काशी के श्मशान घाटों पर लाशों का अंबार, घंटों इंतजार के बाद हो रहा अंतिम संस्कार

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 17, 2022
उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर काशी/वाराणसी से इस समय भयावह खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि यहां गर्मी के सीजन में श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए शवों की लंबी कतार लग रही है।


PC- Amar Ujala, Manikarnika Ghat

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, काशी के महाश्मशान में शवों की लंबी कतार लग रही है। शवदाह करने वाले लोगों को चार-चार घंटे का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। गर्मी के कारण आम दिनों की अपेक्षा शवदाह करने वालों की संख्या में दोगुने की बढ़ोतरी हुई है। मणिकर्णिका घाट पर प्लेटफॉर्म की कमी व निर्माण कार्य के कारण शवदाह संस्कार के लिए जगह कम पड़ रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि घाटों पर शवों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर शवदाह के लिए आने वाले लोगों के लिए न छांव का इंतजाम है न पेयजल का। मणिकर्णिका घाट पर पिछले सप्ताह से रोजाना 100 से 120 शव पहुंच रहे हैं। 

बता दें कि काशी में मोक्ष के लिए बनारस ही नहीं पूर्वांचल के जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश सहित देशभर के कई राज्यों से लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं।

रोजाना आ रहे 120 से ज्यादा शव
मुक्ति व मोक्ष की मान्यता होने के कारण शवदाह करने वालों की संख्या जहां आम दिनों में 40-50 हुआ करती थीं, अब 120 तक पहुंच चुकी है। सोमवार की शाम से लेकर मंगलवार की देर रात तक मणिकर्णिका घाट पर 135 से अधिक शवदाह हुए। पटना से आए रविशंकर ने बताया कि वह अपने दादा का शव लेकर मणिकर्णिका आए थे।

अमर उजाला के मुताबिक, उन्होंने बताया कि साढ़े तीन घंटे से ज्यादा हो गए लेकिन उनका नंबर नहीं आया। लकड़ी ठेकेदार हरि ने बताया कि आम दिनों में जहां 40-50 शव आते थे लेकिन अब इसकी संख्या दोगुनी हो चुकी है। नीचे प्लेटफार्म पर 12 और ऊपर के प्लेटफार्म पर 10 शव एक साथ जलाए जा रहे हैं। पांच और छह प्लेटफार्म ऐसे हैं, जिनपर जलाने की अनुमति नहीं है। कुछ प्लेटफार्म की जालियां खराब होने के कारण उन पर शवदाह नहीं हो रहा है।
 
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, शवों की आवक के मद्देनजर शवदाह के लिए लकडिय़ों के दाम आसमान छू रहे हैं। मणिकर्णिका घाट पर लकड़ी व्यवसायी अरुण सिंह ने बताया कि लकड़ी प्रति मन पांच सौ रुपये हो गया है। सामान्य दिनों में तीन से साढ़े सौ रुपये प्रति मन बिकता रहा है। मीरजापुर के चुनार से लकडिय़ां नाव से आती हैं। रामनगर तक ट्रक से आने के बाद भी इस पार तक लकडिय़ों को लाने के लिए नाव का इस्तेमाल करना पड़ता है। सीएनजी से बने शवदाह की भट्टी बंद होने से लकडिय़ों की खपत भी अधिक हो गई है।

मीडिया रिपोर्ट्स में शवों की संख्या बढ़ने के बारे में अनुमान लगाया गया है कि निश्चित रूप से भीषण गर्मी में चल रही गर्म हवाएं जानलेवा बनी हैं। जिससे मृतकों की संख्या बढ़ी है। मोक्ष नगरी में दाह संस्कार का मोह भी यहां के महाश्मशान समेत श्मशानों पर चिताओं की संख्या बढ़ा दी है। यूं समझें कि वाराणसी समेत आसपास के सभी जिलों के अलावा बिहार के सीमावर्ती जिलों से भी लोग शव लेकर काशी के घाट तक दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं। 

डोमराज ओम नारायण चौधरी ने बताया कि गर्मी बढ़ी है तो शवों की संख्या भी बढ़ गई है। नगर निगम के अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि हरिश्चंद्र घाट पर सीएनजी गैस से शवदाह की दो भट्ठियां लगी हैं जो इन दिनों बंद हैं, इसलिए आंकड़ा दर्ज नहीं हो रहा। काशी में गंगा किनारे मुख्य दो श्मशान हैं जिसमें श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से सटा मणिकर्णिका घाट है तो हरिश्चंद्र घाट। इसके अलावा सराय मोहाना, रमना, मूढ़ादेव, बेटावर, सरसौल, गौरा उपरवार, चंद्रावती, कैथी, परानापुर आदि श्मशान घाट हैं। यहां आए शवों की संख्या जोड़ दें तो प्रतिदिन पांच सौ से अधिक शवदाह हो रहे हैं। सबरंग इंडिया, वाराणसी में लगातार बढ़ रही शवों की आमद की जमीनी हकीकत जानने में प्रयत्नशील है। विस्तृत जानकारी मिलते ही स्टोरी अपडेट की जाएगी।

Related:

बाकी ख़बरें