मध्य प्रदेश: दलित व्यक्ति को कालिख पोता, जूता-चप्पल पहनाकर घुमाया

Written by sabrang india | Published on: October 3, 2024
इस घटना के पीछे कथित तौर पर 29 सितंबर को एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत थी जिसमें उस व्यक्ति पर उसका पीछा करने का आरोप लगाया गया था। इस घटना की हर तरफ निंदा की गई है। यह मामला भानपुरा पुलिस थाने के अंतर्गत भैसोदामंडी गांव का है। 



मध्य प्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध थम नहीं रहा है। राज्य के मंदसौर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां एक दलित व्यक्ति को खुलेआम अपमानित किया गया। उसका चेहरा काला कर दिया गया और उसे गले में जूते-चप्पलों का हार पहनने के लिए मजबूर किया गया। 

इसके पीछे कथित तौर पर 29 सितंबर को एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत थी जिसमें उस व्यक्ति पर उसका पीछा करने का आरोप लगाया गया था। इस घटना की हर तरफ निंदा की गई है। यह मामला भानपुरा पुलिस थाने के अंतर्गत भैसोदामंडी गांव का है। 

पुलिस अधीक्षक अभिषेक आनंद ने कहा कि घटना की वीडियो सामने आने के बाद अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक अर्धनग्न व्यक्ति को दिखाया गया है, जिसका चेहरा काला किया गया है और वह सिर्फ ट्राउजर पहने हुए है। उसे गांव में चलने के लिए मजबूर किया जा रहा है जिसके गले में जूत-चप्पलों की हार है। 

इस दलित व्यक्ति के खिलाफ़ हुई घटना 29 सितंबर को एक महिला की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा है। आनंद ने बताया कि उस पर बीएनएस की धारा 74 (महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उन पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 78 (पीछा करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस की पूछताछ के दौरान आरोपी ने इस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। मंगलवार को वीडियो सामने आने के बाद अधिकारियों को बताया गया जिसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की।

दलित व्यक्ति की शिकायत के आधार पर बीएनएस और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के तहत रामेश्वर गुर्जर, बालचंद गुर्जर और अन्य लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया है और दलित व्यक्ति को उसके खिलाफ दर्ज मामले के बारे में नोटिस दिया गया है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) डेटा के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समाज से संबंधित लोगों के खिलाफ अपराध दर सबसे अधिक थी। डेटा से पता चलता है कि राज्य में 2020 में एससी के खिलाफ अपराध दर भी सबसे अधिक थी, और 2019 में दूसरे स्थान पर (राजस्थान के बाद) था। ये संख्याएं बताती हैं कि मध्य प्रदेश में दलितों के खिलाफ बार-बार होने वाले अत्याचार कम होने के बजाए एक पैटर्न को दर्शाते हैं।

हालांकि, जिस दर से आरोप पत्र दायर किए गए वह अधिकांश भारतीय राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में अधिक था। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के सभी मामलों में से लगभग 97.7% मामले 13 राज्यों से दर्ज किए गए, जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में ऐसे अपराधों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत नवीनतम सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अत्याचार के अधिकांश मामले भी 13 राज्यों में केंद्रित थे जहां 2022 में सभी मामलों का 98.91% दर्ज किया गया।

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