कोलकाता। पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद दो निवर्तमान विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे विभिन्न दलों के तीन प्रत्याशियों की मौत हो चुकी है। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग के हाथ कोविड-19 मरीज़ों के खून से सने हैं, क्योंकि इसके ख़तरे को उन्होंने नज़रअंदाज़ किया।
कोलकाता। कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार की काजल सिन्हा की पत्नी ने बुधवार को पुलिस में शिकायत देकर भारत निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किए जाने की मांग की है।
महिला ने आरोप लगाया है कि आयोग के अधिकारी कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने में विफल रहे हैं और इसी वजह से उनके पति की मौत हुई है। दिवंगत टीएमसी नेता की पत्नी नंदिता सिन्हा ने खड़दह पुलिस थाने में दी अपनी शिकायत में दावा किया है कि उनके पति काजल सिन्हा 21 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और 25 अप्रैल को उनका निधन हो गया।
सिन्हा उत्तर 24 परगना जिले के खड़दह विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थे। नंदिता ने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 269 एवं 270 तथा 304 के तहत मामला दर्ज किए जाने की मांग की।
मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रत्याशियों की मौत इसके संक्रमण के कारण हो चुकी है। बीते 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के निर्वतमान विधायक गौरी शंकर दत्ता का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया। टिकट न मिलने से नाराज होकर पिछले महीने वह भाजपा में शामिल हो गए थे। बीते 17 अप्रैल को पांचवें चरण के चुनाव के दौरान बीरभूम जिले के मुरारई सीट से टीएमसी के निर्वतमान विधायक अब्दुर रहमान की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई।
अब्दुर रहमान से पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरे प्रदीप कुमार नंदी की मौत भी बीते 16 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई थी। उनसे पहले 15 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रेजाउल हक की भी संक्रमण से मौत हो चुकी है। निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज और जंगीपुरा विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है।
बहरहाल बीते 27 अप्रैल को विधानसभा चुनावों के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू करवाने में कथित विफलता को लेकर आलोचना का सामना कर रहे निर्वाचन आयोग ने कहा था कि महामारी के खिलाफ लड़ने से जुड़े कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की आपदा प्रबंधन इकाइयों की है।
चुनाव आयोग का यह बयान आने से एक दिन पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनावों के दौरान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कराने में विफल रहने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सख्त रुख दिखाया था। बीते 26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में महामारी की दूसरी लहर के लिए अकेले ज़िम्मेदार बताया था। अदालत ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल को ही आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूत्रों के अनुसार, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया। इसके अलावा बीते 28 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि प्रत्याशी या उनके एजेंट, जिन्हें कोविड-19 टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं, वे ही दो मई को मतगणना कक्षों में प्रवेश कर सकते हैं। आगामी दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है। इसके अलावा लोकसभा और अन्य विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में डाले गए मतों की गिनती भी होगी।
कोलकाता। कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार की काजल सिन्हा की पत्नी ने बुधवार को पुलिस में शिकायत देकर भारत निर्वाचन आयोग के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किए जाने की मांग की है।
महिला ने आरोप लगाया है कि आयोग के अधिकारी कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने में विफल रहे हैं और इसी वजह से उनके पति की मौत हुई है। दिवंगत टीएमसी नेता की पत्नी नंदिता सिन्हा ने खड़दह पुलिस थाने में दी अपनी शिकायत में दावा किया है कि उनके पति काजल सिन्हा 21 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और 25 अप्रैल को उनका निधन हो गया।
सिन्हा उत्तर 24 परगना जिले के खड़दह विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार थे। नंदिता ने निर्वाचन उपायुक्त सुदीप जैन एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 269 एवं 270 तथा 304 के तहत मामला दर्ज किए जाने की मांग की।
मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों समेत चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रत्याशियों की मौत इसके संक्रमण के कारण हो चुकी है। बीते 28 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के निर्वतमान विधायक गौरी शंकर दत्ता का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में कोरोना वायरस के कारण निधन हो गया। टिकट न मिलने से नाराज होकर पिछले महीने वह भाजपा में शामिल हो गए थे। बीते 17 अप्रैल को पांचवें चरण के चुनाव के दौरान बीरभूम जिले के मुरारई सीट से टीएमसी के निर्वतमान विधायक अब्दुर रहमान की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई।
अब्दुर रहमान से पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरे प्रदीप कुमार नंदी की मौत भी बीते 16 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई थी। उनसे पहले 15 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रेजाउल हक की भी संक्रमण से मौत हो चुकी है। निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज और जंगीपुरा विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है।
बहरहाल बीते 27 अप्रैल को विधानसभा चुनावों के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल लागू करवाने में कथित विफलता को लेकर आलोचना का सामना कर रहे निर्वाचन आयोग ने कहा था कि महामारी के खिलाफ लड़ने से जुड़े कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की आपदा प्रबंधन इकाइयों की है।
चुनाव आयोग का यह बयान आने से एक दिन पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने चुनावों के दौरान कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का पालन कराने में विफल रहने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सख्त रुख दिखाया था। बीते 26 अप्रैल को हाईकोर्ट ने आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में महामारी की दूसरी लहर के लिए अकेले ज़िम्मेदार बताया था। अदालत ने कहा था कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि 27 अप्रैल को ही आयोग ने जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां पर मतगणना के दौरान या उसके बाद में सभी विजयी जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सूत्रों के अनुसार, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया। इसके अलावा बीते 28 अप्रैल को निर्वाचन आयोग की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि प्रत्याशी या उनके एजेंट, जिन्हें कोविड-19 टीके की दोनों खुराकें लग चुकी हैं, वे ही दो मई को मतगणना कक्षों में प्रवेश कर सकते हैं। आगामी दो मई को असम, पश्चिम बंगाल, केरल, पुदुचेरी और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में डाले गए मतों की गिनती होनी है। इसके अलावा लोकसभा और अन्य विधानसभाओं के लिए हुए उपचुनावों में डाले गए मतों की गिनती भी होगी।