मंत्री तटकरे ने कहा कि सरकार ने कुपोषण को कम करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को ताजा और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना शामिल है।

प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : न्यू इंडियन एक्सप्रेस
महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने गुरुवार को एक लिखित उत्तर में बताया कि फरवरी 2025 के पोषण ट्रैक डेटा के अनुसार, कुल 48,59,346 बच्चों का वजन और कद मापा गया जिनमें से 30,800 बच्चों को गंभीर स्तर के कुपोषित (Severe Acute Malnutrition) और 1,51,643 बच्चों को मध्यम स्तर के कुपोषित (Medium Acute Malnutrition) से ग्रस्त पाया गया। मंत्री ने यह भी बताया कि शहरी क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बढ़ रही है।
द मूकनायक ने मंत्री के मीडिया को दिए बयान के हवाले से लिखा, मुंबई उपनगर में जिन 2,34,896 बच्चों का वजन और कद मापा गया उनमें से 2,887 बच्चों में गंभीर स्तर के कुपोषण (एसएएम) और 13,457 बच्चों में मध्यम स्तर के कुपोषण (एमएएम) दर्ज किया गया। ठाणे में, कुल 1,85,360 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 844 बच्चों को एसएएम और 7,366 बच्चों को एमएएम की श्रेणी में पाया गया। नासिक में 3,05,628 बच्चों के परीक्षण में 1,852 बच्चे एसएएम और 8,944 बच्चे एमएएम से ग्रस्त पाए गए। पुणे जिले में, 2,98,929 बच्चों में से 1,666 को एसएएम और 7,410 को एमएएम के अंतर्गत चिन्हित किया गया। धुले में 1,41,906 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 1,741 एसएएम और 6,377 एमएएम श्रेणी में आए। छत्रपति संभाजीनगर में 1,439 बच्चे एसएएम और 6,487 बच्चे एमएएम से प्रभावित पाए गए। नागपुर में 1,373 बच्चों को एसएएम और 6,715 को एमएएम श्रेणी में दर्ज किया गया।
मंत्री के अनुसार, आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका की कुल 2,21,338 स्वीकृत पदों में से सरकार ने 2,17,736 पदों पर नियुक्ति कर दी है, जबकि शेष पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, सरकार ने बाल विकास परियोजना अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मंत्री तटकरे ने बताया कि सरकार ने कुपोषण को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं, जिनमें एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) के तहत गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को ताजा और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना शामिल है। इसी तरह, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अमृत योजना के तहत भी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं तथा बच्चों को भोजन दिया जा रहा है। इसके अलावा, गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों को ऊर्जा वाला पोषण आहार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इसके अलावा, सरकार कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सहित विभिन्न योजनाएं भी लागू कर रही है। हाल ही में, मंत्री ने शहरी क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए सुपोषित मुंबई अभियान और शहरी बाल विकास केंद्र योजना की शुरुआत की। शहरी बाल विकास योजना के तहत स्थापित ये केंद्र गर्भावस्था से लेकर जीवन के पहले 1,000 दिनों तक माताओं और बच्चों को उचित पोषण सुनिश्चित करने में बेहद लाभकारी होंगे। सुपोषित मुंबई अभियान और शहरी बाल विकास केंद्र योजना मुंबई और उसके उपनगरों में बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने के उद्देश्य से लागू की जा रही हैं।
आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल के आंकड़ों के मुताबिक गंभीर रूप से कुपोषित (Severe Acute Malnutrition - SAM) से भारत में 10 लाख से कम बच्चे प्रभावित हैं। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में दी थी।
उच्च सदन को लिखित उत्तर में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि गंभीर रूप से कुपोषित की पहचान और प्रबंधन एक सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा, "गंभीर रूप से कुपोषित की पहचान और प्रबंधन चल रही प्रक्रिया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अब एसएएम से प्रभावित बच्चों की संख्या 10 लाख से कम है।"
स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि पोषण सामग्री, वितरण, पहुंच और परिणामों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य ऐसे कार्यों का विकास करना है जो स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और रोगों तथा कुपोषण से प्रतिरक्षा को बढ़ावा दें।
उन्होंने कहा, "पोषण की गुणवत्ता और परीक्षण में सुधार, वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने और शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि पूरक पोषण की गुणवत्ता खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 एवं संबंधित नियमों के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार हो।"

प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : न्यू इंडियन एक्सप्रेस
महाराष्ट्र की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने गुरुवार को एक लिखित उत्तर में बताया कि फरवरी 2025 के पोषण ट्रैक डेटा के अनुसार, कुल 48,59,346 बच्चों का वजन और कद मापा गया जिनमें से 30,800 बच्चों को गंभीर स्तर के कुपोषित (Severe Acute Malnutrition) और 1,51,643 बच्चों को मध्यम स्तर के कुपोषित (Medium Acute Malnutrition) से ग्रस्त पाया गया। मंत्री ने यह भी बताया कि शहरी क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बढ़ रही है।
द मूकनायक ने मंत्री के मीडिया को दिए बयान के हवाले से लिखा, मुंबई उपनगर में जिन 2,34,896 बच्चों का वजन और कद मापा गया उनमें से 2,887 बच्चों में गंभीर स्तर के कुपोषण (एसएएम) और 13,457 बच्चों में मध्यम स्तर के कुपोषण (एमएएम) दर्ज किया गया। ठाणे में, कुल 1,85,360 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 844 बच्चों को एसएएम और 7,366 बच्चों को एमएएम की श्रेणी में पाया गया। नासिक में 3,05,628 बच्चों के परीक्षण में 1,852 बच्चे एसएएम और 8,944 बच्चे एमएएम से ग्रस्त पाए गए। पुणे जिले में, 2,98,929 बच्चों में से 1,666 को एसएएम और 7,410 को एमएएम के अंतर्गत चिन्हित किया गया। धुले में 1,41,906 बच्चों की जांच की गई, जिनमें से 1,741 एसएएम और 6,377 एमएएम श्रेणी में आए। छत्रपति संभाजीनगर में 1,439 बच्चे एसएएम और 6,487 बच्चे एमएएम से प्रभावित पाए गए। नागपुर में 1,373 बच्चों को एसएएम और 6,715 को एमएएम श्रेणी में दर्ज किया गया।
मंत्री के अनुसार, आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका की कुल 2,21,338 स्वीकृत पदों में से सरकार ने 2,17,736 पदों पर नियुक्ति कर दी है, जबकि शेष पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा, सरकार ने बाल विकास परियोजना अधिकारियों और पर्यवेक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मंत्री तटकरे ने बताया कि सरकार ने कुपोषण को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं, जिनमें एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) के तहत गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को ताजा और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना शामिल है। इसी तरह, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अमृत योजना के तहत भी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं तथा बच्चों को भोजन दिया जा रहा है। इसके अलावा, गंभीर रूप से कुपोषित (एसएएम) बच्चों को ऊर्जा वाला पोषण आहार भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
इसके अलावा, सरकार कुपोषण को नियंत्रित करने के लिए रियल-टाइम मॉनिटरिंग सहित विभिन्न योजनाएं भी लागू कर रही है। हाल ही में, मंत्री ने शहरी क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए सुपोषित मुंबई अभियान और शहरी बाल विकास केंद्र योजना की शुरुआत की। शहरी बाल विकास योजना के तहत स्थापित ये केंद्र गर्भावस्था से लेकर जीवन के पहले 1,000 दिनों तक माताओं और बच्चों को उचित पोषण सुनिश्चित करने में बेहद लाभकारी होंगे। सुपोषित मुंबई अभियान और शहरी बाल विकास केंद्र योजना मुंबई और उसके उपनगरों में बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने के उद्देश्य से लागू की जा रही हैं।
आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार बीते साल के आंकड़ों के मुताबिक गंभीर रूप से कुपोषित (Severe Acute Malnutrition - SAM) से भारत में 10 लाख से कम बच्चे प्रभावित हैं। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में दी थी।
उच्च सदन को लिखित उत्तर में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि गंभीर रूप से कुपोषित की पहचान और प्रबंधन एक सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा, "गंभीर रूप से कुपोषित की पहचान और प्रबंधन चल रही प्रक्रिया है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, अब एसएएम से प्रभावित बच्चों की संख्या 10 लाख से कम है।"
स्मृति ईरानी ने यह भी बताया कि पोषण सामग्री, वितरण, पहुंच और परिणामों को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य ऐसे कार्यों का विकास करना है जो स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती और रोगों तथा कुपोषण से प्रतिरक्षा को बढ़ावा दें।
उन्होंने कहा, "पोषण की गुणवत्ता और परीक्षण में सुधार, वितरण व्यवस्था को सुदृढ़ करने और शासन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि पूरक पोषण की गुणवत्ता खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 एवं संबंधित नियमों के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार हो।"