उत्तर प्रदेश: बीएचयू अस्पताल के दो प्रोफेसरों पर दलित उत्पीड़न का मामला दर्ज, वेटर ने कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

Written by sabrang india | Published on: June 14, 2025
बीएचयू अस्पताल के दो प्रोफेसरों के खिलाफ दलित उत्पीड़न के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। ट्रॉमा सेंटर के पेशेंट किचन में कार्यरत एक वेटर द्वारा इस मामले को लेकर अदालत में अर्जी दायर की गई थी।


फोटो साभार : जी न्यूज

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में कार्यरत जनरल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्रा और ईएनटी विभाग के डॉ. विशंभर सिंह के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। इन पर अपमानजनक व्यवहार समेत कई अन्य आरोप लगे हैं, जिनमें एससी-एसटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई को शामिल किया गया है। यह मुकदमा बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के पेशेंट किचन में कार्यरत वेटर कमलेश कुमार गोंड की ओर से अदालत में दायर प्रार्थना पत्र के आधार पर दर्ज किया गया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, कमलेश कुमार गोंड ने पुलिस को बताया कि वह बीएचयू ट्रॉमा सेंटर के पेशेंट किचन में वेटर के रूप में कार्यरत है। उनके अनुसार, 24 मई को जब प्रोफेसर शशि प्रकाश मिश्रा किचन के पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने कमलेश को अपमानजनक ढंग से संबोधित करते हुए चाय और नाश्ता लाने को कहा। कमलेश ने इस व्यवहार पर आपत्ति जताई तो प्रो. मिश्रा ने कथित रूप से जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया और अशोभनीय तरीके से व्यवहार किया।

कमलेश कुमार गोंड के अनुसार, 26 मई को जब प्रोफेसर मिश्रा एक बार फिर पेशेंट किचन की ओर से गुजर रहे थे, तो उन्होंने वहां रखी कुर्सी को लात मार दी और उसे दोबारा जातिसूचक गाली दी। आरोप है कि इसी दौरान प्रो. मिश्रा ने उसके साथ काम करने वाली एक महिला सहकर्मी के लिए भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।

इस घटना को लेकर कमलेश कुमार गोंड ने पहले लंका थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने न्याय की मांग को लेकर अदालत का रुख किया। इस मामले में लंका थानाध्यक्ष शिवाकांत मिश्रा ने बताया कि अदालत के आदेश के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

दलितों के साथ उत्पीड़न या बर्बरता का यह कोई नया मामला नहीं है। हाल ही में लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति के एक शोध छात्र को फोन पर गाली देने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता आलोक सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। यह कार्रवाई सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप के आधार पर की गई।

पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र एवं राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के करीबी माने जाने वाले भाजपा नेता पर लखनऊ विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति वर्ग के एक शोध छात्र को गाली देने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दीपक कनौजिया, जो लखनऊ विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर हैं, ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि भाजपा नेता आलोक सिंह ने 21 मई को उन्हें फोन कर जातिसूचक गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।

शिकायत के अनुसार, बातचीत के दौरान आलोक सिंह ने कहा, “रिकॉर्ड कर लो ये बात, मैं उत्तर प्रदेश की प्रशासन या कानून-व्यवस्था से नहीं डरता।”

वहीं, महाराष्ट्र के बीड जिले के शिरूर कासार तहसील के शिरापूर गट गांव में जातिगत हिंसा की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। 32 वर्षीय दलित युवक वैभव खांडगाले और उनके परिवार पर ऊंची जाति के लोगों ने हमला किया। वैभव पर यह हमला केवल इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने एक दलित किशोर की मदद की थी। इस घटना ने गांव में गहरे जड़ जमाए जातिगत भेदभाव को उजागर किया।

4 जून की शाम करीब 6 बजे वैभव खांडगाले अपने दफ्तर से घर लौटे। उन्होंने देखा कि गांव के एक दलित किशोर की तबीयत बिगड़ गई थी और कोई उसकी मदद नहीं कर रहा था। वैभव ने तुरंत उसे अस्पताल पहुंचाया। शाम 7:30 बजे जब वे घर लौटकर बाहर बैठे थे, तभी 10-12 ऊंची जाति (मराठा) के लोगों ने कार से आकर उन पर अचानक हमला कर दिया। इनमें वैभव के कुछ पुराने साथी भी शामिल थे।

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