किसान महापंचायत: अमर उजाला ने चार पेज पर दी खबर, जागरण ने सूचना तक देना मुनासिब नहीं समझा

Written by Bhavendra Prakash | Published on: September 6, 2021
5 सितंबर 2021 का रविवार यूपी में किसानों की महारैली का गवाह बना। इस दौरान किसान नेताओं के आह्वान पर मुजफ्फरनगर में लाखों की संख्या में किसान पहुंचे। पूरी महारैली के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द की तस्वीरें नजर आईं। जो मुजफ्फरनगर किसी समय दंगों के लिए कुख्यात था, वहां इस बार हिंदू- मुस्लिम, सिखों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द का नजारा सामने आया। इस बीच एक खास बात यह भी रही कि देश में सत्ता के इशारे पर चल रहे स्वघोषित मेनस्ट्रीम मीडिया को लोगों ने खदेड़कर बाहर का रास्ता दिखाया तो किसानों वंचितों की आवाज उठाने वाले वेबसाइट्स और यू ट्यूब चैनल्स को उन्होंने गले लगाया।



किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग की बात करें तो हमने हिंदी के तीन प्रमुख अखबारों के ई पेपर की पड़ताल की जो मुजफ्फरनगर से भी प्रकाशित होते हैं। इसमें अमर उजाला ने पहले चार में से तीन पेजों पर इस आंदोलन की पृष्ठभूमि से लेकर वर्तमान व भविष्य को लेकर रिपोर्टें छापी हैं। अमर उजाला ने ''यूपी-उत्तराखंड में भाजपा को हराओ, सरकार ने नोटबंदी की थी, जनता वोटबंदी करेगी, हर सड़क पर दिखा किसानों का सैलाब, खाप, किसानों को साधना भाजपा के लिए चुनौती, किसानों ने जिस सरकार को ललकारा, वो चली गई, दंगे की धरती से दिया अमन का संदेश'' जैसे शीर्षक से खबरें प्रकाशित की हैं। 







आपको याद होगा कि मीडिया रिपोर्टिंग से नाराज किसानों ने अपना अखबार ट्रॉली टाइम्स निकाला था। उस दौरान दैनिक जागरण की प्रतियां जलाने का भी आह्वान किया गया था, शायद उसी का बदला जागरण ने यहां ले लिया है। जागरण ने मुजफ्फरनगर संस्करण में ही महारैली की सूचना तक देना जरूरी नहीं समझा। जागरण ने ''भरपूर फसल- वाजिब दाम- खुशहाल किसान'', ''उत्तर प्रदेश देश में नंबर 1'' वाला सूबे की भाजपा सरकार का गुणगान करता हुआ फुल पेज विज्ञापन पहले पेज पर प्रकाशित किया है। इसके बाद दूसरे पेज पर भी सरकारी विज्ञप्ति टाइप की खबर योगी सरकार का गुणगान करती हुई नजर आती है। 





अब यूपी से निकलने वाले तीसरे बड़े अखबार हिंदुस्तान की बात की जाए तो यहां भी जागरण जैसा ही हाल नजर आता है। हिंदुस्तान का पहला पेज विज्ञापन से ढका हुआ है जिसपर योगी आदित्यनाथ की बड़ी तस्वीर के साथ लिखा है- ''विकास पथ पर उत्तर प्रदेश''। अखबार ने मुजफ्फरनगर एडिशन में दो पेजों पर यूपी सरकार के गुणगान के बाद तीसरे पेज पर जाकर किसान आंदोलन की छह कॉलम की खबर प्रकाशित की है।  





बता दें कि रविवार को राकेश टिकैत ने लाखों किसानों की इस महापंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा कि......'इस सरकार ने पूरे देश को बेच दिया। अब लड़ाई 'मिशन यूपी' और 'मिशन उत्तराखंड' की नहीं, बल्कि देश को बचाने की है। यह आंदोलन देश के किसानों के बूते लड़ा जाएगा। हम वो नहीं हैं, जो झोला उठाकर चल देंगे। मैं किसान हूं और किसान ही रहूंगा। आखिरी दम तक किसानों के साथ रहूंगा। किसानों के हक की लड़ाई के लिए हम हमेशा किसानों के साथ रहे हैं, और मरते दम तक किसानों की लड़ाई लड़ेंगे।

देश में सेल फॉर इंडिया का बोर्ड लगा है और इसे खरीदने वाले अंबानी-अडाणी हैं। FCI के गोदाम भी कंपनी को दे दिए। बंदरगाह भी बिक गए, मछली पालन और नमक के किसान पर असर होगा। ये पानी भी बेचेंगे। रेल, बिजली, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान, सड़कें, FCI के गोदाम, बंदरगाह प्राइवेट कंपनियों को बेच दिए गए हैं। अब खेती-बाड़ी भी इन कंपनियों को बेचने की तैयारी है। एक तरह से पूरा भारत बिकाऊ हो गया है। ये भारत सरकार की पॉलिसी है। अंबेडकर का संविधान भी खतरे में है।

'देश की सरकार ने किसानों के साथ सभी को धोखा दिया है पूरे देश का निजीकरण हो रहा है। ऐसे में रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। यह लड़ाई सिर्फ किसानों की नहीं, बल्कि नौकरीपेशा, मजदूर, मेहनतकश समेत सभी वर्गों की है।' टिकैत ने अंत में हुंकार भरते हुए स्पष्ट कह दिया कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे, वह दिल्ली के बॉर्डर से नहीं हटेंगे। चाहें हमारी कब्रगाह ही बॉर्डर पर क्यों न बनानी पड़े। इसके लिए सरकार को वोट की चोट देनी होगी। लड़ाई किसानों समेत सभी वर्गों के दम पर लड़ी जाएगी।

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