70 वर्षीय कैंसर रोगी दल्लेवाल कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य लंबित मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है।
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर खनौरी में 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठे वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के समर्थन में 111 किसानों के एक समूह ने बुधवार को भूख हड़ताल शुरू की।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, 70 वर्षीय कैंसर रोगी दल्लेवाल कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य लंबित मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है।
यह विरोध किसानों के एक बड़े आंदोलन का हिस्सा है, जिनका आरोप है कि सरकार ने फरवरी से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन हो रहे हैं। किसान एमएसपी की गारंटी, एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम की बहाली और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
दल्लेवाल की भूख हड़ताल को अब 51 दिन हो गया है। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि उनकी हालत स्थिर है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले दी गई रिपोर्ट में विसंगतियों पर सवाल उठाने के बाद अपडेटेड मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्टता की कमी पर चिंता जाहिर की और दल्लेवाल के स्वास्थ्य के बारे में अलग अलग रिपोर्टों की ओर इशारा किया।
हाल ही में सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नवाब सिंह के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक के दौरान दल्लेवाल ने मेडिकल इंटरवेंशन से इनकार कर दिया। उन्होंने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने में अदालत की अनिच्छा की आलोचना की जिसमें कहा गया कि इस निष्क्रियता ने कृषक समुदाय को नाउम्मीद कर दिया है।
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि भूख हड़ताल प्रदर्शनकारियों के दृढ़ संकल्प और एकता को दर्शाती है जो शांतिपूर्ण विरोध में शंभू और खनौरी में डेरा डाले हुए हैं। बढ़ते दबाव के बावजूद, सरकार ने अभी तक किसानों के साथ बातचीत शुरू नहीं की है।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने शंभू बॉर्डर पर जहर खाकर कथित तौर पर अपनी जान दे दी, जहां किसान करीब एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेताओं ने बताया था कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी एक पोस्ट में कहा गया, "बहुत दुख और पीड़ा के साथ, हम आपको रेशम सिंह जी के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हैं, जिन्होंने सल्फास खा लिया था। उन्हें पटियाला के राजिंद्र अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने अस्पताल में अपना आखिरी बयान दर्ज कराया।"
तीन सप्ताह के भीतर विरोध स्थल पर यह दूसरी आत्महत्या थी। किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि रेशम सिंह फसलों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की किसानों की मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता से काफी नाराज थे।
मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
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किसानों ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की
दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत के बीच किसानों का 30 दिसंबर को पंजाब बंद का ऐलान
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर खनौरी में 26 नवंबर से भूख हड़ताल पर बैठे वरिष्ठ किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के समर्थन में 111 किसानों के एक समूह ने बुधवार को भूख हड़ताल शुरू की।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, 70 वर्षीय कैंसर रोगी दल्लेवाल कानूनी रूप से गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य लंबित मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है।
यह विरोध किसानों के एक बड़े आंदोलन का हिस्सा है, जिनका आरोप है कि सरकार ने फरवरी से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन हो रहे हैं। किसान एमएसपी की गारंटी, एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, 2013 भूमि अधिग्रहण अधिनियम की बहाली और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
दल्लेवाल की भूख हड़ताल को अब 51 दिन हो गया है। पंजाब सरकार ने दावा किया है कि उनकी हालत स्थिर है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले दी गई रिपोर्ट में विसंगतियों पर सवाल उठाने के बाद अपडेटेड मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्टता की कमी पर चिंता जाहिर की और दल्लेवाल के स्वास्थ्य के बारे में अलग अलग रिपोर्टों की ओर इशारा किया।
हाल ही में सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नवाब सिंह के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक के दौरान दल्लेवाल ने मेडिकल इंटरवेंशन से इनकार कर दिया। उन्होंने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने में अदालत की अनिच्छा की आलोचना की जिसमें कहा गया कि इस निष्क्रियता ने कृषक समुदाय को नाउम्मीद कर दिया है।
किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि भूख हड़ताल प्रदर्शनकारियों के दृढ़ संकल्प और एकता को दर्शाती है जो शांतिपूर्ण विरोध में शंभू और खनौरी में डेरा डाले हुए हैं। बढ़ते दबाव के बावजूद, सरकार ने अभी तक किसानों के साथ बातचीत शुरू नहीं की है।
ज्ञात हो कि बीते सप्ताह तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने शंभू बॉर्डर पर जहर खाकर कथित तौर पर अपनी जान दे दी, जहां किसान करीब एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, किसान नेताओं ने बताया था कि रेशम सिंह को पटियाला के राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी एक पोस्ट में कहा गया, "बहुत दुख और पीड़ा के साथ, हम आपको रेशम सिंह जी के दुखद निधन के बारे में सूचित करते हैं, जिन्होंने सल्फास खा लिया था। उन्हें पटियाला के राजिंद्र अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उनका निधन हो गया। उन्होंने अस्पताल में अपना आखिरी बयान दर्ज कराया।"
तीन सप्ताह के भीतर विरोध स्थल पर यह दूसरी आत्महत्या थी। किसान नेता तेजवीर सिंह ने कहा कि रेशम सिंह फसलों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की किसानों की मांग को पूरा करने में केंद्र सरकार की निष्क्रियता से काफी नाराज थे।
मालूम हो कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र से अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखते हुए 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकालने की घोषणा की है। यह घोषणा प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जारी भूख हड़ताल के दौरान की गई।
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