सीजेपी ने धर्म संसद और त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रमों में नफरत फैलाने वाले बयानों पर एनसीएम से कार्रवाई की मांग की, दो शिकायतें दर्ज कीं

Written by CJP Team | Published on: January 30, 2025
दोनों शिकायतें दक्षिणपंथी नेताओं और विभाजनकारी व भड़काऊ बयानबाजी फैलाने वाले कार्यक्रमों के खिलाफ दर्ज की गई हैं, जिसमें बढ़ती सांप्रदायिक बयानबाजी से निपटने और देश में सद्भाव की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है।



हाल के दिनों में नफरत फैलाने वाले भाषण और सांप्रदायिक बयानबाजी में खतरनाक वृद्धि हुई है, भारत भर में दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में खतरनाक और विभाजनकारी बयानबाजी की गई है। एक प्रमुख नागरिक अधिकार संगठन सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) सक्रिय तरीके से इस पर नजर रखे हुए है और ऐसी घटनाओं पर चिंता जता रहा है जो हिंसा भड़काती हैं और देश के सामाजिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं। 2025 की शुरुआत में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के पास दर्ज की गई शिकायतों में खासकर दो चिंताजनक घटनाओं को उजागर किया गया है जिनमें दिसंबर 2024 में कई राज्यों में आयोजित त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम और हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ सभाएं हैं।

इन घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदायों विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों को निशाना बनाकर नफरत फैलाने वाले भाषणों का प्रचार किया गया है, जिसमें हिंसा, आर्थिक बहिष्कार और नुकसान पहुंचाने वाले षड्यंत्रों को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया है। सीजेपी की शिकायतें एनसीएम और अन्य अधिकारियों से इस तरह की बयानबाजी के प्रसार को रोकने और वंचित समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती जा रही है, यह बात और भी स्पष्ट होती जा रही है कि धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक सद्भाव और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने की सख्त जरूरत है।

त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रमों में अभद्र भाषा को लेकर शिकायत

29 जनवरी को सीजेपी ने एनसीएम के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज की थी जिसमें पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में दिसंबर 2024 में आयोजित त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रमों पर चिंता जताई गई थी। विश्व हिंदू परिषद (VHP), बजरंग दल और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद (AHP) जैसे दक्षिणपंथी समूहों द्वारा आयोजित इन सभाओं में खुलेआम भड़काऊ बयानबाजी, नफरत फैलाने वाले भाषण और अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ लामबंदी की गई।

शिकायत में कई ऐसे उदाहरण दिए गए हैं, जहां इन आयोजनों में वक्ताओं ने विभाजनकारी बयानबाजी की जिसमें ‘लव जिहाद’ और ‘भूमि जिहाद’ जैसी निराधार साजिशें शामिल हैं, वहीं आर्थिक बहिष्कार और निगरानी का आह्वान किया गया। दिल्ली में एक कार्यक्रम में वरिष्ठ वीएचपी नेताओं ने ज्ञानवापी और शाही ईदगाह मस्जिदों जैसे धार्मिक स्थलों को “मुक्त” करने की अपनी मंशा जाहिर की, साथ ही एक प्रतिष्ठित सूफी तीर्थस्थल अजमेर शरीफ दरगाह को भी निशाना बनाया। हिमाचल प्रदेश में, नफरत से भरे भाषणों में मुसलमानों की तुलना “राक्षसों” से की गई और उन पर खाने पीने को दूषित करने, आर्थिक और सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देने का झूठा आरोप लगाया गया। राजस्थान के सिरोही जिले में एक कार्यक्रम में हिंसा के लिए खुला आह्वान किया गया जिसमें एक नेता ने मौजूद लोगों से “हथियार उठाने और युद्ध के लिए तैयार रहने” का आह्वान किया।

खासकर चिंता का विषय पुलिस की मिलीभगत है जैसा कि सिरोही में एक वर्दीधारी पुलिस अधिकारी द्वारा उजागर किया गया था, जिसने अतिदक्षिणपंथी नेताओं के साथ त्रिशूल दीक्षा जुलूस में सार्वजनिक रूप से भाग लिया था। यह संस्थागत पूर्वाग्रह और नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई करने में अधिकारियों की विफलता के बारे में गंभीर सवाल उठाता है।

सीजेपी ने एनसीएम से इन घटनाओं का तत्काल संज्ञान लेने, आयोजकों और वक्ताओं के बयानों की जांच करने और नफरत फैलाने और हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई करने का आग्रह किया है। संगठन ने सांप्रदायिक बयानबाजी को आगे से रोकने, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने और धर्मनिरपेक्षता व सामाजिक सद्भाव के लिए भारत की संवैधानिक प्रतिबद्धता को बनाए रखने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है।

शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है।



‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफरत भरे भाषणों के खिलाफ शिकायत

22 जनवरी को सीजेपी ने एनसीएम से 20 दिसंबर, 2024 को ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में दिए गए नफरत भरे भाषणों के बारे में शिकायत दर्ज की, जिसका नेतृत्व यति नरसिंहानंद और अन्य दक्षिणपंथी हस्तियों ने किया था। हरिद्वार में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति न मिलने के बावजूद, सभा दूसरे स्थान पर आयोजित की गई, जहां एक बार फिर भड़काऊ और हिंसक बयानबाजी की गई, जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाया गया और हिंदू राष्ट्र की मांग की गई। कार्यक्रम में दिए गए भाषणों में अपमानजनक भाषा और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के लिए आह्वान शामिल थे, जो धार्मिक विविधता से रहित समाज की कल्पना को बढ़ावा देते थे।

अपने विवादास्पद विचारों के लिए जाने जाने वाले नरसिंहानंद ने "हिंदू राष्ट्र" की अपनी मांग दोहराई और एक ऐसे समाज की कल्पना जाहिर की जिसमें मुसलमानों, मस्जिदों या मदरसों के लिए कोई जगह न हो। उन्होंने राजनीतिक नेताओं के खिलाफ परोक्ष धमकियां भी जारी कीं, जिससे सांप्रदायिक तनाव और बढ़ गया। कालीचरण महाराज और श्रीमहंत राजू दास सहित अन्य वक्ताओं ने भी इसी तरह की बातें दोहराईं, मुसलमानों पर हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ हिंसक कार्रवाई का आह्वान किया। इस कार्यक्रम में एक साधु भी शामिल था जिसने मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष हिंदुओं के खिलाफ सशस्त्र आत्मरक्षा की वकालत की और मस्जिदों में अजान और मुस्लिम कार्यक्रमों को रोकने का आह्वान किया।

इस तरह के भाषणों का सामाजिक सौहार्द पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, समुदायों के बीच और ज्यादा ध्रुवीकरण होता है और अल्पसंख्यकों में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा होता है। कार्यक्रम के दौरान इस्तेमाल की गई नफरती बयान ने इसी तरह के विचारों वाले लोगों को प्रोत्साहित किया है, जिससे धार्मिक असहिष्णुता की लहर बढ़ रही है और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को हासिल करना ज्यादा मुश्किल हो गया है। जिस तरह से इन लोगों ने बेखौफ होकर काम किया है और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की कमी ने स्थिति को और बदतर बना दिया है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसे नुकसान पहुंचाने वाले बयान के लिए प्रजनन स्थल बन गए हैं।

शिकायत में सीजेपी ने एनसीएम से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है, जिसमें जांच शुरू करना, नफरत फैलाने वाले बयान के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करना और उन्हें संबंधित भारतीय कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जाना शामिल है। शिकायत में आयोग से जांच की निगरानी करने, अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए मजबूर करने और इस तरह की खतरनाक बयानबाजी के प्रसार को रोकने के लिए आगे के निर्देश जारी करने का भी आग्रह किया गया है। यह दखल भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की हिफाजत करने और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को बरकरार रखने, सांप्रदायिक हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए अहम है।

शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:

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