2025 की शुरुआत में महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के 767 मामले, विपक्ष ने जताई चिंता

Written by sabrang india | Published on: July 4, 2025
महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास मंत्री मकरंद पाटिल ने विधान परिषद में बताया कि 2025 के पहली तिमाही में राज्य में किसानों की आत्महत्या के कुल 767 मामले दर्ज हुए हैं। यह जानकारी विपक्षी विधायकों द्वारा राज्य में किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं के मुद्दे को उठाने के बाद सामने आई है।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : न्यूज मिनट

महाराष्ट्र के राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री मकरंद पाटिल ने विधान परिषद में एक लिखित उत्तर में जानकारी दी कि साल 2025 की पहली तिमाही में महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के कुल 767 मामले दर्ज किए गए।

राज्य में किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं का मुद्दा विपक्षी विधायकों द्वारा उठाए जाने के बाद पाटिल ने यह जवाब विधान परिषद में दिया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पाटिल ने अपने लिखित जवाब में बताया कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच किसानों की आत्महत्या के कुल 767 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 373 किसान सरकारी सहायता के पात्र पाए गए, जबकि 200 मामलों में पीड़ित परिवारों को सहायता नहीं मिल सकेगी क्योंकि वे सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों पर खरे नहीं उतरे। शेष 194 मामलों की जांच अभी भी जारी है।

जवाब में यह भी जिक्र किया गया कि पात्र पाए गए 373 मामलों में से 327 में मृत किसानों के उत्तराधिकारियों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।

गौरतलब है कि मौजूदा समय में महाराष्ट्र सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है।

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में महाराष्ट्र में करीब 2,635 किसानों ने आत्महत्या की, जबकि 2023 में यह संख्या लगभग 2,851 थी।

खबरों के अनुसार, राहत एवं पुनर्वास मंत्री ने जानकारी दी कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच पश्चिमी विदर्भ के यवतमाल, अमरावती, अकोला, बुलढाणा और वाशिम जिलों में कुल 257 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें से केवल 75 मामलों में पीड़ित किसानों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी गई, जबकि 74 आवेदनों को खारिज कर दिया गया। इसी अवधि में मराठवाड़ा क्षेत्र के हिंगोली जिले से भी 24 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं।

ज्ञात हो कि बुधवार, 3 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने किसानों की आत्महत्या और सोयाबीन किसानों को सरकारी एजेंसियों द्वारा फसल खरीद के बावजूद भुगतान न किए जाने के मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर दिया।

उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को देश में किसान आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों से किए अपने वादे तोड़े हैं और बड़े व्यापारिक तबकों की खुशामद में लगी हुई है।



गांधी ने एक्स पर लिखा, “सोचिए.. सिर्फ 3 महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या कर ली। क्या ये सिर्फ एक आंकड़ा है? नहीं। ये 767 उजड़े हुए घर हैं। 767 परिवार जो कभी नहीं संभल पाएंगे। और सरकार? चुप है। बेरुख़ी से देख रही है। किसान हर दिन कर्ज़ में और गहराई तक डूब रहा है - बीज महंगे हैं, खाद महंगी है, डीज़ल महंगा है.. लेकिन MSP की कोई गारंटी नहीं। जब वो कर्ज़ माफ़ी की मांग करते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। लेकिन जिनके पास करोड़ों हैं? उनके लोन मोदी सरकार आराम से माफ कर देती है। आज की ही खबर देख लीजिए - अनिल अंबानी का ₹48,000 करोड़ का SBI “फ्रॉड”। मोदी जी ने कहा था, किसान की आमदनी दोगुनी करेंगे - आज हाल ये है कि अन्नदाता की ज़िंदगी ही आधी हो रही है। ये सिस्टम किसानों को मार रहा है - चुपचाप, लेकिन लगातार और मोदी जी अपने ही PR का तमाशा देख रहे हैं।”

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, हर दिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस गंभीर स्थिति के प्रति बेपरवाह नजर आ रही है। जनवरी से मार्च 2025 के बीच 767 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 200 मामलों को मृतक किसानों के परिजनों को सहायता देने के लिए अयोग्य ठहराया गया, जबकि 194 मामलों की जांच अब भी लंबित है।

प्रख्यात पत्रकार पी. साइनाथ ने जून में छत्रपति संभाजीनगर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि खेती के काम में लगे लोगों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने कहा, “2001 की जनगणना में किसानों की संख्या में 7.2 मिलियन की गिरावट आई। वहीं 2011 की जनगणना में इसमें और 7.7 मिलियन की कमी हुई।” उन्होंने आगे बताया, “देश में हर दिन लगभग 2,000 किसान बढ़ते कर्ज और कम आय के कारण खेती छोड़ रहे हैं।” 

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