मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 'हिंदू चेतना यात्रा' सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने की कोशिश है

Written by sabrang india | Published on: May 29, 2025
शाही मस्जिद कमेटी ने इस यात्रा को रोकने के लिए हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है।


साभार : एचटी

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर मस्जिद कमेटी ने मथुरा से निकाली जा रही तथा देश के विभिन्न हिस्सों से आ रही 'हिंदू चेतना यात्रा' का विरोध दर्ज कराया है। कमेटी ने इस संबंध में उच्च न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर ऐसी यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के प्रति जनजागरण के उद्देश्य से 'हिंदू चेतना यात्रा' निकाली जा रही है। यह यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों से होकर मथुरा पहुंच रही है। शाही ईदगाह कमेटी द्वारा उठाई गई आपत्ति का जवाब उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके साथ ही, 5 मार्च 2025 को मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित किए जाने की मांग को लेकर दाखिल प्रार्थना पत्र पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने कहा है कि 'हिंदू चेतना यात्रा' पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचने का खतरा है। उन्होंने बताया कि इन यात्राओं के आयोजक स्वयं श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद में वादी पक्षकार हैं। चूंकि मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए उन्हें न्यायिक निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए, न कि इस प्रकार के कदम उठाकर माहौल को प्रभावित करने की कोशिश करनी चाहिए।

टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर विचार किया। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद की 2.37 एकड़ ज़मीन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, यानी गर्भगृह है। उन्होंने मस्जिद को 'विवादित ढांचा' घोषित करने और ज़मीन को मंदिर ट्रस्ट को सौंपने की मांग की है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद एक वैध धार्मिक स्थल है।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाओं पर दायर अर्जियों पर विचार करते हुए संबंधित पक्षों से जवाब तलब किया है। साथ ही, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 4 जुलाई निर्धारित की है।

यह विवाद मथुरा की 13.37 एकड़ भूमि से जुड़ा है, जिसमें 11 एकड़ क्षेत्र में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर स्थित है, जबकि शेष 2.37 एकड़ पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस स्थान पर पहले एक प्राचीन मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि इस दावे के समर्थन में कोई ठोस प्रमाण मौजूद नहीं हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई अयोध्या विवाद की तरह एक समग्र दृष्टिकोण से कर रहा है और इससे जुड़ी सभी 18 याचिकाओं पर एक साथ विचार कर रहा है। इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से तीखे और सशक्त कानूनी तर्क प्रस्तुत किए जा रहे हैं। आने वाला न्यायालय का फैसला इस विवाद की दिशा और भविष्य पर निर्णायक प्रभाव डाल सकता है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई की थी। अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को उचित ठहराते हुए हिंदू पक्ष को याचिका में संशोधन करने और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पक्षकार बनाने की अनुमति दी। हिंदू पक्ष का कहना है कि विवादित संरचना एएसआई के अंतर्गत संरक्षित स्मारक है और इस पर 'पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम' लागू नहीं होता।

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