सीजेपी ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए भाजपा के रविंदर नेगी के खिलाफ उनके मुस्लिम विरोधी बयान और अभियान के लिए दिल्ली के सीईओ के समक्ष औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। उन पर दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 में वोटों में हेरफेर करने के लिए डर और सांप्रदायिक नफरत फैलाने का आरोप है। उन्होंने कहा कि "मैं एक सनातनी हिंदू हूं और हर हिंदू की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है।" सीजेपी ने कहा कि वह सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं, हिंदू हितों की रक्षा को एक विशेष कर्तव्य के रूप में पेश कर रहे हैं और मुसलमानों को एक खतरे के रूप में पेश कर रहे हैं।
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी आर. एलिस वाज और विशेष मुख्य चुनाव अधिकारी राजेश कुमार के समक्ष 10 जनवरी को भाजपा पार्षद रविंदर सिंह नेगी (विनोद नगर- 198) के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज कराई। ये शिकायत दिल्ली के पटपड़गंज में 6 जनवरी को चुनाव प्रचार कार्यक्रम के दौरान नेगी द्वारा भड़काऊ मुस्लिम विरोधी बयान को लेकर की गई है। अपने बयान में नेगी ने चुनावी फायदे के लिए मुसलमानों को निशाना बनाकर एक विभाजनकारी सांप्रदायिक नैरेटिव बनाने की कोशिश की जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2), 123(3) और 123(3A) का उल्लंघन है।
सीजेपी ने दिल्ली के सीईओ के समक्ष कहा कि उन्होंने मुसलमानों को “मुगलों का वंशज” बताया, भारत पर प्रभुत्व के लिए “जय श्री राम” का आह्वान किया और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के लिए मुस्लिम आबादी के खतरे की बात करके डर फैलाया।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में जिक्र किया कि, “भाजपा नेता रविंदर सिंह नेगी का भाषण हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक रेखाएं खींचकर चुनाव प्रक्रिया को सांप्रदायिक बनाने का एक स्पष्ट प्रयास लगता है। एक “सनातनी हिंदू” के रूप में अपनी पहचान का हवाला देकर और हिंदुओं की रक्षा करने के कर्तव्य का दावा करके नेगी हिंदू समुदाय को एक पीड़ित के रूप में पेश करते हैं जिसे कथित मुस्लिम खतरे से सुरक्षा की जरूरत है। वह इसे नैतिक जवाबदेही के रूप में पेश करते हैं जिसका उद्देश्य योग्यता या नीति के बजाय धार्मिक आधार पर वोट हासिल करना है।
सीजेपी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी मुसलमानों को मुगल शासकों के साथ जोड़कर उनकी पहचान को नकारात्मक रूप से पेश करती है, जिससे समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा मिलता है। यह भाषण न केवल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है, बल्कि देश में सांप्रदायिक तनाव को भी और बढ़ाता है। यह ऐतिहासिक संदर्भ मुसलमानों के प्रति डर और नफरत को भड़काने के लिए है, उन्हें हिंदू हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण या विरोधी के रूप में पेश करता है। यह बयान कि केवल 'जय श्री राम' बोला जाएगा" हिंदू वर्चस्व पर और ज्यादा जोर देता है, जिसका मतलब है कि मुसलमानों और अन्य गैर-हिंदू समूहों को हाशिए पर रखा जाना चाहिए।
इसके अलावा, नेगी कश्मीरी पंडितों के पलायन और बांग्लादेश में हिंदुओं के कथित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाते हैं। हालांकि ये चिंताएं वाजिब हैं, ऐसे में इन मुद्दों को इस तरह से पेश करना कि वे सीधे मुसलमानों (कश्मीर और बांग्लादेश दोनों में) से जुड़ते हैं, समर्थन हासिल करने के लिए सांप्रदायिक भावनाओं का वे शोषण करते हैं। हिंदू समुदायों के लिए कथित खतरों पर ध्यान केंद्रित करके वह भावनात्मक अपील का इस्तेमाल करते हैं जो सामाजिक या आर्थिक मुद्दों के समाधान के बजाय डर और विभाजन को बढ़ाता है।
दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विभाजनकारी बयानबाजी का हानिकारक प्रभाव
सीजेपी ने दिल्ली के सीईओ के समक्ष अपनी शिकायत में चिंता जाहिर की कि रविंदर सिंह नेगी के भाषण में विभाजनकारी बयानबाजी दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ा खतरा है। धार्मिक पहचान के आधार पर पूरे समुदायों को बांट करके नेगी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन और गुस्से को बढ़ावा देते हैं। उनके बयान कि मुसलमान "मुगलों के वंशज" हैं, उनके "मुंह उतरे हुए हैं" खतरनाक रूढ़ियों को बढ़ावा देता है और आबादी के एक बड़े हिस्से को बदनाम करता हैं। यह सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ाता है और एक ऐसा माहौल तैयार करता है जहां धार्मिक पहचान समानता और आपसी सम्मान के साझा मूल्यों के बजाय विश्वास और अपनेपन का आधार बन जाती है।
इसके अलावा, ऐतिहासिक मामलों का इस्तेमाल जैसे कि कश्मीरी पंडितों का पलायन और बांग्लादेश में कथित हिंसा इन मुद्दों की व्यापक जटिलताओं को दूर किए बिना डर और अविश्वास को भड़काती है। सीजेपी की शिकायत के अनुसार, एकता या राष्ट्रीय विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय नेगी की बयानबाजी भावनाओं से खेलती है, ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है और उस समावेशी भावना को कमजोर करती है जिस पर लोकतांत्रिक समाज पनपते हैं।
चुनावी माहौल पर असर
इसके अलावा, सीजेपी ने चुनावी माहौल पर विभाजनकारी बयान के प्रभाव के बारे में गंभीर चिंताओं को उजागर किया है, खासकर भाजपा पार्षद रविंदर नेगी के बयानों के मामले में। सीजेपी ने कहा कि नेगी की बयानबाजी मतदान को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह चुनावी विकल्पों का ध्यान शासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से हटाकर सांप्रदायिक चिंताओं की ओर ले जाती है। सीजेपी के अनुसार, यह बदलाव तर्कसंगत बहस को कमजोर करता है और पहचान की राजनीति और बहिष्कार के एजेंडे पर केंद्रित राजनीतिक विमर्श को बढ़ावा देता है। विभाजनकारी बयान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे चुनाव सामूहिक प्रगति के मंचों के बजाय वर्चस्व की प्रतियोगिता में बदल जाते हैं। सीजेपी ने कहा कि मतदाता उम्मीदवारों की नीतियों और योग्यताओं के आधार पर निर्णय लेने के बजाय खतरनाक बयानों से प्रभावित होते हैं। सीजेपी ने यह भी दलील दी कि इस तरह की बयानबाजी चुनावी प्रक्रिया की लोकतांत्रिक अखंडता को कम करती है, क्योंकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक असुरक्षाओं का फायदा उठाती है।
इसके अलावा, सीजेपी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के सांप्रदायिक नैरेटिव लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को खत्म करती हैं, क्योंकि नेगी जैसे उच्च पदस्थ नेताओं ने एकता के बदले ध्रुवीकरण को प्राथमिकता देते हुए चौंकाने वाली मिसाल कायम की है। सीजेपी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी से सामाजिक अशांति भड़कने का खतरा है, जिसका दिल्ली में शांति और स्थिरता पर स्थायी असर पड़ सकता है।
आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन
सीजेपी ने नेगी द्वारा आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन की ओर भी ध्यान खींचा। इसने खास तौर से कहा कि उनके बयान स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बने इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं। सीजेपी ने कहा कि एमसीसी का भाग-I मौजूदा सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है, जिसका नेगी के बयानों में राजनीतिक वफादारी को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक पहचान का इस्तेमाल करके स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है। हिंदुओं से धार्मिक आधार पर भाजपा को वोट देने का उनका आह्वान और मुसलमानों के लिए उनके अपमानजनक बयान इस उल्लंघन का उदाहरण है। इसके अलावा सीजेपी ने एमसीसी के भाग-V के तहत इन उल्लंघनों पर जोर दिया जहां चुनाव प्रचारों में धार्मिक भावनाओं की अपील पर रोक है। इसमें कहा गया है कि नेगी का बयान हिंदू पहचान को बढ़ावा देकर और मुसलमानों को बदनाम करके इसका उल्लंघन करता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कानूनी उल्लंघन
सीजेपी ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कानूनी उल्लंघनों का भी हवाला दिया। विशेष रूप से धारा 123 (2) जो मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव को प्रतिबंधित करती है। सीजेपी ने कहा कि नेगी की धार्मिक अपील का उद्देश्य नीतिगत विचारों के बजाय धार्मिक निष्ठा के आधार पर भाजपा को वोट देना एक नैतिक कर्तव्य के रूप में बताकर मतदाताओं को प्रभावित करना है। सीजेपी ने आगे कहा कि नेगी की अपील धारा 123 (3) का उल्लंघन करती है, जो धार्मिक आधार पर अपील को प्रतिबंधित करती है, साथ ही धारा 123 (3 ए), जो चुनावी लाभ के लिए समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत की भावनाओं को बढ़ावा देने पर रोक लगाती है। सीजेपी ने कहा कि नेगी की विभाजनकारी बयानबाजी जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी पैदा करती है, वह राजनीतिक लाभ के लिए इन विभाजनों का फायदा उठाने की कोशिश करती है जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की कई धाराओं का उल्लंघन करती है।
सीजेपी की 10 जनवरी, 2025 को सीईओ दिल्ली को दी गई शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी आर. एलिस वाज और विशेष मुख्य चुनाव अधिकारी राजेश कुमार के समक्ष 10 जनवरी को भाजपा पार्षद रविंदर सिंह नेगी (विनोद नगर- 198) के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज कराई। ये शिकायत दिल्ली के पटपड़गंज में 6 जनवरी को चुनाव प्रचार कार्यक्रम के दौरान नेगी द्वारा भड़काऊ मुस्लिम विरोधी बयान को लेकर की गई है। अपने बयान में नेगी ने चुनावी फायदे के लिए मुसलमानों को निशाना बनाकर एक विभाजनकारी सांप्रदायिक नैरेटिव बनाने की कोशिश की जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2), 123(3) और 123(3A) का उल्लंघन है।
सीजेपी ने दिल्ली के सीईओ के समक्ष कहा कि उन्होंने मुसलमानों को “मुगलों का वंशज” बताया, भारत पर प्रभुत्व के लिए “जय श्री राम” का आह्वान किया और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं के लिए मुस्लिम आबादी के खतरे की बात करके डर फैलाया।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में जिक्र किया कि, “भाजपा नेता रविंदर सिंह नेगी का भाषण हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक रेखाएं खींचकर चुनाव प्रक्रिया को सांप्रदायिक बनाने का एक स्पष्ट प्रयास लगता है। एक “सनातनी हिंदू” के रूप में अपनी पहचान का हवाला देकर और हिंदुओं की रक्षा करने के कर्तव्य का दावा करके नेगी हिंदू समुदाय को एक पीड़ित के रूप में पेश करते हैं जिसे कथित मुस्लिम खतरे से सुरक्षा की जरूरत है। वह इसे नैतिक जवाबदेही के रूप में पेश करते हैं जिसका उद्देश्य योग्यता या नीति के बजाय धार्मिक आधार पर वोट हासिल करना है।
सीजेपी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी मुसलमानों को मुगल शासकों के साथ जोड़कर उनकी पहचान को नकारात्मक रूप से पेश करती है, जिससे समाज में नफरत और विभाजन को बढ़ावा मिलता है। यह भाषण न केवल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभाव को बढ़ावा देता है, बल्कि देश में सांप्रदायिक तनाव को भी और बढ़ाता है। यह ऐतिहासिक संदर्भ मुसलमानों के प्रति डर और नफरत को भड़काने के लिए है, उन्हें हिंदू हितों के प्रति शत्रुतापूर्ण या विरोधी के रूप में पेश करता है। यह बयान कि केवल 'जय श्री राम' बोला जाएगा" हिंदू वर्चस्व पर और ज्यादा जोर देता है, जिसका मतलब है कि मुसलमानों और अन्य गैर-हिंदू समूहों को हाशिए पर रखा जाना चाहिए।
इसके अलावा, नेगी कश्मीरी पंडितों के पलायन और बांग्लादेश में हिंदुओं के कथित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाते हैं। हालांकि ये चिंताएं वाजिब हैं, ऐसे में इन मुद्दों को इस तरह से पेश करना कि वे सीधे मुसलमानों (कश्मीर और बांग्लादेश दोनों में) से जुड़ते हैं, समर्थन हासिल करने के लिए सांप्रदायिक भावनाओं का वे शोषण करते हैं। हिंदू समुदायों के लिए कथित खतरों पर ध्यान केंद्रित करके वह भावनात्मक अपील का इस्तेमाल करते हैं जो सामाजिक या आर्थिक मुद्दों के समाधान के बजाय डर और विभाजन को बढ़ाता है।
दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने और लोकतांत्रिक मूल्यों पर विभाजनकारी बयानबाजी का हानिकारक प्रभाव
सीजेपी ने दिल्ली के सीईओ के समक्ष अपनी शिकायत में चिंता जाहिर की कि रविंदर सिंह नेगी के भाषण में विभाजनकारी बयानबाजी दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बड़ा खतरा है। धार्मिक पहचान के आधार पर पूरे समुदायों को बांट करके नेगी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन और गुस्से को बढ़ावा देते हैं। उनके बयान कि मुसलमान "मुगलों के वंशज" हैं, उनके "मुंह उतरे हुए हैं" खतरनाक रूढ़ियों को बढ़ावा देता है और आबादी के एक बड़े हिस्से को बदनाम करता हैं। यह सांप्रदायिक दुश्मनी को बढ़ाता है और एक ऐसा माहौल तैयार करता है जहां धार्मिक पहचान समानता और आपसी सम्मान के साझा मूल्यों के बजाय विश्वास और अपनेपन का आधार बन जाती है।
इसके अलावा, ऐतिहासिक मामलों का इस्तेमाल जैसे कि कश्मीरी पंडितों का पलायन और बांग्लादेश में कथित हिंसा इन मुद्दों की व्यापक जटिलताओं को दूर किए बिना डर और अविश्वास को भड़काती है। सीजेपी की शिकायत के अनुसार, एकता या राष्ट्रीय विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय नेगी की बयानबाजी भावनाओं से खेलती है, ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है और उस समावेशी भावना को कमजोर करती है जिस पर लोकतांत्रिक समाज पनपते हैं।
चुनावी माहौल पर असर
इसके अलावा, सीजेपी ने चुनावी माहौल पर विभाजनकारी बयान के प्रभाव के बारे में गंभीर चिंताओं को उजागर किया है, खासकर भाजपा पार्षद रविंदर नेगी के बयानों के मामले में। सीजेपी ने कहा कि नेगी की बयानबाजी मतदान को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है, क्योंकि यह चुनावी विकल्पों का ध्यान शासन, आर्थिक विकास, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से हटाकर सांप्रदायिक चिंताओं की ओर ले जाती है। सीजेपी के अनुसार, यह बदलाव तर्कसंगत बहस को कमजोर करता है और पहचान की राजनीति और बहिष्कार के एजेंडे पर केंद्रित राजनीतिक विमर्श को बढ़ावा देता है। विभाजनकारी बयान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे चुनाव सामूहिक प्रगति के मंचों के बजाय वर्चस्व की प्रतियोगिता में बदल जाते हैं। सीजेपी ने कहा कि मतदाता उम्मीदवारों की नीतियों और योग्यताओं के आधार पर निर्णय लेने के बजाय खतरनाक बयानों से प्रभावित होते हैं। सीजेपी ने यह भी दलील दी कि इस तरह की बयानबाजी चुनावी प्रक्रिया की लोकतांत्रिक अखंडता को कम करती है, क्योंकि यह धार्मिक और सांस्कृतिक असुरक्षाओं का फायदा उठाती है।
इसके अलावा, सीजेपी ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के सांप्रदायिक नैरेटिव लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को खत्म करती हैं, क्योंकि नेगी जैसे उच्च पदस्थ नेताओं ने एकता के बदले ध्रुवीकरण को प्राथमिकता देते हुए चौंकाने वाली मिसाल कायम की है। सीजेपी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी से सामाजिक अशांति भड़कने का खतरा है, जिसका दिल्ली में शांति और स्थिरता पर स्थायी असर पड़ सकता है।
आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन
सीजेपी ने नेगी द्वारा आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन की ओर भी ध्यान खींचा। इसने खास तौर से कहा कि उनके बयान स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बने इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हैं। सीजेपी ने कहा कि एमसीसी का भाग-I मौजूदा सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है, जिसका नेगी के बयानों में राजनीतिक वफादारी को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक पहचान का इस्तेमाल करके स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है। हिंदुओं से धार्मिक आधार पर भाजपा को वोट देने का उनका आह्वान और मुसलमानों के लिए उनके अपमानजनक बयान इस उल्लंघन का उदाहरण है। इसके अलावा सीजेपी ने एमसीसी के भाग-V के तहत इन उल्लंघनों पर जोर दिया जहां चुनाव प्रचारों में धार्मिक भावनाओं की अपील पर रोक है। इसमें कहा गया है कि नेगी का बयान हिंदू पहचान को बढ़ावा देकर और मुसलमानों को बदनाम करके इसका उल्लंघन करता है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कानूनी उल्लंघन
सीजेपी ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत कानूनी उल्लंघनों का भी हवाला दिया। विशेष रूप से धारा 123 (2) जो मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव को प्रतिबंधित करती है। सीजेपी ने कहा कि नेगी की धार्मिक अपील का उद्देश्य नीतिगत विचारों के बजाय धार्मिक निष्ठा के आधार पर भाजपा को वोट देना एक नैतिक कर्तव्य के रूप में बताकर मतदाताओं को प्रभावित करना है। सीजेपी ने आगे कहा कि नेगी की अपील धारा 123 (3) का उल्लंघन करती है, जो धार्मिक आधार पर अपील को प्रतिबंधित करती है, साथ ही धारा 123 (3 ए), जो चुनावी लाभ के लिए समुदायों के बीच दुश्मनी या नफरत की भावनाओं को बढ़ावा देने पर रोक लगाती है। सीजेपी ने कहा कि नेगी की विभाजनकारी बयानबाजी जो हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी पैदा करती है, वह राजनीतिक लाभ के लिए इन विभाजनों का फायदा उठाने की कोशिश करती है जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की कई धाराओं का उल्लंघन करती है।
सीजेपी की 10 जनवरी, 2025 को सीईओ दिल्ली को दी गई शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है: