सीजेपी ने गोवा पुलिस से “हिंदू राष्ट्र जागृति सभा” कार्यक्रम को रोकने की तत्काल अपील की, जिसमें इसकी विभाजनकारी प्रकृति और संगठन के नफरती भाषण के इतिहास का हवाला दिया गया। सीजेपी ने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया, अधिकारियों से हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सार्वजनिक सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने का आग्रह किया।
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने 22 जनवरी, 2025 को एचजेएस द्वारा आयोजित एक निर्धारित कार्यक्रम को लेकर एक शिकायत दर्ज की। गोवा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ओमवीर सिंह बिश्नोई (आईपीएस) और दक्षिण गोवा की पुलिस अधीक्षक सुनीता सावंत (आईपीएस) को भेजी गई शिकायत में “हिंदू राष्ट्र जागृति सभा” कार्यक्रम से पैदा होने वाले संभावित खतरे का जिक्र किया गया है। यह कार्यक्रम 25 जनवरी, 2025 को शाम 5 बजे श्री विट्ठल मंदिर, संगुएम, दक्षिण गोवा में आयोजित की गई। सीजेपी ने इस तरह के आयोजनों की भड़काऊ प्रकृति और संगठन से जुड़े नफरत भरे भाषणों के इतिहास के कारण चिंता जताई।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया है, जिसमें अदालत के फैसलों के अनुरूप तत्काल प्रिवेंटिव मेजर की आवश्यकता पर जोर दिया गया, खासकर नफरत भरे भाषणों पर अंकुश लगाने और हिंसा को भड़काने से रोकने के लिए। शिकायत में गोवा पुलिस से सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए एहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया गया।
गोवा पुलिस से निर्धारित कार्यक्रम की अनुमति न देने का आग्रह किया गया
सीजेपी ने अपनी शिकायत में तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया और एचजेएस के गोवा कार्यक्रम में सांप्रदायिक भाषणों की संभावना पर चिंता जताई। इसमें कार्यक्रम की अनुमति रद्द करने की मांग की गई और कहा गया, "हम आपसे 25 जनवरी, 2025 को शाम 5 बजे गोवा में होने वाले कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार करने और सांप्रदायिक शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे असामाजिक तत्वों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का आग्रह करते हैं। इसके अलावा, हम पुलिस अधिकारियों से सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि अनुमति न मिलने की स्थिति में रैली न हो।"
कार्यक्रम का पोस्टर नीचे दिया गया है:
सुप्रीम कोर्ट ने भी शांति और सद्भाव की अपील की
अपनी शिकायत में सीजेपी ने गोवा पुलिस से हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सख्त प्रिवेंटिव मेजर का पालन करने का आग्रह किया। सीजेपी ने अपनी शिकायत में दलील दी कि, "संभल जामा मस्जिद से संबंधित मामले में शांति और सद्भाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की हालिया अपील के मद्देनजर सीजेपी गोवा में 25 जनवरी, 2025 को होने वाली "हिंदू राष्ट्र जागृति सभा" के संबंध में यह निवारक शिकायत पेश करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने 29 नवंबर, 2024 को सुनवाई के दौरान आग्रह किया कि "शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए" और मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर संभल में भड़की हिंसा के बाद आगे और न बढ़ने की इच्छा जाहिर की। सर्वेक्षण का आदेश इस दावे के आधार पर दिया गया था कि मस्जिद को ध्वस्त मंदिर पर बनाया गया था, जिसके कारण हिंसक झड़पें हुईं। इसके बाद चार लोगों की जान चली गई। यह दुखद घटना तनाव बढ़ने के गंभीर जोखिमों को उजागर करती है जब धार्मिक स्थलों से संबंधित संवेदनशील मुद्दों को भड़काऊ तरीकों से संबोधित किया जाता है।”
एचजेएस की विभाजनकारी व बहुसंख्यकवादी पृष्ठभूमि
25 जनवरी के निर्धारित कार्यक्रम में भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषण के संभावित खतरे को उजागर करते हुए, सीजेपी ने जिक्र किया कि हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) पहले भी सांप्रदायिक बयानबाजी से जुड़ी रही है, जिसका उद्देश्य समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाना है। उनके पिछले कार्यक्रमों में उनके वक्ताओं द्वारा विवादास्पद बयान दिए गए हैं, जो अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं और विभाजनकारी एजेंडे को बढ़ावा देते हैं।
सीजेपी ने कहा, "संगठन के जाने-माने रुख और भड़काऊ कार्रवाइयों से इसके जुड़ाव को देखते हुए, यह करीब करीब तय है कि आगामी कार्यक्रम में भी इसी तरह के तरीके अपनाए जाएंगे जिसमें भड़काऊ बयानबाजी की जाएगी और इसके नतीजों की परवाह नहीं की जाएगी।"
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा कि एचजेएस देश भर में लव जिहाद विरोधी कानून लागू करने की वकालत करने के लिए अभियान चलाता है। कट्टरपंथी दक्षिणपंथी हिंदू समूह अब "लव जिहाद" शब्द का इस्तेमाल सामान्य तरीके से कर रहे हैं। इसे आक्रामक बहुसंख्यकवाद द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है जो धार्मिक अतिवाद, इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिक नफरत के प्रमुख जाति हिंदू नैरेटिव में बुना गया है।
उनकी वेबसाइट पर यह भी बताया गया है कि एचजेएस हिंदुओं को स्वायत्त और अपनी पसंद की शादी को लेकर "जागरूक" करने के लिए नियमित कार्यशालाएं लगा रहा है, जिसे अपमानजनक और भड़काऊ तरीके से 'लव जिहाद' कहा जाता है।
सीजेपी की 22 जनवरी, 2025 की शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है:
सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने 22 जनवरी, 2025 को एचजेएस द्वारा आयोजित एक निर्धारित कार्यक्रम को लेकर एक शिकायत दर्ज की। गोवा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ओमवीर सिंह बिश्नोई (आईपीएस) और दक्षिण गोवा की पुलिस अधीक्षक सुनीता सावंत (आईपीएस) को भेजी गई शिकायत में “हिंदू राष्ट्र जागृति सभा” कार्यक्रम से पैदा होने वाले संभावित खतरे का जिक्र किया गया है। यह कार्यक्रम 25 जनवरी, 2025 को शाम 5 बजे श्री विट्ठल मंदिर, संगुएम, दक्षिण गोवा में आयोजित की गई। सीजेपी ने इस तरह के आयोजनों की भड़काऊ प्रकृति और संगठन से जुड़े नफरत भरे भाषणों के इतिहास के कारण चिंता जताई।
सीजेपी ने अपनी शिकायत में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया है, जिसमें अदालत के फैसलों के अनुरूप तत्काल प्रिवेंटिव मेजर की आवश्यकता पर जोर दिया गया, खासकर नफरत भरे भाषणों पर अंकुश लगाने और हिंसा को भड़काने से रोकने के लिए। शिकायत में गोवा पुलिस से सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए एहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया गया।
गोवा पुलिस से निर्धारित कार्यक्रम की अनुमति न देने का आग्रह किया गया
सीजेपी ने अपनी शिकायत में तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया और एचजेएस के गोवा कार्यक्रम में सांप्रदायिक भाषणों की संभावना पर चिंता जताई। इसमें कार्यक्रम की अनुमति रद्द करने की मांग की गई और कहा गया, "हम आपसे 25 जनवरी, 2025 को शाम 5 बजे गोवा में होने वाले कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार करने और सांप्रदायिक शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे असामाजिक तत्वों के लिए एक उदाहरण स्थापित करने का आग्रह करते हैं। इसके अलावा, हम पुलिस अधिकारियों से सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि अनुमति न मिलने की स्थिति में रैली न हो।"
कार्यक्रम का पोस्टर नीचे दिया गया है:
सुप्रीम कोर्ट ने भी शांति और सद्भाव की अपील की
अपनी शिकायत में सीजेपी ने गोवा पुलिस से हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप सख्त प्रिवेंटिव मेजर का पालन करने का आग्रह किया। सीजेपी ने अपनी शिकायत में दलील दी कि, "संभल जामा मस्जिद से संबंधित मामले में शांति और सद्भाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की हालिया अपील के मद्देनजर सीजेपी गोवा में 25 जनवरी, 2025 को होने वाली "हिंदू राष्ट्र जागृति सभा" के संबंध में यह निवारक शिकायत पेश करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने 29 नवंबर, 2024 को सुनवाई के दौरान आग्रह किया कि "शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए" और मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर संभल में भड़की हिंसा के बाद आगे और न बढ़ने की इच्छा जाहिर की। सर्वेक्षण का आदेश इस दावे के आधार पर दिया गया था कि मस्जिद को ध्वस्त मंदिर पर बनाया गया था, जिसके कारण हिंसक झड़पें हुईं। इसके बाद चार लोगों की जान चली गई। यह दुखद घटना तनाव बढ़ने के गंभीर जोखिमों को उजागर करती है जब धार्मिक स्थलों से संबंधित संवेदनशील मुद्दों को भड़काऊ तरीकों से संबोधित किया जाता है।”
एचजेएस की विभाजनकारी व बहुसंख्यकवादी पृष्ठभूमि
25 जनवरी के निर्धारित कार्यक्रम में भड़काऊ और सांप्रदायिक भाषण के संभावित खतरे को उजागर करते हुए, सीजेपी ने जिक्र किया कि हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) पहले भी सांप्रदायिक बयानबाजी से जुड़ी रही है, जिसका उद्देश्य समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाना है। उनके पिछले कार्यक्रमों में उनके वक्ताओं द्वारा विवादास्पद बयान दिए गए हैं, जो अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं और विभाजनकारी एजेंडे को बढ़ावा देते हैं।
सीजेपी ने कहा, "संगठन के जाने-माने रुख और भड़काऊ कार्रवाइयों से इसके जुड़ाव को देखते हुए, यह करीब करीब तय है कि आगामी कार्यक्रम में भी इसी तरह के तरीके अपनाए जाएंगे जिसमें भड़काऊ बयानबाजी की जाएगी और इसके नतीजों की परवाह नहीं की जाएगी।"
सीजेपी ने अपनी शिकायत में कहा कि एचजेएस देश भर में लव जिहाद विरोधी कानून लागू करने की वकालत करने के लिए अभियान चलाता है। कट्टरपंथी दक्षिणपंथी हिंदू समूह अब "लव जिहाद" शब्द का इस्तेमाल सामान्य तरीके से कर रहे हैं। इसे आक्रामक बहुसंख्यकवाद द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है जो धार्मिक अतिवाद, इस्लामोफोबिया और सांप्रदायिक नफरत के प्रमुख जाति हिंदू नैरेटिव में बुना गया है।
उनकी वेबसाइट पर यह भी बताया गया है कि एचजेएस हिंदुओं को स्वायत्त और अपनी पसंद की शादी को लेकर "जागरूक" करने के लिए नियमित कार्यशालाएं लगा रहा है, जिसे अपमानजनक और भड़काऊ तरीके से 'लव जिहाद' कहा जाता है।
सीजेपी की 22 जनवरी, 2025 की शिकायत यहां पढ़ी जा सकती है: