भाजपा छोड़ TMC पहुंचे वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा, उठाए गंभीर सवाल

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 13, 2021
नई दिल्ली। बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा ने पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। यशवंत सिन्हा बंगाल की राजधानी कोलकता में टीएमसी दफ्तर पर पहुंचे। उन्होंने यहीं पर टीएमसी के बड़े नेताओं की मजूदगी में टीएमसी की सदस्यता ली। टीएमसी की सदस्यता लेने के बाद उन्होंने मीडिया से बात की और देश की सरकारी संस्थाओं के कामकाज पर सवाल खड़े किए।



यशवंत सिन्हा ने सरकारी संस्थाओं पर सवाल खड़े करते हुए कहा, “प्रजातंत्र की ताकत प्रजातंत्र की संस्थाएं होती हैं। आज लगभग हर संस्था कमजोर हो गई है, उसमें देश की न्यायपालिका भी शामिल है। हमारे देश के लिए यह सबसे बड़ा खतरा पैदा हो गया है।”

उन्होंने पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव को 8 चरणों में कराए जाने को लेकर सवाल खड़े किए। यशवंत सिन्हा ने चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े कए। उन्होंने कहा, “मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही है। तोड़-मरोड़ कर चुनाव (8 चरणों में मतदान) कराने का फैसला मोदी-शाह के नियंत्रण में लिया गया है और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के ख्याल से लिया गया है।”

यशवंत सिन्हा ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में हो रहे विधानसभ चुनाव में एक बार फिर टीएमसी की जीत होगी। उन्होंने कहा कि कोई शक नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी। बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा।

ऐसे में इस बात की संभावना है कि वह टीएमसी से जुड़ने के बाद पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार करेंगे। कई बार वह आर्थिक मामलों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना कर चुके हैं। 2014 से 2019 के दौरान उनके बेटे जयंत सिन्हा वित्त राज्यमंत्री थे, लेकिन उस दौरान भी उन्होंने कई बार पार्टी नेतृत्व की आलोचना की थी।

यशवंत सिन्हा मुख्य रूप से पटना के रहने वाले हैं। वहीं, इनकी पढ़ाई लिखाई भी हुईं। 1958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर की डिग्री हासिल की। इसके बाद  1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए 24 साल से अधिक तक सेवा दिए। इसके बाद यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। चार साल बाद 1988 में उन्हें राज्य सभा सदस्य चुना गया। वहीं, मार्च 1998 में अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। लोकसभा में यशवंत सिन्हा बिहार के हजारीबाग जो कि अब झारंखड में है, क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हजारीबाग सीट से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, अगले साल ही 2005 में वे फिर संसद पहुंचे। इसके बाद साल 2009 में वे बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।


 

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