घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”

शुक्रवार रात को एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने मीडिया को ये जानकारी दी।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
शिकायत के अनुसार, अमन साहनी, दीपक साहनी, राहुल और अखिलेश समेत करीब 20 लोगों ने हमला किया। गौतम ने कहा, "वे लाठी-डंडों के साथ आए और बिना किसी डर के हमें मारा।" रसड़ा पुलिस स्टेशन के प्रभारी विपिन सिंह ने कहा, "हमने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित कानून के तहत मामला दर्ज किया है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।"
पुलिस का कहना है कि वे हमलावरों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस घटना ने स्थानीय दलित समुदाय को झकझोर दिया है, जो न्याय की मांग कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हम बस अपने पारिवारिक समारोहों को शांति से मनाना चाहते हैं, जैसे हर कोई करता है।"
ज्ञात हो कि शादी में अन्य जगहों पर दलितों के खिलाफ उत्पीड़न या उन पर हमला करने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
बता दें कि पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के मथुरा के नौझील थाने के अंतर्गत भूरेका गांव में एक दलित परिवार में शादी के समारोह में रूकावट डाली गई थी। जाट समुदाय के कुछ लोगों ने बारात के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई थी।
शिकायत के अनुसार, कृष्ण, मनीष कुमार और अंकुर के नेतृत्व में एक समूह ने लगभग 20-25 अज्ञात लोगों के साथ बारात को रोका, दूल्हे को सजे-धजे बग्गी से उतरने के लिए मजबूर किया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उसे गोली मार देंगे।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दुल्हन के चाचा और शिकायतकर्ता पूरन सिंह ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस के पहुंचने के बाद बारात सुरक्षित विवाह स्थल पर पहुंची। हालांकि, बाद में आरोपी हथियार लेकर वापस लौटे, परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, घर की महिलाओं से बदसलूकी की और जातिवादी नारे लगाते हुए एक मोटरसाइकिल को नुकसान पहुंचाया।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें दंगा, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, जानबूझकर चोट पहुंचाना, आपराधिक धमकी, गलत तरीके से रोकना और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम के संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।
ज्ञात हो कि पिछले महीने कर्नाटक के अमरेली के लाठी तहसील के जराखिया गांव का रहने वाला 20 साल का दलित युवक नीलेश राठौड़ ने गुरुवार को भावनगर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
बुरी तरह हमला करने के छह दिन बाद एक दलित युवक की मौत हो गई। उस पर इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उसने लड़के को दुकान पर “बेटा” कह दिया था। ये घटना गुजरात के अमरेली जिले की है।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर के अनुसार, 16 मई को हुई मारपीट में घायल हुए 28 साल के लालजी मनसुख चौहान ने बताया कि वो नीलेश राठौड़ और कुछ और लोगों के साथ अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया की दुकान पर थे। उसी वक्त नीलेश पास की एक दुकान पर स्नैक्स लेने चला गया।
जब थोड़ी देर हो गई तो चौहान उसे देखने उस दुकान पर गया। वहां पहुंचने पर, दुकानदार छोटा खोडा भरवाड़ ने उस पर डंडे से हमला कर दिया।
बीते महीने तुमकुरु जिले के मधुगिरी तालुक के कवनदला गांव में शनिवार को उस समय तनाव फैल गया जब एक दलित युवक को मंदिर में जाने से रोक दिया गया और मंदिर समिति के फैसले पर आपत्ति जताने पर उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। जिला प्रशासन ने दखल दिया और मंदिर समिति के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। वहीं गांव में शांति बैठक की और तय किया कि दलितों को गांव के मंदिरों में जाने की अनुमति दी जाए।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की मंदिर में जाने से रोकने वालों से तीखी बहस हुई और घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके चलते दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया। बाद में पीड़ित ने बदावनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे। मंदिर समिति को कड़ी चेतावनी देने के बाद कि किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकना जातिगत भेदभाव है जिसके लिए दंडात्मक कार्रवाई होगी। प्रशासन द्वारा युवक को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।
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शुक्रवार रात को एक शादी समारोह के दौरान कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। हमलावरों ने कथित तौर पर जाति-सूचक गालियां दीं, क्योंकि वे इस बात से नाराज थे कि उत्तर प्रदेश के रसरा में एक दलित परिवार मैरिज हॉल का इस्तेमाल कर रहा था। पुलिस ने मीडिया को ये जानकारी दी।
द ऑब्जर्वर की रिपोर्ट के अनुसार, एक घायल व्यक्ति राघवेंद्र गौतम ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा, “हम जश्न मना रहे थे, तभी अचानक कुछ लोगों का एक समूह आया और चिल्लाने लगा, ‘दलित हॉल में शादी कैसे कर सकते हैं?’ फिर उन्होंने सभी को पीटना शुरू कर दिया।”
यह हमला स्वयंवर मैरिज हॉल में रात करीब 10:30 बजे हुआ। दो लोग अजय कुमार और मनन कांत बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
शिकायत के अनुसार, अमन साहनी, दीपक साहनी, राहुल और अखिलेश समेत करीब 20 लोगों ने हमला किया। गौतम ने कहा, "वे लाठी-डंडों के साथ आए और बिना किसी डर के हमें मारा।" रसड़ा पुलिस स्टेशन के प्रभारी विपिन सिंह ने कहा, "हमने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम सहित कानून के तहत मामला दर्ज किया है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।"
पुलिस का कहना है कि वे हमलावरों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस घटना ने स्थानीय दलित समुदाय को झकझोर दिया है, जो न्याय की मांग कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "हम बस अपने पारिवारिक समारोहों को शांति से मनाना चाहते हैं, जैसे हर कोई करता है।"
ज्ञात हो कि शादी में अन्य जगहों पर दलितों के खिलाफ उत्पीड़न या उन पर हमला करने का यह कोई पहला मामला नहीं है।
बता दें कि पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के मथुरा के नौझील थाने के अंतर्गत भूरेका गांव में एक दलित परिवार में शादी के समारोह में रूकावट डाली गई थी। जाट समुदाय के कुछ लोगों ने बारात के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई थी।
शिकायत के अनुसार, कृष्ण, मनीष कुमार और अंकुर के नेतृत्व में एक समूह ने लगभग 20-25 अज्ञात लोगों के साथ बारात को रोका, दूल्हे को सजे-धजे बग्गी से उतरने के लिए मजबूर किया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उसे गोली मार देंगे।
द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दुल्हन के चाचा और शिकायतकर्ता पूरन सिंह ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस के पहुंचने के बाद बारात सुरक्षित विवाह स्थल पर पहुंची। हालांकि, बाद में आरोपी हथियार लेकर वापस लौटे, परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, घर की महिलाओं से बदसलूकी की और जातिवादी नारे लगाते हुए एक मोटरसाइकिल को नुकसान पहुंचाया।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें दंगा, गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, जानबूझकर चोट पहुंचाना, आपराधिक धमकी, गलत तरीके से रोकना और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम के संबंधित प्रावधान शामिल हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से दलित उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। चौरा-चौरी थाना क्षेत्र के दूधई गांव में एक शादी समारोह के दौरान दलित समाज के छह लोगों से केवल इसलिए मारपीट की गई कि उन्होंने भोजन करने के लिए पत्तल उठा ली। ये मामला 9 मई का है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, दूधई गांव के रहने वाले लालजी के घर शादी में गांव के ही दलित युवक दीनानाथ अपने परिवार के साथ पहुंचे थे। दीनानाथ का कहना है कि उन्हें न्यौता दिया गया था, लेकिन जब उन्होंने खाने के लिए पत्तल उठाई तो राजभर समाज के सोनू, रामचंद्र और भीम ने उन्हें रोकते हुए अपमानित किया और गाली-गलौज करते हुए वहां से भगा दिया।
मामला केवल शादी से भगाने तक नहीं थमा। पीड़ित परिवार किसी तरह वापस अपने घर लौट आया लेकिन देर रात वही आरोपी अपने दूसरे साथियों के साथ दीनानाथ के घर पर लाठी-डंडों और चाकुओं से लैस होकर पहुंचे और पूरे परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में महिलाओं समेत छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। पीड़ितों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।
ज्ञात हो कि पिछले महीने कर्नाटक के अमरेली के लाठी तहसील के जराखिया गांव का रहने वाला 20 साल का दलित युवक नीलेश राठौड़ ने गुरुवार को भावनगर के अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
बुरी तरह हमला करने के छह दिन बाद एक दलित युवक की मौत हो गई। उस पर इसलिए हमला किया गया था क्योंकि उसने लड़के को दुकान पर “बेटा” कह दिया था। ये घटना गुजरात के अमरेली जिले की है।
मकतूब की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर के अनुसार, 16 मई को हुई मारपीट में घायल हुए 28 साल के लालजी मनसुख चौहान ने बताया कि वो नीलेश राठौड़ और कुछ और लोगों के साथ अमरेली-सावरकुंडला रोड पर एक भजिया की दुकान पर थे। उसी वक्त नीलेश पास की एक दुकान पर स्नैक्स लेने चला गया।
जब थोड़ी देर हो गई तो चौहान उसे देखने उस दुकान पर गया। वहां पहुंचने पर, दुकानदार छोटा खोडा भरवाड़ ने उस पर डंडे से हमला कर दिया।
बीते महीने तुमकुरु जिले के मधुगिरी तालुक के कवनदला गांव में शनिवार को उस समय तनाव फैल गया जब एक दलित युवक को मंदिर में जाने से रोक दिया गया और मंदिर समिति के फैसले पर आपत्ति जताने पर उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया। जिला प्रशासन ने दखल दिया और मंदिर समिति के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। वहीं गांव में शांति बैठक की और तय किया कि दलितों को गांव के मंदिरों में जाने की अनुमति दी जाए।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित की मंदिर में जाने से रोकने वालों से तीखी बहस हुई और घटना का वीडियो वायरल हो गया। इसके चलते दोनों समुदायों में तनाव पैदा हो गया। बाद में पीड़ित ने बदावनहल्ली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी गांव पहुंचे। मंदिर समिति को कड़ी चेतावनी देने के बाद कि किसी को भी मंदिर में प्रवेश करने से रोकना जातिगत भेदभाव है जिसके लिए दंडात्मक कार्रवाई होगी। प्रशासन द्वारा युवक को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।
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