहुत छोटे योगी आदित्यनाथ के मंच ही झुककर पैर तक छुए जिसमें खुद योगी तक को संकोच हो आया।
आगे भी चुनाव-प्रचार में योगी के कई कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में तय किए जा रहे हैं और वो भाजपा की तरफ से स्टार प्रचारक रहने वाले हैं। ऐसा शायद इसलिए भी है कि अब छत्तीसगढ़ में सत्ता खिसकती देख, मोदी और शाह इस राज्य में ज्यादा प्रचार करके हार का जिम्मा लेने से बचना चाहते हैं, और हारे तो रमन के अलावा, योगी ही जिम्मेदार माने जाएंगे।