वसुंधरा राज में “उड़ता राजस्थान”

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: September 10, 2018
राजस्थान में वसुंधरा राजे के शासन काल में तमाम बुराइयों के अलावा, एक और गंभीर बुराई जोर-शोर से फैली है जिसका असर राज्य की युवा पीढ़ी को उठाना पड़ रहा है और राज्य का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।

पिछले कुछ सालों में राजस्थान के किशोर और युवा नशे की लत के शिकार होते जा रहे हैं। पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार सडक़ों पर जिंदगी गुजर-बसर करने वाले खानाबदोश, भिक्षावृत्ति में शामिल लोग और उनके बच्चे, अच्छे स्कूल-कॉलेजों में पढऩे-लिखने वाले कई किशोर और नौजवान हेरोइन, ब्राउन शुगर, डोडा, पोस्त, अफीम और अन्य मादक पदार्थों की लत के शिकार हो चुके हैं।

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(Courtesy: Indian Express)

रिपोर्ट में बताय गया है कि अजमेर में इसका जोर सबसे ज्यादा है। दरगाह से सटे इलाकों और खास खुले इलाकों में आसानी से ड्रग्स की पुडिय़ा उपलब्ध कराई जा रही है। पुष्कर में भी खानाबदोशों के डेरो, रेतीले धोरों और होटलों में भी खुलेआम नशा परोसा जा रहा है।

माउंट आबू, जैसलमेर, उदयपुर, अलवर, भरतपुर और अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल शहरों में भी नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है जिसकी चपेट में शहरी और ग्रामीण इलाके दोनों आ चुके हैं। जोधपुर में तो दो-तीन साल पहले एक महिला ड्रग डॉन भी गिरफ्तार की गई थी।

मादक द्रव्यों का कारोबार करने वालों के पास संपत्ति बेहिसाब तरीके से बढ़ रही है। उनके पास महंगी कारें आ चुकी है। उनका नेटवर्क भी दुरुस्त है। पुलिस प्रशासन उनकी निगरानी करने के बजाय, खुद उनकी निगरानी में रहता है।

शहरों-कस्बों में कहीं खुलकर तो कहीं छात्रावास-रेस्टोरेंट, होटल में चोरी-छिपे मादक पदार्थ आसानी से उपलब्ध हैं। कई संस्थानों के कर्मचारी और नशीले कारोबारी मादक द्रव्य की सप्लाई में जुड़ते जा रहे हैं।
समय पर नशे की खुराक न मिलने पर नशेड़ियों की हालत खराब हो रही है और वे अपराधो की ओर भी मुड़ रहे हैं। राज्य में अपराधों की दर बढ़ने के पीछे यह भी एक कारण है।
 

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