यूपी: ऊंची जाति के जमीन मालिक ने दलित बटाईदार की पत्नी की गोली मारकर हत्या की

Written by sabrang india | Published on: May 29, 2025
ऊंची जाति के जमीन मालिक द्वारा एक दलित महिला की हत्या कर दी गई। पुलिस मामले की जांच कर रही है।



उत्तर प्रदेश के बदलापुर थाना इलाके के देवपट्टी गांव में जमीनी विवाद के चलते एक 65 वर्षीय दलित महिला फूलपति देवी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। ये घटना सोमवार देर शाम की है। आरोप है कि गांव के ही ऊंची जाति के ब्राह्मण खेत मालिक जय भारत मिश्र ने पैसों के लेन-देन को लेकर हुई कहासुनी के बाद अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से फूलपति देवी पर गोली चला दी।

द मूकनायक पुलिस के हवाले से लिखा, जय भारत मिश्र ने अपनी खेती की जमीन रामजनत कन्नौजिया को बंटाई पर दी थी। सोमवार शाम मिश्र ने रामजनत और उनकी पत्नी फूलपति को बुलाकर बंटाई के हिसाब की बात की। बातचीत के दौरान विवाद इतना बढ़ा कि मिश्र ने गुस्से में आकर फूलपति देवी को गोली मार दी।

जौनपुर के एएसपी (ग्रामीण) अतिश कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि आरोपी जय भारत मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया है और घटना में इस्तेमाल किए गए रिवॉल्वर बरामद कर ली गई है। गंभीर रूप से घायल फूलपति देवी को पहले स्थानीय अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन इलाज के दौरान देर रात उनकी मौत हो गई।

घटना की जानकारी मिलते ही बदलापुर इंस्पेक्टर मनोज कुमार पांडे घटनास्थल पर पहुंचे और फॉरेंसिक टीम ने सबूत जुटाए। पुलिस ने रामजनत कन्नौजिया की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया है।

दलितों का उत्पीड़न थम नहीं रहा है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के मंदिर में पुलिस की मौजूदगी में दलितों परिवारों का प्रवेश कराया गया लेकिन उन्हें अब बहिष्कार और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्दवान जिले के गिड़ाग्राम गांव के 130 दलित परिवारों के लिए 13 मार्च 2025 का दिन ऐतिहासिक बन गया। तीन सौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद इन परिवारों को पहली बार अपने ही गांव के गिड़ेश्वर शिव मंदिर में प्रवेश करने का मौका मिला। यह प्रवेश भारी पुलिस सुरक्षा के बीच हुआ, लेकिन यह पल समाज में गहराई से जमी जातीय असमानता के खिलाफ एक मजबूत और प्रतीकात्मक संदेश बन गया।

हालांकि 13 मार्च 2025 को मिला मंदिर में प्रवेश का पल ऐतिहासिक और भावनात्मक था लेकिन वह खुशी ज्यादा समय तक टिक नहीं सकी। फ्रंटलाइन द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर प्रवेश के बाद गांव के प्रभावशाली तबके ने दलित परिवारों के खिलाफ सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार कर दिया। घटना के दो महीने बाद जब गांव का दौरा किया गया, तो यह साफ हुआ कि ऊपर-ऊपर भले ही एक बेमन जैसा स्वीकार नजर आता है, लेकिन भीतर ही भीतर जातीय तनाव अब भी गहराई से मौजूद है। यह स्थिति उस छवि को चुनौती देती है जिसमें पश्चिम बंगाल खुद को एक 'अजाती' और समावेशी समाज के रूप में पेश करता रहा है।

वहीं कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मथुरा के नौझील थाने के अंतर्गत भूरेका गांव में एक दलित परिवार में शादी के समारोह में रूकावट डाली गई थी। जाट समुदाय के कुछ लोगों ने बारात के दौरान बज रहे डीजे पर आपत्ति जताई थी।

शिकायत के अनुसार, कृष्ण, मनीष कुमार और अंकुर के नेतृत्व में एक समूह ने लगभग 20-25 अज्ञात लोगों के साथ बारात को रोका, दूल्हे को सजे-धजे बग्गी से उतरने के लिए मजबूर किया और धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे उसे गोली मार देंगे।

द ऑब्जर्वर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दुल्हन के चाचा और शिकायतकर्ता पूरन सिंह ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस के पहुंचने के बाद बारात सुरक्षित विवाह स्थल पर पहुंच गई। हालांकि, बुधवार की सुबह आरोपी हथियार लेकर वापस लौटे, परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज की, घर की महिलाओं से बदसलूकी की और जातिवादी नारे लगाते हुए एक मोटरसाइकिल को नुकसान पहुंचाया।

उधर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कुरावर थाना क्षेत्र के एक गांव में दलित समाज के दो युवकों के साथ जो बर्बरता हुई उसने पूरे प्रदेश को हिला दिया है। पहले तो उन्हें खेत में बुरी तरह पीटा गया, फिर उनका मुंह काला किया गया और गले में जूते-चप्पलों की माला डालकर पूरे गांव में घुमाया गया। ये सब 13 मई को हुआ था, लेकिन इसका वीडियो गुरुवार को सामने आया जिसके बाद मामला तेजी से फैल गया और चर्चा में आ गया।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित लड़कों ने कुरावर थाने में शिकायत दी जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट और दूसरी धाराओं में केस दर्ज किया।

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