दिल्ली दंगा मामले में कपिल मिश्रा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने के विरोध में पुलिस, 'उनकी कोई भूमिका नहीं'

Written by sabrang india | Published on: March 7, 2025
दिल्ली दंगों के मामले में भाजपा नेता कपिल मिश्रा और अन्य छह लोगों की भूमिका की जांच की मांग करते हुए पिछले साल दिसंबर में इलियास ने अदालत का रुख़ किया था।


फोटो साभार : सोशल मीडिया एक्स

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को उस याचिका का विरोध किया जिसमें 2020 के दिल्ली दंगों में कथित भूमिका के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दायर याचिका का जवाब देते हुए पुलिस ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा में मिश्रा की कथित भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला है।

इलियास ने दिसंबर 2024 में अदालत का रुख कर दंगों में मिश्रा और छह अन्य लोगों की भूमिका की जांच की मांग की थी, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

मामले की सुनवाई अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने की।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में मिश्रा, मुस्तफाबाद के विधायक और डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट, तत्कालीन डीसीपी (उत्तर पूर्व), दयालपुर थाने के तत्कालीन एसएचओ और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान को दंगों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए नामित किया गया है।

इलियास ने दावा किया कि उसने 23 फरवरी, 2020 को मिश्रा और अन्य लोगों को कर्दमपुरी में सड़क को ब्लॉक करते और रेहड़ी-पटरी वालों के ठेले को तोड़ फोड़ करते देखा था। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व (उत्तर पूर्व) डीसीपी और कुछ अन्य अधिकारी मिश्रा के साथ खड़े थे, जब उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को धमकाया।

इलियास ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्होंने दयालपुर के पूर्व एसएचओ और अन्य लोगों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मस्जिदों में तोड़फोड़ करते देखा।

अदालत 24 मार्च को होने वाली अगली सुनवाई में याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी।

दिल्ली दंगा मामला और मिश्रा का भड़काऊ भाषण

पुलिस ने उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा और शरजील इमाम सहित कई छात्र नेताओं और कार्यकर्ताओं को दंगों के सह-साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है।

हालांकि, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा गठित 10 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कहा था कि दिल्ली में हिंसा “सुनियोजित और लक्षित” थी और इसके लिए मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि “23 फरवरी, 2020 को मौजपुर में कपिल मिश्रा के भाषण के तुरंत बाद विभिन्न इलाकों में हिंसा शुरू हो गई थी, जिसमें उन्होंने उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने का खुलेआम आह्वान किया था।”

इसमें कहा गया है कि मिश्रा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह और उनके समर्थक मामले को अपने हाथों में ले लेंगे। उन्होंने कहा था, “लेकिन उसके बाद हम पुलिस की बात नहीं सुनेंगे यदि तीन दिनों के बाद सड़कें साफ नहीं की जाती हैं…।”

समिति ने कहा कि “पुलिस की बात न सुनने और गैर-कानूनी हथकंडों को खुले तौर पर स्वीकार करना, मौजूद अधिकारियों को हिंसा भड़काने के रूप में देखना चाहिए था।” लेकिन पुलिस द्वारा मिश्रा को गिरफ्तार न करना, जबकि डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या उनके ठीक बगल में खड़े थे। समिति ने कहा कि “यह दर्शाता है कि वे हिंसा को रोकने और जान-माल की रक्षा के लिए आवश्यक पहला और सबसे तत्काल निवारक कदम उठाने में विफल रहे।”

मिश्रा अब भाजपा के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में कानून और न्याय मंत्री हैं।

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