सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने 5 जनवरी, 2025 को रोहिणी में नफरत भरे बयान देने को लेकर भाजपा नेता नाजिया इलाही खान के खिलाफ दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आर एलिस वाज से शिकायत की है। खान की टिप्पणी, जिसमें "उन्हें (मुसलमानों को) शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहें, वे नहीं करेंगे! उन्हें आतंक पैदा करने के लिए कहें, वे तुरंत ऐसा करेंगे," शामिल है। इस टिप्पणी ने मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत को भड़काया, एमसीसी का उल्लंघन किया और दिल्ली विधानसभा चुनाव- 2025 की अखंडता को खतरा पहुंचाया।
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने भाजपा नेता नाजिया इलाही खान के खिलाफ 20 जनवरी, 2025 को दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आर एलिस वाज से शिकायत की है। शिकायत में 5 जनवरी, 2025 को दिल्ली के रोहिणी में हिंदू राष्ट्रवादी समूह “चेतना” द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिए गए उनके बेहद भड़काऊ और नफरत भरे भाषण का जिक्र किया गया है। अपने भाषण में खान ने इस्लाम और मुसलमानों को निशाना बनाकर अपमानजनक और विभाजनकारी टिप्पणियां कीं, जो न केवल आपत्तिजनक थीं बल्कि आदर्श आचार संहिता (MCC) के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन था। शिकायतों में विशेष रूप से उन उल्लंघनों को उजागर किया गया है जो अमन व शांति को बाधित कर सकते हैं, सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित कर सकते हैं और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को प्रभावित कर सकते हैं।
भाषण का संदर्भ
यह कार्यक्रम 5 जनवरी, 2025 को दिल्ली के एक रोहिणी में हुआ, जहां मिलीजुली आबादी रहती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ी एक नेता नाज़िया इलाही खान ने हिंदू राष्ट्रवादी समूह “चेतना” द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित किया। यह भाषण जल्द ही विवादास्पद हो गया क्योंकि खान ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए अपमानजनक बयानों से भरा एक तीखा हमला शुरू कर दिया। जो भाषण एक राजनीतिक संबोधन से शुरू हुआ, वह जल्द ही विभाजनकारी बयानबाजी में बदल गया, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को अमानवीय बनाना और नुकसान पहुंचाने वाली सामान्य धारणा का प्रचार करना था।
सीजेपी की दिल्ली के सीईओ से शिकायत
अपनी शिकायत में सीजेपी ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी का तत्काल ध्यान इस और खींचा जिसमें एमसीसी के कई उल्लंघनों का हवाला दिया गया जो सांप्रदायिक हिंसा भड़काने, सार्वजनिक शांति को बाधित करने या समुदायों के बीच अविश्वास को बढ़ावा देने वाले भाषणों या गतिविधियों को रोकता है। सीजेपी ने खान के भाषण के कंटेंट का विस्तार से जिक्र किया, जिसमें निम्न बात पर जोर दिया गया कि:
1. मुसलमानों के बारे में आधारहीन और सामान्यीकरण करके सांप्रदायिक नफरत को भड़काया और उन्हें स्वाभाविक रूप से हिंसक और अपराधी घोषित कर दिया।
2. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के मोरल गाइडलाइंस का उल्लंघन किया, विशेष रूप से इसके उस निर्देश का पालन नहीं किया जिसमें नेताओं से कहा गया था कि वे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धर्म, जाति या समुदाय आधारित अपीलों का इस्तेमाल न करें।
3. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2), 123(3) और 123(3A) का उल्लंघन किया, जो वोट हासिल करने के लिए धार्मिक या सांप्रदायिक अपील के इस्तेमाल पर रोक लगाता है और यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक चर्चा शासन और नीतिगत मुद्दों पर केंद्रित रहे।
सीजेपी ने कहा कि खान के भाषण, विशेष रूप से दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले के महत्वपूर्ण समय के दौरान, सामाजिक ताने-बाने को खत्म करने, सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और धार्मिक आधार पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने वाले थे।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में निम्न अहम उल्लंघनों को उजागर किया है:
सीजेपी की शिकायत ने सावधानीपूर्वक उन विशिष्ट भागों को उजागर किया जो भाषण में MCC और प्रतिनिधित्व कानून, 1951 दोनों का उल्लंघन करते थे।
मुसलमानों को हिंसक और अपराधी के रूप में चित्रित करना
खान के भाषण में मुसलमानों को एक समूह के रूप में निशाना साधते हुए भड़काऊ बयान शामिल थे। उन्होंने मुसलमानों को बलात्कार, आतंकवाद और "लव जिहाद" से जोड़ते हुए झूठा दावा किया कि वे स्वाभाविक रूप से हिंसक होते हैं। इस भाषण के सबसे परेशान करने वाले हिस्सों में से एक, जिसे इस तरह लिखा गया है, यह दर्शाता है:
उन्होंने कहा, “उनसे (मुसलमानों से) हासिल करने के लिए कहो, वे नहीं करेंगे! उनसे इंसान बनने के लिए कहो, वे नहीं बनेंगे! उनसे पढ़ने के लिए कहो, वे नहीं पढ़ेंगे! उनसे कुछ करने के लिए कहो, वे नहीं करेंगे! लेकिन अगर आप उनसे बलात्कार करने के लिए कहोगे, तो वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे लव जिहाद करने के लिए कहोगे, वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे बम, गोलियां और गोला-बारूद फेंकने के लिए कहोगे! वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे आतंक फैलाने के लिए कहोगे, वे तुरंत ऐसा करेंगे।”
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, यह बयान न केवल हानिकारक रूढ़ियों को बढ़ावा देता है, बल्कि पूरे समुदाय पर उनके धर्म के आधार पर हिंसक प्रवृत्तियों का दोषी भी ठहराता है। इस तरह के दावे बेहद भ्रामक हैं, किसी भी तथ्यात्मक आधार से परे हैं, और समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देते हैं। यह एमसीसी का स्पष्ट उल्लंघन है, जो नेता को भड़काऊ भाषण देने से रोकता है क्योंकि ये शांति या सद्भाव को बिगाड़ सकता है।
इस्लामिक प्रथाओं को लेकर अपमानजनक टिप्पणी
बीजेपी नेता खान ने अपने भाषण के दौरान कहा, कि “उन्हें (मुसलमानों को) शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहें, वे नहीं करेंगे! उन्हें इंसान बनने के लिए कहें, वे नहीं बनेंगे! उन्हें पढ़ने के लिए कहें, वे नहीं पढ़ेंगे! उन्हें कुछ करने के लिए कहें, वे नहीं करेंगे! लेकिन अगर आप उन्हें बलात्कार करने के लिए कहेंगे, तो वे तुरंत ऐसा करेंगे। उन्हें लव जिहाद करने के लिए कहें, वे तुरंत ऐसा करेंगे। उन्हें बम, गोलियां और गोला-बारूद फेंकने के लिए कहें!
यहां स्पीकर मुसलमानों को स्वाभाविक रूप से हिंसक और आतंकवाद की ओर झुकाव होने का आरोप लगाकर हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे रही हैं। बलात्कार, 'लव जिहाद' और आतंकवाद से मुसलमान समुदाय को गलत तरीके से जोड़कर यह भाषण गलत जानकारी फैलाता है और समाज में डर और नफरत को उकसाता है।
उन्होंने कहा, "वे इसे तुरंत फेंक देंगे। उन्हें आतंक फैलाने के लिए कहें, वे तुरंत ऐसा करेंगे। आखिर यह क्या है? इस समुदाय में क्या है? उस आसमानी किताब कुरान का रहस्य क्या है, एक ऐसा समुदाय है जो दुनिया के सभी धर्मों के लोगों को परेशान कर रहा है।"
सीजेपी ने कहा कि यह भाषण बेहद परेशान करने वाला और अपमानजनक है, खासकर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान। स्पीकर मुस्लिम समुदाय के बारे में व्यापक और गलत बयान देते हैं, उन्हें स्वाभाविक रूप से हिंसक, अपराधी और आतंकवाद को ओर झुकाव वाला बताते हैं। मुसलमानों को बलात्कार, "लव जिहाद" और आतंकवाद जैसे जघन्य कृत्यों से जोड़कर, स्पीकर हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देते हैं जो डर और दुश्मनी को भड़काता है। ये विभाजनकारी और निराधार आरोप न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बल्कि भड़काऊ भी हैं, जो समुदायों के बीच अविश्वास और दुश्मनी का माहौल बनाते हैं।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, "चुनाव से पहले इस तरह के बयान बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि इनमें धर्म के आधार पर मतदाता ध्रुवीकृत होते हैं, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के सिद्धांतों को कमजोर करता है। चुनावों में शासन, नीति और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, न कि नफरत और विभाजन फैलाने पर। यह भाषण सीधे तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट शांतिपूर्ण और सम्मानजनक चर्चा की मांग करता है और इसका उल्लंघन लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए आवश्यक सामाजिक सद्भाव को खतरे में डालता है। इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों के साथ पूरे समुदाय को निशान बनाकर, स्पीकर एक जागरूक, समावेशी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को बढ़ावा देने के बजाय डर के जरिए मतदाता की सेंटिमेंट को बदलना चाहता है।"
विभाजनकारी "हम बनाम वे" नैरेटिव
खान ने मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला किया, मुसलमानों और हिंदुओं के बीच एक बड़े विभाजन को बढ़ाने का प्रयास किया।
उन्होंने जोर देकर कहा, "मैं जानती हूं कि जिस तरह से सनातन धर्म के लोग रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ते हैं, ऐसे में उनके अंदर शांति है, उनके अंदर मानवता है, उनके अंदर माफी की लालसा है। लेकिन आपको उस गली का पता पूछना होगा, जहां आप नहीं जाना चाहते, आपको अपनी बेटियों को समझाना होगा कि कोई अब्दुल अच्छा नहीं है।”
यहां, खान ने मुसलमानों के बारे में अपमानजनक और बड़े पैमाने पर सामान्यीकरण किया, उन्हें समाज के लिए स्वाभाविक रूप से खतरनाक करार दिया। इस टिप्पणी ने न केवल मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश की, बल्कि हिंदुओं के बीच डर और अविश्वास को भी बढ़ावा दिया, जिससे धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिला।
इस वीडियो को इस लिंक के जरिए पर क्लिक कर देखा जा सकता है:
सीजेपी ने अपनी शिकायत में जिक्र किया है कि खान के भाषण ने चुनाव के दौरान लोगों का ध्यान शासन और विकास से हटाकर विभाजनकारी पहचान की राजनीति पर केंद्रित कर दिया है। उनकी बयानबाजी सांप्रदायिक चिंताओं को बढ़ावा देती है, जिससे मतदाता आर्थिक विकास या स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बजाय धार्मिक पूर्वाग्रहों के आधार पर निर्णय लेंगे। यह तरीका सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास को खत्म करती है, जिससे दिल्ली जैसे गंगा जमुनी तहजीब वाले शहर में सामाजिक अशांति भड़क सकती है।
आदर्श आचार संहिता और लोक अधिनियम का उल्लंघन
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, खान का भाषण आदर्श आचार संहिता के कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को अनिवार्य बनाता है। उनकी भड़काऊ भाषा, जो धार्मिक भावनाओं को अपील करती है और सांप्रदायिक तनाव को भड़काती है, सामान्य आचरण और चुनाव प्रचार से संबंधित आदर्श आचार संहिता के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती है। ये तरीका लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विकृत करते हैं और सार्वजनिक शांति और सद्भाव को खतरे में डालते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, खान का भाषण धारा 123(2), 123(3) और 123(3ए) का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसमें धर्म के आधार पर अनुचित प्रभाव और अपील शामिल है। इसके अलावा, उनकी टिप्पणी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है, दुश्मनी को बढ़ावा देती है और समुदायों के बीच डर या चिंता पैदा करती है, जिससे संभावित कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
सीजेपी ने सीईओ से खान के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसमें पब्लिक सेंसर जारी करना, दिल्ली में आने वाले समय उनके प्रचार पर रोक लगाना और विभाजनकारी बयानबाजी को बढ़ावा देने के लिए भाजपा की जांच करना शामिल है। आदर्श आचार संहिता के पालन करने को सुनिश्चित करने और चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए राजनीतिक भाषणों की निगरानी भी बढ़ाई जानी चाहिए।
सीजेपी की 20 जनवरी, 2025 की शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
हालांकि, 10 जनवरी, 2025 को सीजेपी ने भाजपा पार्षद रविंदर सिंह नेगी (विनोद नगर - 198) के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने 6 जनवरी, 2025 को पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक भाषण दिया था। वोट हासिल करने के उद्देश्य से दिए गए इस भाषण ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काया और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया। सीजेपी ने तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसमें इस तरह की बयानबाजी से दिल्ली के सांप्रदायिक सौहार्द पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव पर जोर दिया गया, खासकर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में।
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने भाजपा नेता नाजिया इलाही खान के खिलाफ 20 जनवरी, 2025 को दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) आर एलिस वाज से शिकायत की है। शिकायत में 5 जनवरी, 2025 को दिल्ली के रोहिणी में हिंदू राष्ट्रवादी समूह “चेतना” द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में दिए गए उनके बेहद भड़काऊ और नफरत भरे भाषण का जिक्र किया गया है। अपने भाषण में खान ने इस्लाम और मुसलमानों को निशाना बनाकर अपमानजनक और विभाजनकारी टिप्पणियां कीं, जो न केवल आपत्तिजनक थीं बल्कि आदर्श आचार संहिता (MCC) के साथ-साथ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों का भी स्पष्ट उल्लंघन था। शिकायतों में विशेष रूप से उन उल्लंघनों को उजागर किया गया है जो अमन व शांति को बाधित कर सकते हैं, सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित कर सकते हैं और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को प्रभावित कर सकते हैं।
भाषण का संदर्भ
यह कार्यक्रम 5 जनवरी, 2025 को दिल्ली के एक रोहिणी में हुआ, जहां मिलीजुली आबादी रहती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़ी एक नेता नाज़िया इलाही खान ने हिंदू राष्ट्रवादी समूह “चेतना” द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित किया। यह भाषण जल्द ही विवादास्पद हो गया क्योंकि खान ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हुए अपमानजनक बयानों से भरा एक तीखा हमला शुरू कर दिया। जो भाषण एक राजनीतिक संबोधन से शुरू हुआ, वह जल्द ही विभाजनकारी बयानबाजी में बदल गया, जिसका उद्देश्य मुसलमानों को अमानवीय बनाना और नुकसान पहुंचाने वाली सामान्य धारणा का प्रचार करना था।
सीजेपी की दिल्ली के सीईओ से शिकायत
अपनी शिकायत में सीजेपी ने दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी का तत्काल ध्यान इस और खींचा जिसमें एमसीसी के कई उल्लंघनों का हवाला दिया गया जो सांप्रदायिक हिंसा भड़काने, सार्वजनिक शांति को बाधित करने या समुदायों के बीच अविश्वास को बढ़ावा देने वाले भाषणों या गतिविधियों को रोकता है। सीजेपी ने खान के भाषण के कंटेंट का विस्तार से जिक्र किया, जिसमें निम्न बात पर जोर दिया गया कि:
1. मुसलमानों के बारे में आधारहीन और सामान्यीकरण करके सांप्रदायिक नफरत को भड़काया और उन्हें स्वाभाविक रूप से हिंसक और अपराधी घोषित कर दिया।
2. मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के मोरल गाइडलाइंस का उल्लंघन किया, विशेष रूप से इसके उस निर्देश का पालन नहीं किया जिसमें नेताओं से कहा गया था कि वे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धर्म, जाति या समुदाय आधारित अपीलों का इस्तेमाल न करें।
3. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(2), 123(3) और 123(3A) का उल्लंघन किया, जो वोट हासिल करने के लिए धार्मिक या सांप्रदायिक अपील के इस्तेमाल पर रोक लगाता है और यह सुनिश्चित करता है कि राजनीतिक चर्चा शासन और नीतिगत मुद्दों पर केंद्रित रहे।
सीजेपी ने कहा कि खान के भाषण, विशेष रूप से दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले के महत्वपूर्ण समय के दौरान, सामाजिक ताने-बाने को खत्म करने, सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और धार्मिक आधार पर मतदाताओं को ध्रुवीकृत करने वाले थे।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में निम्न अहम उल्लंघनों को उजागर किया है:
सीजेपी की शिकायत ने सावधानीपूर्वक उन विशिष्ट भागों को उजागर किया जो भाषण में MCC और प्रतिनिधित्व कानून, 1951 दोनों का उल्लंघन करते थे।
मुसलमानों को हिंसक और अपराधी के रूप में चित्रित करना
खान के भाषण में मुसलमानों को एक समूह के रूप में निशाना साधते हुए भड़काऊ बयान शामिल थे। उन्होंने मुसलमानों को बलात्कार, आतंकवाद और "लव जिहाद" से जोड़ते हुए झूठा दावा किया कि वे स्वाभाविक रूप से हिंसक होते हैं। इस भाषण के सबसे परेशान करने वाले हिस्सों में से एक, जिसे इस तरह लिखा गया है, यह दर्शाता है:
उन्होंने कहा, “उनसे (मुसलमानों से) हासिल करने के लिए कहो, वे नहीं करेंगे! उनसे इंसान बनने के लिए कहो, वे नहीं बनेंगे! उनसे पढ़ने के लिए कहो, वे नहीं पढ़ेंगे! उनसे कुछ करने के लिए कहो, वे नहीं करेंगे! लेकिन अगर आप उनसे बलात्कार करने के लिए कहोगे, तो वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे लव जिहाद करने के लिए कहोगे, वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे बम, गोलियां और गोला-बारूद फेंकने के लिए कहोगे! वे तुरंत ऐसा करेंगे। उनसे आतंक फैलाने के लिए कहोगे, वे तुरंत ऐसा करेंगे।”
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, यह बयान न केवल हानिकारक रूढ़ियों को बढ़ावा देता है, बल्कि पूरे समुदाय पर उनके धर्म के आधार पर हिंसक प्रवृत्तियों का दोषी भी ठहराता है। इस तरह के दावे बेहद भ्रामक हैं, किसी भी तथ्यात्मक आधार से परे हैं, और समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देते हैं। यह एमसीसी का स्पष्ट उल्लंघन है, जो नेता को भड़काऊ भाषण देने से रोकता है क्योंकि ये शांति या सद्भाव को बिगाड़ सकता है।
इस्लामिक प्रथाओं को लेकर अपमानजनक टिप्पणी
बीजेपी नेता खान ने अपने भाषण के दौरान कहा, कि “उन्हें (मुसलमानों को) शिक्षा प्राप्त करने के लिए कहें, वे नहीं करेंगे! उन्हें इंसान बनने के लिए कहें, वे नहीं बनेंगे! उन्हें पढ़ने के लिए कहें, वे नहीं पढ़ेंगे! उन्हें कुछ करने के लिए कहें, वे नहीं करेंगे! लेकिन अगर आप उन्हें बलात्कार करने के लिए कहेंगे, तो वे तुरंत ऐसा करेंगे। उन्हें लव जिहाद करने के लिए कहें, वे तुरंत ऐसा करेंगे। उन्हें बम, गोलियां और गोला-बारूद फेंकने के लिए कहें!
यहां स्पीकर मुसलमानों को स्वाभाविक रूप से हिंसक और आतंकवाद की ओर झुकाव होने का आरोप लगाकर हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे रही हैं। बलात्कार, 'लव जिहाद' और आतंकवाद से मुसलमान समुदाय को गलत तरीके से जोड़कर यह भाषण गलत जानकारी फैलाता है और समाज में डर और नफरत को उकसाता है।
उन्होंने कहा, "वे इसे तुरंत फेंक देंगे। उन्हें आतंक फैलाने के लिए कहें, वे तुरंत ऐसा करेंगे। आखिर यह क्या है? इस समुदाय में क्या है? उस आसमानी किताब कुरान का रहस्य क्या है, एक ऐसा समुदाय है जो दुनिया के सभी धर्मों के लोगों को परेशान कर रहा है।"
सीजेपी ने कहा कि यह भाषण बेहद परेशान करने वाला और अपमानजनक है, खासकर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान। स्पीकर मुस्लिम समुदाय के बारे में व्यापक और गलत बयान देते हैं, उन्हें स्वाभाविक रूप से हिंसक, अपराधी और आतंकवाद को ओर झुकाव वाला बताते हैं। मुसलमानों को बलात्कार, "लव जिहाद" और आतंकवाद जैसे जघन्य कृत्यों से जोड़कर, स्पीकर हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देते हैं जो डर और दुश्मनी को भड़काता है। ये विभाजनकारी और निराधार आरोप न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, बल्कि भड़काऊ भी हैं, जो समुदायों के बीच अविश्वास और दुश्मनी का माहौल बनाते हैं।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, "चुनाव से पहले इस तरह के बयान बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि इनमें धर्म के आधार पर मतदाता ध्रुवीकृत होते हैं, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के सिद्धांतों को कमजोर करता है। चुनावों में शासन, नीति और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, न कि नफरत और विभाजन फैलाने पर। यह भाषण सीधे तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट शांतिपूर्ण और सम्मानजनक चर्चा की मांग करता है और इसका उल्लंघन लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए आवश्यक सामाजिक सद्भाव को खतरे में डालता है। इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों के साथ पूरे समुदाय को निशान बनाकर, स्पीकर एक जागरूक, समावेशी और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को बढ़ावा देने के बजाय डर के जरिए मतदाता की सेंटिमेंट को बदलना चाहता है।"
विभाजनकारी "हम बनाम वे" नैरेटिव
खान ने मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर हमला किया, मुसलमानों और हिंदुओं के बीच एक बड़े विभाजन को बढ़ाने का प्रयास किया।
उन्होंने जोर देकर कहा, "मैं जानती हूं कि जिस तरह से सनातन धर्म के लोग रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ते हैं, ऐसे में उनके अंदर शांति है, उनके अंदर मानवता है, उनके अंदर माफी की लालसा है। लेकिन आपको उस गली का पता पूछना होगा, जहां आप नहीं जाना चाहते, आपको अपनी बेटियों को समझाना होगा कि कोई अब्दुल अच्छा नहीं है।”
यहां, खान ने मुसलमानों के बारे में अपमानजनक और बड़े पैमाने पर सामान्यीकरण किया, उन्हें समाज के लिए स्वाभाविक रूप से खतरनाक करार दिया। इस टिप्पणी ने न केवल मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश की, बल्कि हिंदुओं के बीच डर और अविश्वास को भी बढ़ावा दिया, जिससे धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिला।
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सीजेपी ने अपनी शिकायत में जिक्र किया है कि खान के भाषण ने चुनाव के दौरान लोगों का ध्यान शासन और विकास से हटाकर विभाजनकारी पहचान की राजनीति पर केंद्रित कर दिया है। उनकी बयानबाजी सांप्रदायिक चिंताओं को बढ़ावा देती है, जिससे मतदाता आर्थिक विकास या स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बजाय धार्मिक पूर्वाग्रहों के आधार पर निर्णय लेंगे। यह तरीका सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास को खत्म करती है, जिससे दिल्ली जैसे गंगा जमुनी तहजीब वाले शहर में सामाजिक अशांति भड़क सकती है।
आदर्श आचार संहिता और लोक अधिनियम का उल्लंघन
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा, खान का भाषण आदर्श आचार संहिता के कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जो शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया को अनिवार्य बनाता है। उनकी भड़काऊ भाषा, जो धार्मिक भावनाओं को अपील करती है और सांप्रदायिक तनाव को भड़काती है, सामान्य आचरण और चुनाव प्रचार से संबंधित आदर्श आचार संहिता के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करती है। ये तरीका लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विकृत करते हैं और सार्वजनिक शांति और सद्भाव को खतरे में डालते हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, खान का भाषण धारा 123(2), 123(3) और 123(3ए) का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसमें धर्म के आधार पर अनुचित प्रभाव और अपील शामिल है। इसके अलावा, उनकी टिप्पणी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के प्रावधानों का उल्लंघन करती है, दुश्मनी को बढ़ावा देती है और समुदायों के बीच डर या चिंता पैदा करती है, जिससे संभावित कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
सीजेपी ने सीईओ से खान के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसमें पब्लिक सेंसर जारी करना, दिल्ली में आने वाले समय उनके प्रचार पर रोक लगाना और विभाजनकारी बयानबाजी को बढ़ावा देने के लिए भाजपा की जांच करना शामिल है। आदर्श आचार संहिता के पालन करने को सुनिश्चित करने और चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए राजनीतिक भाषणों की निगरानी भी बढ़ाई जानी चाहिए।
सीजेपी की 20 जनवरी, 2025 की शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
हालांकि, 10 जनवरी, 2025 को सीजेपी ने भाजपा पार्षद रविंदर सिंह नेगी (विनोद नगर - 198) के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने 6 जनवरी, 2025 को पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम विरोधी सांप्रदायिक भाषण दिया था। वोट हासिल करने के उद्देश्य से दिए गए इस भाषण ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काया और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया। सीजेपी ने तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसमें इस तरह की बयानबाजी से दिल्ली के सांप्रदायिक सौहार्द पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव पर जोर दिया गया, खासकर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में।