अपराधियों पर कार्यवाही के बजाए साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा रही है पुलिस, सत्तापक्ष के इशारे पर बनारस को सांप्रदायिक तनाव की तरफ धकेल रहा है प्रशासन
वाराणसी में पुलिस द्वारा एकतरफा कार्रवाई की खबरें लगातार आ रही हैं। अवांछित तत्वों द्वारा समुदाय विशेष को टार्गेट कर हमले किए जा रहे हैं लेकिन इसमें खास बात है कि पुलिस पीड़ित पक्ष के खिलाफ जाकर हमला करने वालों के साथ खड़ी नजर आई है। बनारस को सम्प्रदायिक तनाव की तरफ धकेलने के खिलाफ नागरिक समाज के लोग पुलिस उपायुक्त से मिले।
इस मामले पर बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा ने सबरंग इंडिया से कहा, ''लंबे समय से राम के नाम पर राजनीति करती आई बीजेपी को अब अयोध्या मुद्दा सुलझने के बाद ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। अगले साल यूपी में चुनाव हैं। लेकिन काशी मथुरा बाकी है.... नारे को सार्थक करने की दिशा में भाजपा अंदरूनी तौर पर काम में जुटी है। स्थानीय समर्थकों की मदद से मथुरा मस्जिद हो या काशी की ज्ञानवापी मस्जिद, सभी चर्चाओं में हैं। ज्ञानवापी परिसर का मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद भी पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश चुनावी रणनीति की दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है।''
मनीष शर्मा ने कहा कि वाराणसी के करीब आधा दर्जन मोहल्लों में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशें लंबे समय से जारी हैं। भोजुबीर, चौहट्टा, सरैया, राजापुरा, शकर तालाब, पीली कोठी के बाद अभी तीन दिन पहले कोनिया मोहल्ले में तनाव बढ़ाने वाली कोशिश हुई है। यहां करीब 10-12 लोगों का एक ग्रुप है जो शराब बेचता है व लड़ाई झगड़े करता है। इसी कड़ी में यहां इन गुंडों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया जिसमें तीन लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इस मामले को लेकर समाज के लोग गुरुवार को पुलिस उपायुक्त के पास शिकायत लेकर पहुंचे।
यहां पहुंचे लोगों ने उपायुक्त से कहा कि बदमाशों द्वारा अल्पसंख्यकों को बुरी तरह से पीटा गया जिसमें से 3 लोग अभी भी हॉस्पिटल में भर्ती हैं, वहीं बदमाशों की तरफ से और पुलिस के तरफ से अभी भी पीड़ितों को धमकाया जा रहा है, समझौते का दबाव बनाया जा रहा है, और पुलिस द्वारा मुकदमे को कमजोर कर के अपराधियों को बचाया जा रहा है।
वक्ताओं ने ये भी कहा कि अपराधियों का 12-15 लड़कों का समूह है जो पिछले एक साल से पुलिस के संरक्षण में अवैध शराब का धंधा करते हैं और हमेशा अल्पसंख्यकों पर हमला करते हैं, और ये ही लोग हैं। इन्होंने इस बार भी पुलिस के संरक्षण में अल्पसंख्यकों के ऊपर जानलेवा हमला किया और अभी भी इन्हीं बदमाशों के पक्ष में मुकदमा वापस लेने और समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है और समझौता न करने पर दोबारा मारने की धमकी दी जा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि ये प्रवृत्ति पूरे बनारस में दिख रही है, ये छठा मोहल्ला है, जहां सत्ता के इशारे पर पुलिस द्वारा हर छोटे झगड़े को समझाने के बजाए साम्प्रदायिक तनाव में बदल देने की कोशिश हो रही है। यदि इसपर तत्काल हस्तक्षेप नही किया गया, इसको नहीं रोका गया तो बनारस एक बड़े साम्प्रदायिक तनाव की तरफ बढ़ सकता है। इसकी सारी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।।
प्रतिनिधी दल ने चेतावनी दी कि बनारस को किसी भी तरह से साम्प्रदायिक तनाव की प्रयोग स्थली नही बनने दिया जाएगा, यदि जिला प्रशासन तत्काल ऐसे कृत्यों पर लगाम नही लगाता है, तो बनारस का नागरिक समाज बनारस को जागरूक करते हुए, बड़े आंदोलन की तरफ बढ़ेगा।
प्रतिनिधि दल में मुख्य रूप से मनीष शर्मा, अनुप श्रमिक, मौलाना बदरूद्दीन अंसार, सागर गुप्ता, जुबैर खान, अर्शलान अली, करीम रंगरेज, परवेज़ भाई, शाहिद अंसारी, उमैरा ज़ी,शकीला, मतीन अंसारी, जहीर बाबा, आदि शामिल रहे।
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वाराणसी में पुलिस द्वारा एकतरफा कार्रवाई की खबरें लगातार आ रही हैं। अवांछित तत्वों द्वारा समुदाय विशेष को टार्गेट कर हमले किए जा रहे हैं लेकिन इसमें खास बात है कि पुलिस पीड़ित पक्ष के खिलाफ जाकर हमला करने वालों के साथ खड़ी नजर आई है। बनारस को सम्प्रदायिक तनाव की तरफ धकेलने के खिलाफ नागरिक समाज के लोग पुलिस उपायुक्त से मिले।
इस मामले पर बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा ने सबरंग इंडिया से कहा, ''लंबे समय से राम के नाम पर राजनीति करती आई बीजेपी को अब अयोध्या मुद्दा सुलझने के बाद ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। अगले साल यूपी में चुनाव हैं। लेकिन काशी मथुरा बाकी है.... नारे को सार्थक करने की दिशा में भाजपा अंदरूनी तौर पर काम में जुटी है। स्थानीय समर्थकों की मदद से मथुरा मस्जिद हो या काशी की ज्ञानवापी मस्जिद, सभी चर्चाओं में हैं। ज्ञानवापी परिसर का मामला कोर्ट में लंबित होने के बावजूद भी पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश चुनावी रणनीति की दिशा में उठाया गया कदम माना जा सकता है।''
मनीष शर्मा ने कहा कि वाराणसी के करीब आधा दर्जन मोहल्लों में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशें लंबे समय से जारी हैं। भोजुबीर, चौहट्टा, सरैया, राजापुरा, शकर तालाब, पीली कोठी के बाद अभी तीन दिन पहले कोनिया मोहल्ले में तनाव बढ़ाने वाली कोशिश हुई है। यहां करीब 10-12 लोगों का एक ग्रुप है जो शराब बेचता है व लड़ाई झगड़े करता है। इसी कड़ी में यहां इन गुंडों ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया जिसमें तीन लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इस मामले को लेकर समाज के लोग गुरुवार को पुलिस उपायुक्त के पास शिकायत लेकर पहुंचे।
यहां पहुंचे लोगों ने उपायुक्त से कहा कि बदमाशों द्वारा अल्पसंख्यकों को बुरी तरह से पीटा गया जिसमें से 3 लोग अभी भी हॉस्पिटल में भर्ती हैं, वहीं बदमाशों की तरफ से और पुलिस के तरफ से अभी भी पीड़ितों को धमकाया जा रहा है, समझौते का दबाव बनाया जा रहा है, और पुलिस द्वारा मुकदमे को कमजोर कर के अपराधियों को बचाया जा रहा है।
वक्ताओं ने ये भी कहा कि अपराधियों का 12-15 लड़कों का समूह है जो पिछले एक साल से पुलिस के संरक्षण में अवैध शराब का धंधा करते हैं और हमेशा अल्पसंख्यकों पर हमला करते हैं, और ये ही लोग हैं। इन्होंने इस बार भी पुलिस के संरक्षण में अल्पसंख्यकों के ऊपर जानलेवा हमला किया और अभी भी इन्हीं बदमाशों के पक्ष में मुकदमा वापस लेने और समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है और समझौता न करने पर दोबारा मारने की धमकी दी जा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि ये प्रवृत्ति पूरे बनारस में दिख रही है, ये छठा मोहल्ला है, जहां सत्ता के इशारे पर पुलिस द्वारा हर छोटे झगड़े को समझाने के बजाए साम्प्रदायिक तनाव में बदल देने की कोशिश हो रही है। यदि इसपर तत्काल हस्तक्षेप नही किया गया, इसको नहीं रोका गया तो बनारस एक बड़े साम्प्रदायिक तनाव की तरफ बढ़ सकता है। इसकी सारी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।।
प्रतिनिधी दल ने चेतावनी दी कि बनारस को किसी भी तरह से साम्प्रदायिक तनाव की प्रयोग स्थली नही बनने दिया जाएगा, यदि जिला प्रशासन तत्काल ऐसे कृत्यों पर लगाम नही लगाता है, तो बनारस का नागरिक समाज बनारस को जागरूक करते हुए, बड़े आंदोलन की तरफ बढ़ेगा।
प्रतिनिधि दल में मुख्य रूप से मनीष शर्मा, अनुप श्रमिक, मौलाना बदरूद्दीन अंसार, सागर गुप्ता, जुबैर खान, अर्शलान अली, करीम रंगरेज, परवेज़ भाई, शाहिद अंसारी, उमैरा ज़ी,शकीला, मतीन अंसारी, जहीर बाबा, आदि शामिल रहे।
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