यूपी: SC छात्रों को MDM के बर्तन धोने, अलग रखने को कहा, प्रधानाध्यापक निलंबित, रसोइया बर्खास्त

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 27, 2021
नई दिल्ली। स्कूल बच्चों का ज्ञानवर्धन करने के लिए भेजा जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश में स्कूल में बच्चों को जातिवाद/छूआछूत के बारे में प्रेक्टिकली सिखाया जाता है। मैनपुरी जिले के एक सरकारी स्कूल से आया मामला तो उपरोक्त कथन की पुष्टि करता नजर आता है। यहां एक स्कूल में अनुसूचित जाति (एससी) के बच्चों को अपनी थाली धुलकर अलग रखवाने का मामला सामने आया है। इसे लेकर स्कूल प्रधानाध्यापक और दो रसोइयों को हटा दिया गया है।



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मैनपुरी में बेवर ब्लॉक के दौदापुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में अनुसूचित जाति के बच्चों को मिड-डे मील के लिए इस्तेमाल की गई थाली को खुद ही धुलकर रसोईघर में अलग रखना पड़ रहा था, जबकि इस विद्यालय में 80 में से 60 बच्चे अनुसूचित जाति से हैं।

इसे लेकर जब शिकायत की गई तो अधिकारियों में स्कूल का दौरा किया और पाया कि रसोईघर में एससी जाति के बच्चों की थालियां अलग से रखी हुई थीं। इसके चलते प्रधानाध्यापिका गरिमा राजपूत को बीते शुक्रवार (24 सितंबर) को निलंबित कर दिया गया। दो रसोइयों को भी काम पर से हटा दिया गया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि वे अनुसूचित जाति के छात्रों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों को ‘छू नहीं सकते हैं।’

मुख्य विकास अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि गांव प्रधान मंजू देवी के पति साहब सिंह द्वारा शनिवार को शिकायत दर्ज कराने के बाद कार्रवाई की गई, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एससी छात्रों के साथ बेवर प्रखंड के डोडापुर में सरकारी प्राथमिक विद्यालय में भेदभाव किया जा रहा है। सिंह ने शिकायत में कहा कि अनुसूचित जाति के लगभग 80 छात्रों को, दूसरों के विपरीत, खाना खाने के बाद अपने बर्तन साफ करने के लिए कहा गया और उन्हें अलग रखने के लिए कहा गया।

अधिकारी ने कहा कि शिकायत मिलने पर, सीडीओ ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कमल सिंह और परियोजना निदेशक केके सिंह के साथ स्कूल और उसकी रसोई का निरीक्षण किया और आरोपों को सही पाया।

 उन्होंने कहा कि मामले का संज्ञान लेते हुए सीडीओ ने मौके पर ही रसोइयों की सेवाएं समाप्त कर दी और प्रधानाचार्य गरिमा सिंह राजपूत को कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया।

मैनपुरी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कमल सिंह ने कहा कि स्कूल में जातिगत भेदभाव को लेकर नवनिर्वाचित सरपंच मंजू देवी के पति द्वारा की गई शिकायत को सही पाया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमें बुधवार (22 सितंबर) को इस बारे में शिकायत मिली थी और निरीक्षण के लिए स्कूल में एक टीम भेजी गई थी। अनुसूचित जाति के बच्चों और अन्य बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अलग-अलग रखे गए थे। प्रखंड विकास पदाधिकारी व अन्य पदाधिकारियों ने विद्यालय का दौरा किया।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इस दौरान रसोइया सोमवती और लक्ष्मी देवी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वे स्कूल में काम नहीं कर पाएंगी। उन्होंने जातिसूचक गालियों का भी इस्तेमाल किया।’

सरपंच मंजू देवी के पति साहब सिंह ने कहा कि कुछ माता-पिता ने उन्हें 15 सितंबर को इस भेदभावपूर्ण प्रथा के बारे में बताया था। उन्होंने कहा, ‘18 सितंबर को मैं एक मीटिंग के लिए स्कूल गया था। मैंने देखा कि रसोई गंदी थी और उसमें केवल 10-15 प्लेटें रखी थीं। मैंने रसोइयों से पूछा कि बाकी थालियां कहां हैं, तो उन्होंने कहा कि रसोई में जो थालियां रखी थीं, वे पिछड़े और सामान्य वर्ग के छात्रों की थीं, जबकि 50-60 थालियां अलग-अलग रखी गई थीं।

साहब सिंह ने आगे कहा, ‘मुझे यह भी बताया गया था कि अनुसूचित जाति के छात्रों को अपने बर्तन खुद से धोने और अलग रखने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि अन्य जातियों का कोई भी उन्हें छूने को तैयार नहीं होता है।’  

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