"जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ तो सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। पूरी धरती ही सनातनी धर्मावलंबियों की है। हमारा सम्पूर्ण पृथ्वी है। फिर भी हमने अपना अधिकार छोड़ रखा है कि आप भी जियो और खाओ। आज जहां जहां खुदाई हो रही है, वहां हमारे मंदिरों के प्रमाण मिल रहे हैं।"
महाकुंभ में सोमवार को आयोजित की गई धर्म संसद में सनातन बोर्ड बनाने की मांग की गई। इसमें 13 अखाड़े और चारों शंकराचार्य शामिल नहीं हुए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार धर्म संसद में जगद्गुरु विद्या भास्कर ने प्रधानमंत्री मोदी से संसद में वर्शिप एक्ट को खत्म करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हम इस संबंध में सरकार को मांगपत्र भी भेज रहे हैं। इस दौरान "संभल, मथुरा, विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ" का नारा दिया गया।
वहीं अयोध्या के वल्लभदास महाराज ने 'रामलला हम आएंगे, मंदिर हर जगह बनाएंगे' का नारा दिया। धर्म संसद में करीब 5 हजार साधु-संत और भक्त मौजूद हैं।
इस दौरान जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा कि "जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ तो सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। पूरी धरती ही सनातनी धर्मावलंबियों की है। हमारा सम्पूर्ण पृथ्वी है। फिर भी हमने अपना अधिकार छोड़ रखा है कि आप भी जियो और खाओ। आज जहां जहां खुदाई हो रही है, वहां हमारे मंदिरों के प्रमाण मिल रहे हैं।"
धर्म संसद में देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि बहुत सह लिया, अब न सहेंगे। अपना हक लेकर रहेंगे। पाकिस्तान छोड़कर हिंदू आए, उनकी जगह कहां गई। पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं है तो हिंदुस्तान में वक्फ बोर्ड क्या कर रहा है?
ज्ञात हो कि वर्शिप एक्ट को खत्म करने को लेकर भी धर्म संसद में मांग उठी। इस एक्ट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था या है, वह उसी रूप में रहेगा। उसे बदला नहीं जा सकेगा।
धर्म संसद में निम्न प्रमुख प्रस्ताव रखे गए
- सनातन बोर्ड लागू किया जाए।
- देशभर के मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटे।
- हर बड़े मंदिर में गोशाला स्थापित हो।
- धर्मांतरण रोकने के लिए गरीब हिंदू परिवारों को आर्थिक सहायता देना।
- सनातन हिंदुओं के दूसरे धर्म में विवाह रोकने का प्रयास करना।
जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा– सनातन बोर्ड सरकारी नहीं होना चाहिए। अगर वो सरकारी बना तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उस बोर्ड में आचार्य होने चाहिए। उस बोर्ड के द्वारा सनातन धर्म का संरक्षण और संवर्धन हो। जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ तो सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। पूरी धरती ही सनातनी धर्मावलंबियों की है। हमारा सम्पूर्ण पृथ्वी की है। फिर भी हमने अपना अधिकार छोड़ रखा है कि आप भी जियो और खाओ। आज जहां जहां खुदाई हो रही है, वहां हमारे मंदिरों के प्रमाण मिल रहे हैं।
चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जिस महाकुंभ में हम बैठे हैं, कुछ मूर्खों ने उस धरती पर भी वक्फ बोर्ड का दावा ठोंक दिया। ये सनातन बोर्ड बहुत पहले हो जाना चाहिए था। जब देश का बंटवारा हुआ तो एक बड़ा षड्यंत्र रचा गया। जिनके 4 थे, उन्होंने 3 को पाकिस्तान भेज दिया और एक भारत में रहने दिया, ताकि संपत्ति काबिज रहे। 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी संपत्तियों को लेकर नियम बनाया तो विधर्मियों ने वो संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान दे दी। ऐसी स्थितियों में सनातन बोर्ड जरूरी है।
प्रस्ताव के अनुसार भारत में हिंदू मंदिरों, संपत्तियों के संरक्षण के लिए सनातन बोर्ड बनाने की बात कही गई। ये बोर्ड स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित होगा। ये बोर्ड मंदिरों में पूजा पद्धति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। चारों शंकराचार्य को प्रमुख संरक्षक नियुक्त किया जाएगा। सनातन बोर्ड सभी मंदिरों में पुजारी की नियुक्ति करेगा, जो मोबाइल नहीं चलाएगा, जिसे पूर्ण ज्ञान होगा।
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महाकुंभ में सोमवार को आयोजित की गई धर्म संसद में सनातन बोर्ड बनाने की मांग की गई। इसमें 13 अखाड़े और चारों शंकराचार्य शामिल नहीं हुए।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार धर्म संसद में जगद्गुरु विद्या भास्कर ने प्रधानमंत्री मोदी से संसद में वर्शिप एक्ट को खत्म करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हम इस संबंध में सरकार को मांगपत्र भी भेज रहे हैं। इस दौरान "संभल, मथुरा, विश्वनाथ, तीनों लेंगे एक साथ" का नारा दिया गया।
वहीं अयोध्या के वल्लभदास महाराज ने 'रामलला हम आएंगे, मंदिर हर जगह बनाएंगे' का नारा दिया। धर्म संसद में करीब 5 हजार साधु-संत और भक्त मौजूद हैं।
इस दौरान जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा कि "जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ तो सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। पूरी धरती ही सनातनी धर्मावलंबियों की है। हमारा सम्पूर्ण पृथ्वी है। फिर भी हमने अपना अधिकार छोड़ रखा है कि आप भी जियो और खाओ। आज जहां जहां खुदाई हो रही है, वहां हमारे मंदिरों के प्रमाण मिल रहे हैं।"
धर्म संसद में देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि बहुत सह लिया, अब न सहेंगे। अपना हक लेकर रहेंगे। पाकिस्तान छोड़कर हिंदू आए, उनकी जगह कहां गई। पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू बोर्ड नहीं है तो हिंदुस्तान में वक्फ बोर्ड क्या कर रहा है?
ज्ञात हो कि वर्शिप एक्ट को खत्म करने को लेकर भी धर्म संसद में मांग उठी। इस एक्ट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था या है, वह उसी रूप में रहेगा। उसे बदला नहीं जा सकेगा।
धर्म संसद में निम्न प्रमुख प्रस्ताव रखे गए
- सनातन बोर्ड लागू किया जाए।
- देशभर के मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटे।
- हर बड़े मंदिर में गोशाला स्थापित हो।
- धर्मांतरण रोकने के लिए गरीब हिंदू परिवारों को आर्थिक सहायता देना।
- सनातन हिंदुओं के दूसरे धर्म में विवाह रोकने का प्रयास करना।
जगद्गुरु राघवाचार्य ने कहा– सनातन बोर्ड सरकारी नहीं होना चाहिए। अगर वो सरकारी बना तो उसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा। उस बोर्ड में आचार्य होने चाहिए। उस बोर्ड के द्वारा सनातन धर्म का संरक्षण और संवर्धन हो। जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ तो सारे मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। पूरी धरती ही सनातनी धर्मावलंबियों की है। हमारा सम्पूर्ण पृथ्वी की है। फिर भी हमने अपना अधिकार छोड़ रखा है कि आप भी जियो और खाओ। आज जहां जहां खुदाई हो रही है, वहां हमारे मंदिरों के प्रमाण मिल रहे हैं।
चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जिस महाकुंभ में हम बैठे हैं, कुछ मूर्खों ने उस धरती पर भी वक्फ बोर्ड का दावा ठोंक दिया। ये सनातन बोर्ड बहुत पहले हो जाना चाहिए था। जब देश का बंटवारा हुआ तो एक बड़ा षड्यंत्र रचा गया। जिनके 4 थे, उन्होंने 3 को पाकिस्तान भेज दिया और एक भारत में रहने दिया, ताकि संपत्ति काबिज रहे। 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी संपत्तियों को लेकर नियम बनाया तो विधर्मियों ने वो संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान दे दी। ऐसी स्थितियों में सनातन बोर्ड जरूरी है।
प्रस्ताव के अनुसार भारत में हिंदू मंदिरों, संपत्तियों के संरक्षण के लिए सनातन बोर्ड बनाने की बात कही गई। ये बोर्ड स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित होगा। ये बोर्ड मंदिरों में पूजा पद्धति की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। चारों शंकराचार्य को प्रमुख संरक्षक नियुक्त किया जाएगा। सनातन बोर्ड सभी मंदिरों में पुजारी की नियुक्ति करेगा, जो मोबाइल नहीं चलाएगा, जिसे पूर्ण ज्ञान होगा।
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