बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को दिल्ली लौटने की अनुमति दी, भीमा कोरेगांव मामले में जमानत की पाबंदियों में ढील

Written by sabrang india | Published on: December 18, 2025
कोर्ट ने 73 वर्षीय कार्यकर्ता की वित्तीय कठिनाइयों, ट्रायल में लंबे समय से हो रही देरी और क्षेत्रीय जमानत प्रतिबंधों से होने वाले मानवीय नुकसान को स्वीकार किया; निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए NIA द्वारा सुझाई गई शर्तों को मंजूरी दी गई।



Image: Live Law

बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार, 17 दिसंबर को मानवाधिकार कार्यकर्ता और एल्गार परिषद–भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी गौतम नवलखा पर लगाई गई जमानत की शर्तों में ढील देते हुए उन्हें मुंबई से दिल्ली स्थित अपने स्थायी निवास पर लौटने की अनुमति दी। यह राहत न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति श्याम सी. चंदक की खंडपीठ ने दी, जिसने जमानत पर रिहा होने के बाद से नवलखा को हो रही निजी, वित्तीय और सामाजिक कठिनाइयों को स्वीकार किया।

LiveLaw की रिपोर्टों के अनुसार, नवलखा ने अपनी जमानत की उस शर्त को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसके तहत उन्हें विशेष NIA कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई क्षेत्र से बाहर जाने से रोका गया था। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दलील दी कि परिवार, घर और दिल्ली में मौजूद अपने सहयोगी नेटवर्क से दूर मुंबई में रहना उनके लिए आर्थिक रूप से असंभव होता जा रहा है, खासकर तब जब इस मामले में अब तक ट्रायल शुरू भी नहीं हुआ है।

सुनवाई के दौरान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत के समक्ष कुछ शर्तें रखीं, जिन्हें नवलखा पर दिल्ली जाने की अनुमति दिए जाने की स्थिति में लागू किया जा सकता है। LiveLaw के अनुसार, इनमें पासपोर्ट जमा करना, विशेष कोर्ट की अनुमति के बिना दिल्ली से बाहर न जाना, हर शनिवार स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी देना और आवश्यकता पड़ने पर मुंबई स्थित विशेष NIA कोर्ट के समक्ष पेश होना शामिल है। खंडपीठ ने इन शर्तों को रिकॉर्ड पर स्वीकार करते हुए संकेत दिया कि स्थान परिवर्तन की अनुमति देने संबंधी औपचारिक आदेश पारित किया जाएगा।

पिछली कार्यवाही का संक्षिप्त विवरण

नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने जोर देकर कहा कि 73 वर्षीय कार्यकर्ता 2023 में जमानत मिलने के बाद से लगभग दो वर्षों से मुंबई में किराए के मकान में रह रहे हैं। Bar & Bench के अनुसार, चौधरी ने अदालत को बताया कि नवलखा दिल्ली के लंबे समय से निवासी हैं, उनका वहां अपना घर है और गिरफ्तारी से पहले वे अपने पार्टनर के साथ वहीं रहते थे। उन्होंने यह भी बताया कि मामले के लंबित रहने के कारण नवलखा और उनके पार्टनर को मुंबई में आवास की व्यवस्था करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ट्रायल शुरू न होने की स्थिति में, चौधरी ने चेतावनी दी कि नवलखा को मुंबई में रहने के लिए मजबूर करना उन्हें आर्थिक रूप से तबाह कर सकता है।

बचाव पक्ष ने अदालत को आश्वासन दिया कि नवलखा सभी शर्तों का सख्ती से पालन करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर हर सुनवाई में उपस्थित होंगे। कुछ पेशियों को दिल्ली स्थित NIA कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराने के सुझाव पर खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि वह दिल्ली से ट्रायल में भाग लेने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है। हालांकि, ट्रायल औपचारिक रूप से शुरू होने तक उन्हें दिल्ली में रहने की अनुमति देने पर सहमति जताई गई। इस संबंध में LiveLaw ने रिपोर्ट प्रकाशित की।

NIA ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी राहत से एक गलत मिसाल कायम हो सकती है, क्योंकि इस मामले में कई अन्य आरोपी भी मुंबई के निवासी नहीं हैं और वे भी इसी तरह की अनुमति मांग सकते हैं। इसके बावजूद, खंडपीठ ने कहा कि नवलखा के खिलाफ फरार होने या अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने का कोई आरोप नहीं है। 15 दिसंबर को न्यायाधीशों ने यह भी कहा था कि नवलखा अपने सामाजिक दायरे, दोस्तों और परिवार से “पूरी तरह अलग-थलग” महसूस कर रहे हैं, और इस बात पर जोर दिया था कि जमानत पर रहते हुए वे एक स्वतंत्र व्यक्ति हैं।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा कि किसी आरोपी को अनिश्चित काल तक उसके घर से दूर रहने के लिए मजबूर करना, खासकर तब जब ट्रायल शुरू न हुआ हो, निष्पक्षता के सिद्धांत पर गंभीर सवाल खड़े करता है। खंडपीठ ने कहा, “आवेदक का कहना है कि उन्हें मुंबई में रहने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जबकि उनका घर दिल्ली में है। उन्होंने यह आश्वासन दिया है कि ट्रायल शुरू होने पर वे मुंबई लौट आएंगे।” अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि जमानत पर रहते हुए नवलखा का आचरण निष्कलंक रहा है।

नवलखा ने इससे पहले भी हाई कोर्ट का रुख किया था, जब 19 जून को एक विशेष NIA कोर्ट ने दिल्ली जाने की उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। मौजूदा जमानत शर्तों के तहत उन्हें मुंबई के अधिकार क्षेत्र में रहना अनिवार्य था और किसी भी स्थान परिवर्तन के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक थी।

मामले की पृष्ठभूमि

नवलखा उन 16 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें 1 जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव गांव में भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। यह हिंसा पुणे के शनिवार वाड़ा में एक दिन पहले आयोजित एल्गार परिषद की बैठक के बाद भड़की थी। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि बैठक से जुड़े भाषणों और गतिविधियों ने हिंसा को उकसाया और माओवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया। लंबे समय से नागरिक स्वतंत्रताओं के पैरोकार रहे नवलखा पर सह-षड्यंत्रकारी के रूप में काम करने और प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर माओवादी विचारधारा के प्रचार का आरोप है—जिससे उन्होंने लगातार इनकार किया है।

विस्तृत रिपोर्ट यहां, यहां, यहां और यहां पढ़ी जा सकती हैं।

यह महत्वपूर्ण क्यों है?

हाई कोर्ट द्वारा कठोर जमानत शर्तों में दी गई ढील इस बात की पुनः पुष्टि करती है कि जमानत की शर्तें इतनी दमनकारी नहीं होनी चाहिए कि वे सजा का रूप ले लें, विशेषकर तब जब ट्रायल अनिश्चित काल तक लंबित हों। यह आदेश इस सिद्धांत पर जोर देता है कि जमानत की शर्तें जांच और ट्रायल के हितों को आरोपी के सम्मान, आजीविका और पारिवारिक जीवन के अधिकार के साथ संतुलित करें—खासकर उन मामलों में जहां कैद पहले ही लंबी हो चुकी हो और ट्रायल शुरू होने की कोई निश्चित समय-सीमा न हो।

अदालत द्वारा नवलखा की उम्र, आर्थिक कठिनाइयों, जमानत के दौरान अच्छे आचरण और फरार होने के जोखिम की अनुपस्थिति को महत्व देना यह दर्शाता है कि न्यायपालिका अब यह मानने लगी है कि जमानत नियमों को केवल तकनीकी या क्षेत्रीय प्रतिबंधों तक सीमित नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, उनमें अनुपातिकता और अंडरट्रायल आरोपियों की वास्तविक जीवन स्थितियों को ध्यान में रखना आवश्यक है—विशेषकर लंबे समय से लंबित UAPA मामलों में, जहां देरी एक आम सच्चाई बन चुकी है।

Related

इलाहाबाद हाईकोर्ट: कठोर यूपी ‘धर्मांतरण विरोधी कानून’ के तहत दर्ज एफआईआर खारिज, ‘माइमोग्राफ़िक शैली’ में एफआईआर दर्ज करने पर राज्य को चेतावनी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप पीड़िताओं की प्रेग्नेंसी समाप्त करने में देरी को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की

संबंधित लेख

बाकी ख़बरें