मध्यप्रदेश में सरकार के मंत्री और नेता चुनाव प्रचार में लगे हैं और वोटों की फसल काटने की तैयारी में हैं, और राज्य के सरकारी स्कूलों की हालत लगातार खराब होती जा रही है।
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राज्य में स्कूलों में बच्चे पढ़ाई करने के बजाय, झाड़ू लगाते दिख रहे हैं तो कहीं खेतों में काम करते दिख रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में स्कूल या तो हैं नहीं, या फिर उनमें शिक्षक नहीं हैं या बच्चे नहीं हैं।
सरकार नाम के लिए शिक्षा पर लाखों-करोड़ों का खर्चा कर रहा है, लेकिन बदइंतजामी ऐसी कि बच्चों को उसका कोई फायदा नहीं हो पा रहा है।
स्कूलों में बच्चों की हाजिरी बहुत कम दिख रही है। कई बच्चों के पास स्कूल की ड्रेस ही नहीं है। कई स्कूलों में सारा का सारा स्टाफ गायब रहता है।
सबसे ज्यादा खराब हालत सीहोर जिले में है, जहां बच्चे ही स्कूल आकर झाड़ू लगाते हैं। पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इंदिरा कॉलोनी स्थित शासकीय माध्यमिक स्कूल में करीब 80 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन मुश्किल से 25 ही पढ़ाई के लिए आते हैं। शिक्षक भी 6 हैं लेकिन आमतौर पर 3 ही पहुंचते हैं।
गोपालपुरा के शासकीय प्राथमिक स्कूल का भी यही हाल है। स्कूल के सारे बच्चों को केवल एक शिक्षक ही पढ़ाता रहता है। बाकी छुट्टी मारते रहते हैं।
अवंतीपुरा के प्राथमिक स्कूल में तो प्रधानाध्यापक ने ही कह दिया कि बच्चे सोयाबीन की कटाई कर रहे हैं इसलिए स्कूल नहीं आते। स्कूल के बच्चों को ड्रेस भी नहीं मिली है।