"भागवत अगर किसी दूसरे देश में ऐसा बयान देते तो इसे देशद्रोह मानकर गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता।"
कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से साभार
"नए कांग्रेस मुख्यालय 'इंदिरा भवन' में बोलते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर यह सुझाव देने के लिए देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए कि जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी उस दिन भारत को 'सच्ची आजादी' मिली थी। कहा भागवत अगर किसी दूसरे देश में ऐसा बयान देते तो इसे देशद्रोह मानकर गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता।"
राहुल गांधी ने नई दिल्ली में बुधवार को नए कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर भागवत के बयान का जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, ''हमें ये मुख्यालय एक खास समय में मिला है। मेरा मानना है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत 1947 में आज़ाद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत को सच्ची आज़ादी उस दिन मिली जब राम मंदिर बना। वो कहते हैं कि संविधान हमारी आज़ादी का प्रतीक नहीं है।''
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी केवल भाजपा और आरएसएस जो “हमारे देश की हर संस्था पर कब्जा कर चुके हैं”- के खिलाफ ही नहीं लड़ रही है, बल्कि वह “भारतीय राज्य” के खिलाफ भी एक “सभ्यतागत युद्ध” लड़ रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय “इंदिरा भवन” के उद्घाटन के मौके पर कांग्रेस की वैचारिक लड़ाई पर अपना रुख स्पष्ट किया।
राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ पार्टी व उसके मातृ संगठन आरएसएस की तीखी आलोचना की, विशेष रूप से सरसंघचालक मोहन भागवत के मंगलवार को दिए, “सच्ची स्वतंत्रता” के बयान को राहुल ने राजद्रोह करार दिया और कहा कि इसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमे का सामना करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि “हम इन लोगों की बेतुकी बातों को सुनना बंद करें, जो वे लगातार दोहराते और चिल्लाते रहते हैं।” राहुल गांधी ने आगे कहा, “मोहन भागवत में यह दुस्साहस है कि वह हर दो-तीन दिन में देश को बताएं कि स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में उनके क्या विचार है, संविधान के बारे में उनका क्या विचार है। वास्तव में, उन्होंने कल जो कहा वह राजद्रोह है, क्योंकि वह यह कहता है कि संविधान अमान्य है। यह कहता है कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ पूरी लड़ाई अमान्य है, और उन्होंने यह बात सार्वजनिक रूप से कहने का दुस्साहस किया। किसी अन्य देश में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमे का सामना करना पड़ता। यह सच्चाई है। 1947 में भारत को स्वतंत्रता नहीं मिलने की बात कहना हर भारतीय का अपमान है।”
राहुल गांधी ने कहा, ''मोहन भागवत ये कह रहे थे कि संविधान बेमानी है। उनके बयान का मतलब ये है कि ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ लड़कर हासिल की गई हर चीज़ बेमानी है और उनके अंदर इतना दुस्साहस है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बात कह रहे हैं। मोहन भागवत ने अगर ये बयान किसी और देश में दिया होता तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होती। ये देशद्रोह करार दिया जाता और वो गिरफ़्तार हो जाते।'' राहुल गांधी ने कहा, ''भागवत कह रहे हैं कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। ऐसा कहना हर भारतीय का अपमान है। अब हमें इस तरह की बकवास को सुनना बंद कर देना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा,'' आरएसएस की विचारधारा की तरह हमारी विचारधारा भी हजारों साल साल पुरानी है। हमारी विचारधारा हजारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ती आ रही है। लेकिन यह मत समझिये हम एक ऐसी लड़ाई लड़ रहे हैं जिसके नियम पारदर्शी हैं। इस लड़ाई में कोई पारदर्शिता नहीं है। अगर आप समझते हैं कि हम सिर्फ बीजेपी या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं तो आप ये समझ नहीं पा रहे हैं आख़िर हो क्या रहा है। हम बीजेपी, आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।'' उन्होंने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी चेताते हुए कहा कि यह केवल भाजपा या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठन से लड़ाई नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे देश में वर्तमान स्थिति की सच्चाई को समझने में विफल हैं।
‘चुनाव आयोग से खुश नहीं’
अपने तर्क को और मजबूत करने के लिए, राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि “हमारे चुनावी प्रणाली में गंभीर समस्या है, और हमें चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराए जाने के तरीके पर भरोसा नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में “कुछ गड़बड़” हुई, जिसमें भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की और विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, को करारी हार का सामना करना पड़ा। राहुल ने दावा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2024 के विधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में एक करोड़ से अधिक नए मतदाता जोड़े गए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उन्हें उन लोगों के नाम और पते देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में मतदान किया।
राहुल ने कहा, “चुनाव आयोग को यह सूची देने से क्या नुकसान होगा, और वे यह सूची क्यों नहीं दे रहे हैं? चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का कर्तव्य है। अगर महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच मतदाताओं की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई है, तो यह चुनाव आयोग का कर्तव्य और पवित्र जिम्मेदारी है कि वह हमें दिखाए कि यह कैसे हुआ, और वे ऐसा करने से इनकार कर रहे हैं।”
खास यह भी कि नया मुख्यालय कांग्रेस की यात्रा को दर्शाने के लिए बनाया गया है, जिसमें 1885 में इसके पहले अध्यक्ष वॉमेश चंद्र बैनर्जी के कार्यकाल से लेकर वर्तमान अध्यक्ष खड़गे तक की जानकारी शामिल होगी। भवन के चार मंजिलों को आगंतुकों को पार्टी के अतीत और वर्तमान की झलक देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक पुस्तकालय भी है, जिसका नाम दिवंगत मनमोहन सिंह के नाम पर रखा गया है। राहुल गांधी ने कहा कि यह नया भवन, जिसकी निर्माण प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी, उन लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून और पसीने से बना है, जिन्होंने देश की आज़ादी से पहले और उसके बाद दशकों तक संघर्ष किया। इसका शिलान्यास 2009 में तब किया गया था जब केंद्र में कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी।
उन्होंने कहा, “लेकिन अब यह ज़रूरी है कि हम इस भवन से विचारों को लें और कांग्रेस के नेताओं की तरह इन्हें देश की मिट्टी तक फैलाएं क्योंकि हम इन लोगों के साथ एक सभ्यता के युद्ध में लड़ रहे हैं। वे हर दिन उन विचारों पर हमला कर रहे हैं, जिन पर हम विश्वास करते हैं। और केवल यही संगठन, इस कमरे में मौजूद लोग और इस संगठन के लाखों कार्यकर्ता इसे रोकने का साहस और क्षमता रखते हैं। हम एक वैचारिक पार्टी हैं और हमारी विचारधारा कल नहीं उभरी है।” राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी ने भारत के लिए एक ऐसा अंधकारमय दृष्टिकोण पेश किया है, जो देश की सभ्यता की भावना के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने कहा, “मत भूलिए कि आज जो लोग सत्ता में हैं, वे तिरंगे को सलाम नहीं करते, राष्ट्रीय ध्वज में विश्वास नहीं करते, संविधान में विश्वास नहीं करते। वे चाहते हैं कि भारत को एक छिपे हुए, गुप्त समाज द्वारा चलाया जाए। वे चाहते हैं कि भारत को एक आदमी चलाए और इस देश की आवाज़ को दबा दिया जाए। वे दलितों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। वे अल्पसंख्यकों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। वे पिछड़े वर्गों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। यही उनका एजेंडा है।”
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को 'सच्ची आज़ादी' का दिन बता कर अपनी गलती सुधारने की कोशिश की है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता ने बीबीसी को भागवत के इस बयान के मायने समझाते हुए कहा, "भागवत ने कुछ समय पहले कहा था अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर 'हिंदुओं के नेता' बन सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर की खोज बंद कर देनी चाहिए। लेकिन अब मोहन भागवत ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आज़ादी का दिन बता कर 'अपनी गलती सुधार' ली है।" हालांकि शरद गुप्ता ये भी कहते हैं कि इस बयान से भागवत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। मसलन उनका कहना है कि एक तरफ तो भागवत ने बीजेपी से संघ के कथित तनाव को कम करने की कोशिश की है तो दूसरी ओर हिंदुत्व समर्थकों को ये भी बता दिया है कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही बीजेपी को चुनावी सफलता मिली है। इसलिए एक तरह से ये हिंदुत्व समर्थकों को ये भी बताना है कि अगर उन्हें इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो वो इस लहर को धीमा न पड़ने दें और बीजेपी का समर्थन करते रहें।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में 'इंडियन स्टेट' से लड़ने की बात कही। इसे लेकर कई जगह उनकी भी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि राहुल गांधी भागवत पर देशद्रोह का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इंडियन स्टेट से लड़ने की बात कर वो खुद देश के ख़िलाफ़ बगावत की बात कर रहे हैं। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार लेखक रशीद किदवई ने बीबीसी से कहा,'' राहुल के बयान को सही संदर्भ में समझने की ज़रूरत है। जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था तब भी विपक्ष के लोगों का कहना था कि कांग्रेस ने देश के सारे संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। उस समय वो भी इंडियन स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ने की बात करते थे। क्योंकि उनका मानना था कि इंदिरा गांधी ने 'इंडियन स्टेट' की सारी ताकतों को खुद में समाहित कर लिया है। यही बात अब बीजेपी और आरएसएस के संदर्भ में राहुल गांधी कर रहे हैं।''
राहुल गांधी का 'इंडियन स्टेट' के ख़िलाफ़ दिए गए बयान को गंभीर न बताते हुए राशिद किदवई कहते हैं कि ये राजनीतिक शब्दावली है। दरअसल, हर अपराध 'भारतीय राष्ट्र' के ख़िलाफ़ होता है। ऐसे में तो हर अपराध को राष्ट्र के ख़िलाफ़ बगावत मान लेना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। आपातकाल के समय में विपक्ष भी इंडियन स्टेट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की बात कहता था। क्योंकि उसका मानना था कि इंदिरा गांधी ने इंडियन स्टेट के सारे उपकरणों पर कब्ज़ा कर लिया है।
कांग्रेस के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से साभार
"नए कांग्रेस मुख्यालय 'इंदिरा भवन' में बोलते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर यह सुझाव देने के लिए देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए कि जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी उस दिन भारत को 'सच्ची आजादी' मिली थी। कहा भागवत अगर किसी दूसरे देश में ऐसा बयान देते तो इसे देशद्रोह मानकर गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता।"
राहुल गांधी ने नई दिल्ली में बुधवार को नए कांग्रेस मुख्यालय के उद्घाटन के मौके पर भागवत के बयान का जवाब दिया। राहुल गांधी ने कहा, ''हमें ये मुख्यालय एक खास समय में मिला है। मेरा मानना है कि इसका प्रतीकात्मक महत्व है क्योंकि कल आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत 1947 में आज़ाद नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि भारत को सच्ची आज़ादी उस दिन मिली जब राम मंदिर बना। वो कहते हैं कि संविधान हमारी आज़ादी का प्रतीक नहीं है।''
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी केवल भाजपा और आरएसएस जो “हमारे देश की हर संस्था पर कब्जा कर चुके हैं”- के खिलाफ ही नहीं लड़ रही है, बल्कि वह “भारतीय राज्य” के खिलाफ भी एक “सभ्यतागत युद्ध” लड़ रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने नई दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय “इंदिरा भवन” के उद्घाटन के मौके पर कांग्रेस की वैचारिक लड़ाई पर अपना रुख स्पष्ट किया।
राहुल गांधी ने सत्तारूढ़ पार्टी व उसके मातृ संगठन आरएसएस की तीखी आलोचना की, विशेष रूप से सरसंघचालक मोहन भागवत के मंगलवार को दिए, “सच्ची स्वतंत्रता” के बयान को राहुल ने राजद्रोह करार दिया और कहा कि इसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमे का सामना करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि “हम इन लोगों की बेतुकी बातों को सुनना बंद करें, जो वे लगातार दोहराते और चिल्लाते रहते हैं।” राहुल गांधी ने आगे कहा, “मोहन भागवत में यह दुस्साहस है कि वह हर दो-तीन दिन में देश को बताएं कि स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में उनके क्या विचार है, संविधान के बारे में उनका क्या विचार है। वास्तव में, उन्होंने कल जो कहा वह राजद्रोह है, क्योंकि वह यह कहता है कि संविधान अमान्य है। यह कहता है कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ पूरी लड़ाई अमान्य है, और उन्होंने यह बात सार्वजनिक रूप से कहने का दुस्साहस किया। किसी अन्य देश में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमे का सामना करना पड़ता। यह सच्चाई है। 1947 में भारत को स्वतंत्रता नहीं मिलने की बात कहना हर भारतीय का अपमान है।”
राहुल गांधी ने कहा, ''मोहन भागवत ये कह रहे थे कि संविधान बेमानी है। उनके बयान का मतलब ये है कि ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ लड़कर हासिल की गई हर चीज़ बेमानी है और उनके अंदर इतना दुस्साहस है कि वो सार्वजनिक तौर पर ये बात कह रहे हैं। मोहन भागवत ने अगर ये बयान किसी और देश में दिया होता तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होती। ये देशद्रोह करार दिया जाता और वो गिरफ़्तार हो जाते।'' राहुल गांधी ने कहा, ''भागवत कह रहे हैं कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली। ऐसा कहना हर भारतीय का अपमान है। अब हमें इस तरह की बकवास को सुनना बंद कर देना चाहिए।
राहुल गांधी ने कहा,'' आरएसएस की विचारधारा की तरह हमारी विचारधारा भी हजारों साल साल पुरानी है। हमारी विचारधारा हजारों साल से आरएसएस की विचारधारा से लड़ती आ रही है। लेकिन यह मत समझिये हम एक ऐसी लड़ाई लड़ रहे हैं जिसके नियम पारदर्शी हैं। इस लड़ाई में कोई पारदर्शिता नहीं है। अगर आप समझते हैं कि हम सिर्फ बीजेपी या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठन से लड़ रहे हैं तो आप ये समझ नहीं पा रहे हैं आख़िर हो क्या रहा है। हम बीजेपी, आरएसएस और अब खुद इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।'' उन्होंने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी चेताते हुए कहा कि यह केवल भाजपा या आरएसएस जैसे राजनीतिक संगठन से लड़ाई नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे देश में वर्तमान स्थिति की सच्चाई को समझने में विफल हैं।
‘चुनाव आयोग से खुश नहीं’
अपने तर्क को और मजबूत करने के लिए, राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि “हमारे चुनावी प्रणाली में गंभीर समस्या है, और हमें चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कराए जाने के तरीके पर भरोसा नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में “कुछ गड़बड़” हुई, जिसमें भाजपा-नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की और विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, को करारी हार का सामना करना पड़ा। राहुल ने दावा किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2024 के विधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में एक करोड़ से अधिक नए मतदाता जोड़े गए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने उन्हें उन लोगों के नाम और पते देने से इनकार कर दिया, जिन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में मतदान किया।
राहुल ने कहा, “चुनाव आयोग को यह सूची देने से क्या नुकसान होगा, और वे यह सूची क्यों नहीं दे रहे हैं? चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का कर्तव्य है। अगर महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच मतदाताओं की संख्या में एक करोड़ की वृद्धि हुई है, तो यह चुनाव आयोग का कर्तव्य और पवित्र जिम्मेदारी है कि वह हमें दिखाए कि यह कैसे हुआ, और वे ऐसा करने से इनकार कर रहे हैं।”
खास यह भी कि नया मुख्यालय कांग्रेस की यात्रा को दर्शाने के लिए बनाया गया है, जिसमें 1885 में इसके पहले अध्यक्ष वॉमेश चंद्र बैनर्जी के कार्यकाल से लेकर वर्तमान अध्यक्ष खड़गे तक की जानकारी शामिल होगी। भवन के चार मंजिलों को आगंतुकों को पार्टी के अतीत और वर्तमान की झलक देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एक पुस्तकालय भी है, जिसका नाम दिवंगत मनमोहन सिंह के नाम पर रखा गया है। राहुल गांधी ने कहा कि यह नया भवन, जिसकी निर्माण प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी, उन लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खून और पसीने से बना है, जिन्होंने देश की आज़ादी से पहले और उसके बाद दशकों तक संघर्ष किया। इसका शिलान्यास 2009 में तब किया गया था जब केंद्र में कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी।
उन्होंने कहा, “लेकिन अब यह ज़रूरी है कि हम इस भवन से विचारों को लें और कांग्रेस के नेताओं की तरह इन्हें देश की मिट्टी तक फैलाएं क्योंकि हम इन लोगों के साथ एक सभ्यता के युद्ध में लड़ रहे हैं। वे हर दिन उन विचारों पर हमला कर रहे हैं, जिन पर हम विश्वास करते हैं। और केवल यही संगठन, इस कमरे में मौजूद लोग और इस संगठन के लाखों कार्यकर्ता इसे रोकने का साहस और क्षमता रखते हैं। हम एक वैचारिक पार्टी हैं और हमारी विचारधारा कल नहीं उभरी है।” राहुल गांधी ने कहा कि आरएसएस और बीजेपी ने भारत के लिए एक ऐसा अंधकारमय दृष्टिकोण पेश किया है, जो देश की सभ्यता की भावना के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने कहा, “मत भूलिए कि आज जो लोग सत्ता में हैं, वे तिरंगे को सलाम नहीं करते, राष्ट्रीय ध्वज में विश्वास नहीं करते, संविधान में विश्वास नहीं करते। वे चाहते हैं कि भारत को एक छिपे हुए, गुप्त समाज द्वारा चलाया जाए। वे चाहते हैं कि भारत को एक आदमी चलाए और इस देश की आवाज़ को दबा दिया जाए। वे दलितों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। वे अल्पसंख्यकों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। वे पिछड़े वर्गों की आवाज़ को दबाना चाहते हैं। यही उनका एजेंडा है।”
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को 'सच्ची आज़ादी' का दिन बता कर अपनी गलती सुधारने की कोशिश की है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शरद गुप्ता ने बीबीसी को भागवत के इस बयान के मायने समझाते हुए कहा, "भागवत ने कुछ समय पहले कहा था अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर 'हिंदुओं के नेता' बन सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा था कि हमें हर मस्जिद के नीचे मंदिर की खोज बंद कर देनी चाहिए। लेकिन अब मोहन भागवत ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को सच्ची आज़ादी का दिन बता कर 'अपनी गलती सुधार' ली है।" हालांकि शरद गुप्ता ये भी कहते हैं कि इस बयान से भागवत ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। मसलन उनका कहना है कि एक तरफ तो भागवत ने बीजेपी से संघ के कथित तनाव को कम करने की कोशिश की है तो दूसरी ओर हिंदुत्व समर्थकों को ये भी बता दिया है कि राम मंदिर के बाद आई सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लहर की वजह से ही बीजेपी को चुनावी सफलता मिली है। इसलिए एक तरह से ये हिंदुत्व समर्थकों को ये भी बताना है कि अगर उन्हें इस देश में अपनी सरकार चाहिए तो वो इस लहर को धीमा न पड़ने दें और बीजेपी का समर्थन करते रहें।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में 'इंडियन स्टेट' से लड़ने की बात कही। इसे लेकर कई जगह उनकी भी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि राहुल गांधी भागवत पर देशद्रोह का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इंडियन स्टेट से लड़ने की बात कर वो खुद देश के ख़िलाफ़ बगावत की बात कर रहे हैं। हालांकि वरिष्ठ पत्रकार लेखक रशीद किदवई ने बीबीसी से कहा,'' राहुल के बयान को सही संदर्भ में समझने की ज़रूरत है। जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था तब भी विपक्ष के लोगों का कहना था कि कांग्रेस ने देश के सारे संस्थानों पर कब्जा कर लिया है। उस समय वो भी इंडियन स्टेट के ख़िलाफ़ लड़ने की बात करते थे। क्योंकि उनका मानना था कि इंदिरा गांधी ने 'इंडियन स्टेट' की सारी ताकतों को खुद में समाहित कर लिया है। यही बात अब बीजेपी और आरएसएस के संदर्भ में राहुल गांधी कर रहे हैं।''
राहुल गांधी का 'इंडियन स्टेट' के ख़िलाफ़ दिए गए बयान को गंभीर न बताते हुए राशिद किदवई कहते हैं कि ये राजनीतिक शब्दावली है। दरअसल, हर अपराध 'भारतीय राष्ट्र' के ख़िलाफ़ होता है। ऐसे में तो हर अपराध को राष्ट्र के ख़िलाफ़ बगावत मान लेना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। आपातकाल के समय में विपक्ष भी इंडियन स्टेट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की बात कहता था। क्योंकि उसका मानना था कि इंदिरा गांधी ने इंडियन स्टेट के सारे उपकरणों पर कब्ज़ा कर लिया है।