"ठाकुरों ने एटा जिले के गांव ढाकपुर में दलित दुल्हन के घर जाने के लिए दूल्हे पक्ष द्वारा अपनाए गए रास्ते पर आपत्ति जताई थी।"

उत्तर प्रदेश के एक गांव में ठाकुरों ने दलित दूल्हे की बारात पर शनिवार रात पथराव किया जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल और तीन बाराती घायल हो गए। ये जानकारी पुलिस ने मीडिया को दी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह ने बताया कि ठाकुरों ने एटा जिले के गांव ढाकपुर में दलित दुल्हन के घर जाने के लिए दूल्हे पक्ष द्वारा अपनाए गए रास्ते पर आपत्ति जताई थी।
द टेलिग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार सिंह ने बताया, "पुलिस की मौजूदगी में शादी संपन्न हुई और दुल्हन शांतिपूर्ण माहौल में दूल्हे के घर चली गई।"
दुल्हन के एक रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराएगा।
उन्होंने कहा, "ठाकुरों ने दो दिन पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे बारात को अपने गांव से नहीं गुजरने देंगे। हमने पुलिस को लिखित आवेदन दिया और उन्होंने उस रास्ते पर पुलिस तैनात कर दी।
ठाकुरों ने बारात को रोक दिया और पुलिस की मौजूदगी में पत्थरबाजी शुरू हो गई।
सिंह ने कहा, "दो समुदायों के ग्रामीणों के बीच मामूली कहासुनी के दौरान पत्थरबाजी में कांस्टेबल सुनील कुमार घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।"
एक अन्य पुलिस सूत्र ने कहा कि तीन बारातियों को भी चोटें आई हैं।
सिंह ने कहा, "किसी को भी किसी भी कारण से सड़क को अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ग्रामीण शांतिप्रिय हैं। उन्होंने हमारी बात सुनी और बारात को उसके चुने हुए रास्ते से गुजरने दिया।" उन्होंने आगे कहा, "लड़की के पिता की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई थी, इसलिए पूरे गांव ने शादी में सहयोग किया था। हालांकि, हमने किसी भी तरह के विरोध को रोकने के लिए गांव में सुरक्षा बलों को तैनात किया है।"
दूल्हे के एक रिश्तेदार देव चरण ने कहा, "पुलिस ने शादी की रस्में पूरी करने में हमारी मदद की और हम किसी के खिलाफ कोई दुर्भावना रखे बिना घर (जिले के दूसरे गांव में) लौट आए।"
ठाकुर समुदाय के एक सदस्य ने स्थानीय पत्रकारों को बताया, "उन्होंने अचानक एक ऐसे रास्ते पर चलने का फैसला किया जो पहले उनकी योजना में नहीं था। हमें नहीं पता कि किसने उन पर पत्थर फेंकना शुरू किया।"
बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं जब ऊंची जातियों के लोगों ने बाराती या दूल्हे के साथ बदसलूकी की हो। इस घटना से पहले 17 अप्रैल को, एटा से 85 किलोमीटर पश्चिम में आगरा के छलेसर के कुछ ऊंची जाति के ग्रामीणों ने दुल्हन के घर जाते समय घोड़े पर सवार होकर संगीत बजाने के कारण एक दलित दूल्हे पर हमला किया था।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल में शादी के कार्यक्रम को लेकर ऊंची जाति के लोगों ने हमला कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ था। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बता दें कि बीते महीने उत्तर प्रदेश के मथुरा के नौझील थाने के अंतर्गत भूरेका गांव में एक दलित परिवार में शादी के समारोह में रूकावट डाली गई। जाट समुदाय के कुछ लोगों ने बारात के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई थी।
शिकायत के अनुसार, कृष्ण, मनीष कुमार और अंकुर के नेतृत्व में एक समूह ने लगभग 20-25 अज्ञात लोगों के साथ बारात को रोका, दूल्हे को बग्गी से उतरने के लिए मजबूर किया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उसे गोली मार देंगे।
दुल्हन के चाचा और शिकायतकर्ता पूरन सिंह ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस के पहुंचने के बाद बारात सुरक्षित विवाह स्थल पर पहुंच गई। हालांकि, बुधवार की सुबह आरोपी हथियार लेकर वापस लौटे, परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, घर की महिलाओं से बदसलूकी की और जातिवादी नारे लगाते हुए एक मोटरसाइकिल को नुकसान पहुंचाया।
वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
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उत्तर प्रदेश के एक गांव में ठाकुरों ने दलित दूल्हे की बारात पर शनिवार रात पथराव किया जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल और तीन बाराती घायल हो गए। ये जानकारी पुलिस ने मीडिया को दी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह ने बताया कि ठाकुरों ने एटा जिले के गांव ढाकपुर में दलित दुल्हन के घर जाने के लिए दूल्हे पक्ष द्वारा अपनाए गए रास्ते पर आपत्ति जताई थी।
द टेलिग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार सिंह ने बताया, "पुलिस की मौजूदगी में शादी संपन्न हुई और दुल्हन शांतिपूर्ण माहौल में दूल्हे के घर चली गई।"
दुल्हन के एक रिश्तेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि परिवार पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराएगा।
उन्होंने कहा, "ठाकुरों ने दो दिन पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे बारात को अपने गांव से नहीं गुजरने देंगे। हमने पुलिस को लिखित आवेदन दिया और उन्होंने उस रास्ते पर पुलिस तैनात कर दी।
ठाकुरों ने बारात को रोक दिया और पुलिस की मौजूदगी में पत्थरबाजी शुरू हो गई।
सिंह ने कहा, "दो समुदायों के ग्रामीणों के बीच मामूली कहासुनी के दौरान पत्थरबाजी में कांस्टेबल सुनील कुमार घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।"
एक अन्य पुलिस सूत्र ने कहा कि तीन बारातियों को भी चोटें आई हैं।
सिंह ने कहा, "किसी को भी किसी भी कारण से सड़क को अवरुद्ध करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ग्रामीण शांतिप्रिय हैं। उन्होंने हमारी बात सुनी और बारात को उसके चुने हुए रास्ते से गुजरने दिया।" उन्होंने आगे कहा, "लड़की के पिता की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई थी, इसलिए पूरे गांव ने शादी में सहयोग किया था। हालांकि, हमने किसी भी तरह के विरोध को रोकने के लिए गांव में सुरक्षा बलों को तैनात किया है।"
दूल्हे के एक रिश्तेदार देव चरण ने कहा, "पुलिस ने शादी की रस्में पूरी करने में हमारी मदद की और हम किसी के खिलाफ कोई दुर्भावना रखे बिना घर (जिले के दूसरे गांव में) लौट आए।"
ठाकुर समुदाय के एक सदस्य ने स्थानीय पत्रकारों को बताया, "उन्होंने अचानक एक ऐसे रास्ते पर चलने का फैसला किया जो पहले उनकी योजना में नहीं था। हमें नहीं पता कि किसने उन पर पत्थर फेंकना शुरू किया।"
बता दें कि यह कोई पहली घटना नहीं जब ऊंची जातियों के लोगों ने बाराती या दूल्हे के साथ बदसलूकी की हो। इस घटना से पहले 17 अप्रैल को, एटा से 85 किलोमीटर पश्चिम में आगरा के छलेसर के कुछ ऊंची जाति के ग्रामीणों ने दुल्हन के घर जाते समय घोड़े पर सवार होकर संगीत बजाने के कारण एक दलित दूल्हे पर हमला किया था।
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल में शादी के कार्यक्रम को लेकर ऊंची जाति के लोगों ने हमला कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ था। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बता दें कि बीते महीने उत्तर प्रदेश के मथुरा के नौझील थाने के अंतर्गत भूरेका गांव में एक दलित परिवार में शादी के समारोह में रूकावट डाली गई। जाट समुदाय के कुछ लोगों ने बारात के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई थी।
शिकायत के अनुसार, कृष्ण, मनीष कुमार और अंकुर के नेतृत्व में एक समूह ने लगभग 20-25 अज्ञात लोगों के साथ बारात को रोका, दूल्हे को बग्गी से उतरने के लिए मजबूर किया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उसे गोली मार देंगे।
दुल्हन के चाचा और शिकायतकर्ता पूरन सिंह ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस के पहुंचने के बाद बारात सुरक्षित विवाह स्थल पर पहुंच गई। हालांकि, बुधवार की सुबह आरोपी हथियार लेकर वापस लौटे, परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, घर की महिलाओं से बदसलूकी की और जातिवादी नारे लगाते हुए एक मोटरसाइकिल को नुकसान पहुंचाया।
वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
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