नई दिल्ली। देश भर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी बिना सरकार के पक्ष सुने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया। सीएए का विरोध करने वाले संगठनों ने 29 जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया है। इस बंद को समर्थम देने के लिए शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने भी सड़कों पर उतरने का फैसला किया है।
रिपोर्ट के मुताबकि बहुजन क्रांति मोर्चा ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में 29 को भारत बंद का आह्वान किया है। बंद को कई मुस्लिम संगठनों ने भी समर्थन दिया है।
इस मामले पर रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि संविधान और गरीब विरोधी सीएए व एनआरसी का विरोध करने के लिए बहुजन संगठनों ने 29 जनवरी को भारत बंद का आह्वान किया है। रिहाई मंच इसका समर्थन करता है और बंद को कामयाब बनाने की अपील करता है।
उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को नफरत की विचारधारा की छांव में पले बढ़े एक धर्मांध ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी। उसी हत्यारे गोडसे को कुछ लोग हर साल महिमा मंडित करते हैं।
रिहाई मंच नफरत के ऐसे सौदागरों की कड़ी निंदा करता है और सरकार व प्रशासन से ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। उन्होंने यह भी कहा कि 30 जनवरी को गांधी जी के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबकि बहुजन क्रांति मोर्चा ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में 29 को भारत बंद का आह्वान किया है। बंद को कई मुस्लिम संगठनों ने भी समर्थन दिया है।
इस मामले पर रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि संविधान और गरीब विरोधी सीएए व एनआरसी का विरोध करने के लिए बहुजन संगठनों ने 29 जनवरी को भारत बंद का आह्वान किया है। रिहाई मंच इसका समर्थन करता है और बंद को कामयाब बनाने की अपील करता है।
उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को नफरत की विचारधारा की छांव में पले बढ़े एक धर्मांध ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या की थी। उसी हत्यारे गोडसे को कुछ लोग हर साल महिमा मंडित करते हैं।
रिहाई मंच नफरत के ऐसे सौदागरों की कड़ी निंदा करता है और सरकार व प्रशासन से ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। उन्होंने यह भी कहा कि 30 जनवरी को गांधी जी के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाएगा।