बधाई गणतंत्र दिवस की, देशवासियों के नाम 

Written by एच आई पाशा | Published on: January 26, 2019
बधाई इस गणतंत्र दिवस की देशवासियों के नाम 

उस रिक्शा वाले के नाम जो हर रोज़ पुलिस की गालियाँ और डंडे खाते हुए सोचता है कि देश आज़ाद है तो मेहनत की दो रोटी कमाने की आज़ादी उसे क्यों नहीं ?

उस विधवा माँ के नाम जो इस यकीन से अपने बच्चे को स्कूल भेजती है कि एक दिन पढ़-लिख कर अपना भाग्य संवारेगा मगर शिक्षा का बदतरीन स्तर उसे कुछ भी नहीं देता और एक दिन नाउम्मीदी की हताशा उसे अपनी जान लेने पर मजबूर कर देती है.

उस मज़दूर के नाम जो फुटपाथ के बिस्तर पर मौसम की मार से एक चुटकी नींद के लिए तरसते हुए बार-बार सोचता है कि अगर यह आज़ादी है तो महलों में रहने वालों के पास जो है वह क्या है.

उस युवती के नाम जो भविष्य के सुनहरे सपने संजोए गयी थी पढ़ने, मगर लौटी भेड़ियों की हवस का शिकार होकर एक नुची-फटी लाश के रूप में.

उस किसान के नाम जिसने खेतों में खुशहाली उगाई और क़ीमत में उसे मौत मिली. 

उस विद्यार्थी के नाम जिसकी समझ में नहीं आता कि एक आज़ाद देश में आज़ादी का नाम लेना अपराध कैसे हो गया.

उन भोले– भाले वोटर के नाम जो बार-बार ठगा जाता है मगर उसका भोलापन है कि जाता ही नहीं.

और...

उस जंगल, पहाड़ और नदी के नाम जिन्हें दौलत की हवस ने कंगाल कर दिया.

(फैज़ अहमद फैज़ की एक कविता से प्रेरित)

बाकी ख़बरें