सुप्रीम कोर्ट ने जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों को रिप्लेस करते हुए एक शब्दावली जारी की है। यह महिलाओं के लिए अपमानजनक शब्दों को हटाने को लेकर जारी की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक लॉन्च की है। हैंडबुक 30 पन्नों की एक पुस्तिका है जिसका उद्देश्य महिलाओं के बारे में रूढ़िवादिता को पहचानने, समझने और उसका मुकाबला करने में न्यायाधीशों और कानूनी समुदाय की सहायता करना है। हैंडबुक महिलाओं के बारे में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य रूढ़िवादी शब्दों और वाक्यांशों को चिन्हित करती है, जिनमें से कई नियमित रूप से निर्णयों में पाए जाते हैं।
8 मार्च को महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए इवेंट में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल रुकेगा, जल्द डिक्शनरी भी आएगी। बुधवार 16 अगस्त को हैंडबुक जारी करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक में क्या है
CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं। इन्हें कोर्ट में दलीलें देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में यूज किया जा सकता है। यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है।
इस हैंडबुक में वे शब्द हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने यूज किया है। शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया है।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता की परंपरा चली आ रही है। कोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि रूढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है, ताकि कोर्ट महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल से बच सकें। इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
CJI चंद्रचूड़ ने जिस कानूनी शब्दावली के बारे में बताया है, उसे कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थीं, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।
महिला दिवस पर एक इवेंट में CJI ने बताया था- मैंने ऐसे फैसले देखे हैं जिनमें किसी महिला के एक व्यक्ति के साथ रिश्ते में होने पर उसे रखैल लिखा गया। कई ऐसे केस थे जिनमें घरेलू हिंसा अधिनियम और IPC की धारा 498ए के तहत FIR रद्द करने के लिए आवेदन किए गए थे, उनके फैसलों में महिलाओं को चोर कहा गया है।
कुछ शब्द और उनके रिप्लेसमेंट नीचे पढ़े जा सकते हैं:
शब्द रिप्लेसमेंट
अफेयर शादी के इतर रिश्ता
प्रॉस्टिट्यूट/हुकर (पतुरिया) सेक्स वर्कर
अनवेड मदर (बिनब्याही मां) मां
चाइल्ड प्राॅस्टिट्यूड तस्करी करके लाया बच्चा
बास्टर्ड ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता ने शादी न की हो
ईव टीजिंग स्ट्रीट सेक्शुअल हैरेसमेंट
प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस (भड़काऊ कपड़े) क्लोदिंग/ड्रेस
गुड वाइफ वाइफ (पत्नी)
कॉन्क्युबाइन/कीप (रखैल) ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो।
पूरी हैंडबुक नीचे पढ़ सकते हैं:
Related:
सुप्रीम कोर्ट ने NSA के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताई
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक लॉन्च की है। हैंडबुक 30 पन्नों की एक पुस्तिका है जिसका उद्देश्य महिलाओं के बारे में रूढ़िवादिता को पहचानने, समझने और उसका मुकाबला करने में न्यायाधीशों और कानूनी समुदाय की सहायता करना है। हैंडबुक महिलाओं के बारे में इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य रूढ़िवादी शब्दों और वाक्यांशों को चिन्हित करती है, जिनमें से कई नियमित रूप से निर्णयों में पाए जाते हैं।
8 मार्च को महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए इवेंट में CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल रुकेगा, जल्द डिक्शनरी भी आएगी। बुधवार 16 अगस्त को हैंडबुक जारी करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढ़िवादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक में क्या है
CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं। इन्हें कोर्ट में दलीलें देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में यूज किया जा सकता है। यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है।
इस हैंडबुक में वे शब्द हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने यूज किया है। शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया है।
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिता की परंपरा चली आ रही है। कोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि रूढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है, ताकि कोर्ट महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल से बच सकें। इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
CJI चंद्रचूड़ ने जिस कानूनी शब्दावली के बारे में बताया है, उसे कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थीं, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।
महिला दिवस पर एक इवेंट में CJI ने बताया था- मैंने ऐसे फैसले देखे हैं जिनमें किसी महिला के एक व्यक्ति के साथ रिश्ते में होने पर उसे रखैल लिखा गया। कई ऐसे केस थे जिनमें घरेलू हिंसा अधिनियम और IPC की धारा 498ए के तहत FIR रद्द करने के लिए आवेदन किए गए थे, उनके फैसलों में महिलाओं को चोर कहा गया है।
कुछ शब्द और उनके रिप्लेसमेंट नीचे पढ़े जा सकते हैं:
शब्द रिप्लेसमेंट
अफेयर शादी के इतर रिश्ता
प्रॉस्टिट्यूट/हुकर (पतुरिया) सेक्स वर्कर
अनवेड मदर (बिनब्याही मां) मां
चाइल्ड प्राॅस्टिट्यूड तस्करी करके लाया बच्चा
बास्टर्ड ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता ने शादी न की हो
ईव टीजिंग स्ट्रीट सेक्शुअल हैरेसमेंट
प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस (भड़काऊ कपड़े) क्लोदिंग/ड्रेस
गुड वाइफ वाइफ (पत्नी)
कॉन्क्युबाइन/कीप (रखैल) ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो।
पूरी हैंडबुक नीचे पढ़ सकते हैं:
Related:
सुप्रीम कोर्ट ने NSA के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताई