इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रेप पीड़िताओं की प्रेग्नेंसी समाप्त करने में देरी को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की

Written by sabrang india | Published on: December 18, 2025
सितंबर 2025 से तीन महीने पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बलात्कार पीड़िताओं की गर्भावस्था समाप्त करने से जुड़े मामलों में विभिन्न स्तरों पर उचित कदम उठाने में हो रही देरी के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दर्ज की।



इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 23 सितंबर, 2025 को बलात्कार पीड़िताओं की गर्भावस्था समाप्त करने से संबंधित मामलों में प्रक्रियात्मक देरी के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की। इस संबंध में LiveLaw की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने उन प्रक्रियात्मक खामियों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो अक्सर यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता मिलने में बाधा बनती हैं। (मामले का शीर्षक: In Re: Framing of Guidelines for Sensitizing All Concerned in Cases of Termination of Pregnancies). इस महत्वपूर्ण मामले में न्यायालय की सहायता के लिए अधिवक्ता महिमा मौर्य को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया।

27 नवंबर को, एमिकस क्यूरी तथा राज्य की ओर से उपस्थित अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने अधिकारियों को संवेदनशील बनाने और प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से कई सुझाव प्रस्तुत किए। मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को निर्धारित की गई है। उम्मीद है कि उच्च न्यायालय इन सुझावों पर आगे विचार करेगा, ताकि गर्भावस्था समाप्त करने से जुड़े मामलों में सभी संबंधित पक्षों के लिए स्पष्ट और प्रभावी दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें।

इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पहला आदेश 23 अक्टूबर, 2025 को पारित किया गया था। इसके बाद यह मामला 16 अक्टूबर, 30 अक्टूबर और 7 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया, जिन तारीखों पर सुनवाई के दौरान सुश्री महिमा मौर्य कुशवाहा, एमिकस क्यूरी, तथा श्री राजीव गुप्ता, उत्तर प्रदेश राज्य के अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने विभिन्न सुझाव रखे। इसके पश्चात 15 दिसंबर, 2025 को अंतिम आदेश पारित किया गया और मामले को 13 जनवरी, 2026 के लिए सूचीबद्ध किया गया।

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