मराठवाड़ा: किसान की आत्महत्या में 32% की वृद्धि

Written by sabrang india | Published on: April 24, 2025
पिछले साल की पहली तिमाही में मराठवाड़ा में 204 किसानों ने आत्महत्या की थी जबकि इस साल इसी अवधि में 269 किसानों ने आत्महत्या कर ली हैं।


फोटो साभारा : सोशल मीडिया एक्स; द हिंदू

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों में पहली तिमाही में किसानों की आत्महत्या के 269 मामले सामने आए हैं।

द वायर ने मीडिया रिपोर्ट के हवाले से लिखा, मंगलवार (22 अप्रैल) को समाचार एजेंसी पीटीआई ने संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी साझा की।

ज्ञात हो कि साल 2024 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च की अवधि में मराठवाड़ा में जहां 204 किसानों ने आत्महत्या की थी और वहीं इस साल में जनवरी से मार्च की अवधि में 269 किसानों ने खुदकुशी की है। ये पिछले वर्ष की तुलना में इन मामलों में 32 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

इस क्षेत्र के आठ जिलों में से बीड में किसानों की आत्महत्या के मामलों में सबसे ज्यादा तेजी से सामने आए हैं। साल 2025 के पहले इन तीन महीनों में जिले में 71 किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई, जबकि 2024 में यह संख्या 44 थी।

जनवरी से मार्च के बीच छत्रपति संभाजीनगर में 50 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए। इसके बाद नांदेड़ में 37 किसानों ने आत्महत्या की, वहीं परभणी में 33, धाराशिव में 31, लातूर में 18, हिंगोली में 16 और जालना में 13 किसानों ने आत्महत्या कीं।

ध्यान रहे कि मध्य महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में कम वर्षा और मानसूनी बदलाव के कारण किसानों को भारी पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट जारी होने के बाद पूर्व लोकसभा सांसद और शेतकरी संगठन के प्रमुख राजू शेट्टी ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली महायुति राज्य सरकार की आलोचना की और कृषि ऋण के लिए छूट की मांग की।

उन्होंने कहा कि 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। शेट्टी ने कहा कि यह ‘धोखाधड़ी जैसा’ है।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, महाराष्ट्र में साल 2001 से लेकर अब तक 39,825 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से 22,193 आत्महत्याएं राज्य में कृषि संकट से जुड़ा था। यह संकट फसल के कम पैदावार, कर्ज के बोझ और सिंचाई के अपर्याप्त साधनों के कारण हुआ।

उल्लेखनीय है कि इस मामले में जिला स्तरीय समिति कर्ज, भूमि स्वामित्व और फसल की कमी को ध्यान में रखते हुए किसानों की आत्महत्या के मामलों की जांच करती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या मौत कृषि संकट से संबंधित थी। यदि ऐसा पाया जाता है, तो मरने वालों के परिवार मुआवजे के हकदार होते हैं।

मराठवाड़ा संभागीय आयुक्त कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में महाराष्ट्र के आठ जिलों में 1,088 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई थी। एक अधिकारी ने कहा कि 2022 की तुलना में यह आंकड़ा 65 अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2023 में मराठवाड़ा में हुईं 1,088 आत्महत्या में से बीड जिले में सबसे ज्यादा 269 मौत के मामले दर्ज किए गए। इसके बाद औरंगाबाद में 182, नांदेड़ में 175, धाराशिव में 171 और परभणी में 103 मौत के मामले सामने आए। जालना, लातूर और हिंगोली में क्रमश: 74, 72 और 42 ऐसी मौतें हुईं।

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