छत्तीसगढ़ में हुए 2018 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले रमन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन भाजपा सरकार ने मजदूर वर्ग को रिझाने के लिए 86 करोड़ रुपयों में ढाई लाख साइकिलें ख़रीदी थीं. आरटीआई से मिली जानकारी में पता चला है कि प्रति साइकिल 264 रूपए अधिक दिए गए हैं. यानी साइकिल ख़रीदी में 6 करोड़ 60 लाख रुपयों का घोटाला हुआ है.
जानबूझकर मंहगी ख़रीद की गई
छत्तीसगढ़ प्रदेश में सरकारी ख़रीदी के लिए दो संस्थाएं तय हैं. पहली है छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC), और दूसरी है केंद्र सरकार का जेम पोर्टल (Government e-Market / https//gem.gov.in). विधानभा चुनाव के ठीक पहले अप्रैल 2018 में मजदूर वर्ग को रिझाने के लिए भाजपा सरकार ने घोषणा की, कि वे मजदूरों को साइकिलें बाटेंगे. ढाई लाख साइकिलों की ख़रीद के लिए निविदा जारी की गई. साइकिलों की जो गुणवत्ता निविदा में बताई गई उसकी कीमत छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) में 3045 रूपए थी और केंद्र के जेम पोर्टल में इसकी कीमत 3309 रूपए थी.
ख़रीदा जा रहा सामान जहां सबसे सस्ता हो नियमतः वहीँ निविदा जारी की जानी चाहिए थी परन्तु ऐसा नहीं हुआ और अधिक कीमत होने के बावजूद भी 5 मई 2018 को केंद्र के जेम पोर्टल से ढाई लाख साइकिलें 86 करोड़ रुपयों में ख़रीद ली गईं यानी प्रति साइकिल 264 रूपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया. ऐसे तो 264 रूपए छोटा सा अमाउंट लगता है पर यदि इसे 2.50 लाख साइकिलों के हिसाब से देखा जाए तो ये रकम 6 करोड़ 60 लाख रूपए हो जाती है.
एक अहम् बात ये भी गौर करने वाली है कि इसी अवधि के दौरान प्रदेश के शिक्षा विभाग ने छात्राओं को वितरित करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) से 3045 (कम कीमत) की दर से साइकिलें ख़रीदी थीं. तो फिर श्रम विभाग ने जानबूझकर अधिक कीमत पर ख़रीदारी क्यों की.
टेंडर जारी करने में भी गड़बड़ी की गई
साइकिल ख़रीद का ज़िम्मा श्रम विभाग को दिया गया था. श्रम विभाग ने भण्डार क्रय नियम का उल्लंघन करके ब्रांड नेम के साथ टेंडर निकाला. जबकि नियमतः टेंडर में किसी ब्रांड का उल्लेख नहीं किया जा सकता, केवल तकनीकी मानकों (गुणवत्ता) का उल्लेख किया जाता है. ISI से मान्यता प्राप्त कोई भी ब्रांड इसमें शामिल हो सकता है.
मुख्यमंत्री ने जेम से ख़रीद पर लगाई रोक
साइकिल ख़रीद घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंचने के बाद उन्होंने केंद्र के जेम पोर्टल से ख़रीदी पर रोक लगा दी है. आदेश दिया गया है कि राज्य के लिए की जाने वाली सभी शासकीय ख़रीदारी छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) से ही की जाएगी. मुख्यमंत्री कार्यालय से मीडिया को कहा गया है कि मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.
जानबूझकर मंहगी ख़रीद की गई
छत्तीसगढ़ प्रदेश में सरकारी ख़रीदी के लिए दो संस्थाएं तय हैं. पहली है छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC), और दूसरी है केंद्र सरकार का जेम पोर्टल (Government e-Market / https//gem.gov.in). विधानभा चुनाव के ठीक पहले अप्रैल 2018 में मजदूर वर्ग को रिझाने के लिए भाजपा सरकार ने घोषणा की, कि वे मजदूरों को साइकिलें बाटेंगे. ढाई लाख साइकिलों की ख़रीद के लिए निविदा जारी की गई. साइकिलों की जो गुणवत्ता निविदा में बताई गई उसकी कीमत छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) में 3045 रूपए थी और केंद्र के जेम पोर्टल में इसकी कीमत 3309 रूपए थी.
ख़रीदा जा रहा सामान जहां सबसे सस्ता हो नियमतः वहीँ निविदा जारी की जानी चाहिए थी परन्तु ऐसा नहीं हुआ और अधिक कीमत होने के बावजूद भी 5 मई 2018 को केंद्र के जेम पोर्टल से ढाई लाख साइकिलें 86 करोड़ रुपयों में ख़रीद ली गईं यानी प्रति साइकिल 264 रूपए का अतिरिक्त भुगतान किया गया. ऐसे तो 264 रूपए छोटा सा अमाउंट लगता है पर यदि इसे 2.50 लाख साइकिलों के हिसाब से देखा जाए तो ये रकम 6 करोड़ 60 लाख रूपए हो जाती है.
एक अहम् बात ये भी गौर करने वाली है कि इसी अवधि के दौरान प्रदेश के शिक्षा विभाग ने छात्राओं को वितरित करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) से 3045 (कम कीमत) की दर से साइकिलें ख़रीदी थीं. तो फिर श्रम विभाग ने जानबूझकर अधिक कीमत पर ख़रीदारी क्यों की.
टेंडर जारी करने में भी गड़बड़ी की गई
साइकिल ख़रीद का ज़िम्मा श्रम विभाग को दिया गया था. श्रम विभाग ने भण्डार क्रय नियम का उल्लंघन करके ब्रांड नेम के साथ टेंडर निकाला. जबकि नियमतः टेंडर में किसी ब्रांड का उल्लेख नहीं किया जा सकता, केवल तकनीकी मानकों (गुणवत्ता) का उल्लेख किया जाता है. ISI से मान्यता प्राप्त कोई भी ब्रांड इसमें शामिल हो सकता है.
मुख्यमंत्री ने जेम से ख़रीद पर लगाई रोक
साइकिल ख़रीद घोटाले की शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंचने के बाद उन्होंने केंद्र के जेम पोर्टल से ख़रीदी पर रोक लगा दी है. आदेश दिया गया है कि राज्य के लिए की जाने वाली सभी शासकीय ख़रीदारी छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) से ही की जाएगी. मुख्यमंत्री कार्यालय से मीडिया को कहा गया है कि मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.