MP : जातिसूचक टोले-गांव के नाम बदलने की मांग, राष्ट्रपति व सीएम को कांग्रेस ने लिखा पत्र

Written by sabrang india | Published on: January 15, 2025
कांग्रेस ने कहा कि जब मुख्यमंत्री उर्दू के 'मौलाना' जैसे शब्दों पर अपनी कलम रोक सकते हैं, तो जातिसूचक नामों पर चुप्पी क्यों?


साभार : फ्री प्रेस जॉर्नल

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश में जातीय भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि जातिसूचक शब्दों से संबंधित गांवों, टोलों और स्कूलों के नाम तत्काल बदलें जाएं। ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि यह कदम समाज में समानता को बढ़ावा देने और सामाजिक एकता को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को एक पत्र लिखकर जाति सूचक नामों वाले इलाकों के नाम बदलने की मांग की है। भूपेंद्र गुप्ता ने सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सरकार उर्दू में गांव के नामों को लेकर चिंतित है, तो जाति सूचक शब्दों से जुड़े गांवों के नामकरण पर उसे आपत्ति क्यों नहीं होती?

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, भूपेंद्र गुप्ता ने अपने पत्र में लिखा है कि टीकमगढ़ जिले में यूईजीएस स्कूलों में लोहारपुरा, ढिमरौला, ढिमरयाना, चमरौला खिलक जैसे नाम हैं, जो संवैधानिक रूप से गलत हैं और सामाजिक रूप से आपत्तिजनक भी हैं। ऐसे नाम हर जिले में सैकड़ों की तादाद में मिल सकते हैं, इन्हें बदलकर संतों, महापुरुषों के नाम पर नए नामकरण किए जाएं।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में राज्य के कई गांव, टोलों और स्कूलों के नाम जातिसूचक हैं, जो भेदभावपूर्ण मानसिकता को बढ़ावा देते हैं। ये नाम समाज के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए अपमानजनक और असंवेदनशील हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने इस मुद्दे को सरकार की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि ऐसे नामों को तत्काल प्रभाव से बदला जाना चाहिए ताकि समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा मिले।

ज्ञापन के अनुसार, राज्य के कई गांवों और स्कूलों के नामों में जातिसूचक शब्द शामिल हैं। इनमें प्रमुख नामों में लोहारपुरा, भिलायट, धिमरगांव, कोलसरा, चमारटोली, तेलीपुरा, अज्जीपुरा और अन्य कई नाम शामिल हैं। ये नाम न केवल जातीय पहचान को स्थायी रूप से चिन्हित करते हैं, बल्कि समाज में जातिगत भेदभाव और असमानता की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार से अपील की है कि इन नामों को बदलने की प्रक्रिया में तेजी लाया जाए और इसे संवेदनशील दृष्टिकोण से इस पर विचार किया जाए। साथ ही, नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों और उनके प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, ताकि सभी की सहमति से नए नाम तय किए जा सकें। ज्ञापन में यह भी सुझाव दिया गया है कि सरकार को नाम परिवर्तन के मुद्दे पर एक सार्वजनिक पोर्टल शुरू करना चाहिए, जहां नागरिक अपनी राय दे सकें और नामों से संबंधित सुझाव साझा कर सकें।

कांग्रेस ने इस कदम को सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में देखा है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस हमेशा समाज में समानता और बंधुत्व की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए काम करती रही है। जातिसूचक नामों का परिवर्तन न केवल संवैधानिक मूल्यों का सम्मान होगा, बल्कि यह समाज में भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित होगा।

ज्ञापन के अंत में मुख्यमंत्री से यह अनुरोध किया गया है कि वे इस मामले में शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई करें। साथ ही, इस ज्ञापन की एक प्रति राष्ट्रपति को भी भेजी गई है, ताकि इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाया जा सके।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता,भूपेंद्र गुप्ता ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "जब मुख्यमंत्री उर्दू के 'मौलाना' जैसे शब्दों पर अपनी कलम रोक सकते हैं, तो जातिसूचक नामों पर चुप्पी क्यों? ये नाम संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ हैं और समाज के वंचित वर्गों के लिए अपमानजनक हैं। हमने मुख्यमंत्री से मांग की है कि ऐसे नामों को बदलकर संतों और महापुरुषों के नाम पर रखा जाए, ताकि समाज में समानता और बंधुत्व को बढ़ावा दिया जा सके।"

एससी कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने द मूकनायक से कहा, "मुख्यमंत्री की कलम जातिसूचक शब्दों पर क्यों चलती है? यदि उनकी कलम इन शब्दों को लिखने में नहीं रुक रही तो यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है, जो जातीय भेदभाव और दलित समाज के प्रति संवेदनहीनता को उजागर करता है। मुख्यमंत्री को ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए और समाज को एकजुट करने की दिशा में काम करना चाहिए।, हम जल्द ही आंदोलन करेंगे।"

मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने गत रविवार को उज्जैन जिले के तीन गांवों के नाम बदलने की घोषणा की, जिनमें मौलाना, गजनीखेड़ी और जहांगीरपुर शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने इस बदलाव का कारण बताते हुए कहा कि मौलाना जैसे नाम लिखते समय पेन अटकता है और इसलिए इसे अब विक्रम नगर के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा, जहांगीरपुर को अब जगदीशपुर और गजनीखेड़ी को चामुंडा माता नगरी के नाम से पुकारा जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री ने उज्जैन के बड़नगर में सीएम राइज स्कूल के उद्घाटन के दौरान की।

नाम परिवर्तन की यह पहल मुख्यमंत्री के उज्जैन और इंदौर दौरे के दौरान सामने आई। इस फैसले को लेकर राज्य से तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ इसे सांस्कृतिक पहचान को पुनःस्थापित करने का प्रयास मानते हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा कह रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह निर्णय जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, और गांवों के नाम उनकी परंपरा, संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप चुने गए हैं।

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