करीब सौ नागरिकों ने राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विवादित बयानों के मद्देनज़र सशस्त्र बलों के सम्मान और आत्मसम्मान की रक्षा करने की अपील की है।

करीब सौ नागरिकों ने राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर उनसे सशस्त्र बलों के "सम्मान और आत्मसम्मान की रक्षा" करने की अपील की है। यह अपील विशेष रूप से उस संदर्भ में की गई है जिसमें हाल ही में भारत-पाक संघर्ष को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, जैसे कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राज्य सरकार में मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान शामिल हैं।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं में श्रीमती ललिता रामदास (पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल रामदास की पत्नी), विश्णु भागवत (सेवानिवृत्त), पूर्व नौसेनाध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल विजय ओबेरॉय (सेवानिवृत्त), वाइस एडमिरल संजय मिश्रा (सेवानिवृत्त), मेजर एम. जी. देवसहायम (आईएएस सेवानिवृत्त) और ई.ए.एस. शर्मा (आईएएस सेवानिवृत्त) सहित कई अन्य नागरिक शामिल हैं। इन सभी ने यह स्पष्ट किया है कि इन दोनों मंत्रियों द्वारा दिए गए अपमानजनक बयानों से हमारे सशस्त्र बलों के सेवारत जवानों का मनोबल प्रभावित हो सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता कमजोर हो सकती है। इसलिए, हस्ताक्षरकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि वे भारतीय न्याय संहिता (जो अब भारतीय दंड संहिता का स्थान ले चुकी है) के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार दोनों मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इन दोनों मंत्रियों को तुरंत राज्य मंत्रिमंडल से हटाएं। संबंधित राजनीतिक दल के केंद्रीय नेतृत्व को इन अपमानजनक बयानों की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए और संबंधित मंत्रियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने अपनी 17 मई 2025 की सार्वजनिक चिट्ठी में लिखा है कि सशस्त्र बलों में सख्त नियम और अनुशासन के कारण उनके सदस्य ऐसे अपमानजनक बयानों और बेइज्जती का जवाब खुद नहीं दे सकते। इसलिए उन्होंने भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वे हमारे बहादुर सैनिकों के सम्मान और आत्मसम्मान की रक्षा करें। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि जो लोग सशस्त्र बलों का अपमान कर रहे हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसे बयान दोबारा न हों।
यह याद दिलाना जरूरी है कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए बयानों को लेकर हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान काफी आलोचना हुई थी। सबसे पहले, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने एक सार्वजनिक बयान में सेना की आधिकारिक प्रवक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी का जिक्र करते हुए कहा:
"आतंकवादियों ने हमारी बहनों-बेटियों का सिंदूर मिटाया (पहलगाम हमले के संदर्भ में), और हमने उनकी ही बहन को जवाब देने के लिए भेजा।"
यह बयान न केवल लिंगभेद और असंवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि सांप्रदायिकता फैलाने वाला और समाज में विभाजन पैदा करने वाला भी है। इसके साथ ही यह महिलाओं का अपमान करता है और सशस्त्र बलों के गरिमामय पेशेवर रुख का भी अपमान है। इस तरह का बयान देश की सुरक्षा में लगे जवानों और अधिकारियों की छवि को ठेस पहुंचाता है।
दूसरे, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने शुक्रवार को जबलपुर में सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण सत्र में बोलते हुए विवादास्पद रूप से दर्शकों से कहा:
“प्रधानमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहेंगे, और पूरा देश, देश की वो सेना, वो सैनिक, उनके चरणों में नतमस्तक हैं। उनके चरणों में पूरा देश नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है।”
ये सार्वजनिक संवाद यह भी याद दिलाता है और दर्ज करता है कि इससे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2019 में सशस्त्र बलों के खिलाफ इसी तरह का अपमानजनक बयान दिया था, जब उन्होंने सशस्त्र बलों को “मोदीजी की सेना” कहा था। इन सभी टिप्पणियों के जरिए, जो बलों की गरिमा और मनोबल को प्रभावित करती हैं, सरकार ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी है, जिससे सशस्त्र बलों का अपमान बार-बार दोहराया जा रहा है।
इसके अलावा, आदित्यनाथ के पहले के बयान और देवड़ा के हालिया बयान ने इस पत्र और संविधान के अनुच्छेद 53 की भावना के प्रति उनकी स्पष्ट असम्मान दिखाया है, जो संघ के कार्यकारी अधिकार को निम्नलिखित रूप में परिभाषित करता है:
“(1) संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त होगी और वह इसे या तो प्रत्यक्ष रूप से या इस संविधान के अनुसार अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से अनुपालन करेंगे।”
(2) उपरोक्त प्रावधान की सामान्यता को प्रभावित किए बिना, संघ की रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति को प्राप्त होगी और इसके इस्तेमाल को कानून द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
(3) इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि—
(क) ऐसा नहीं माना जाएगा कि राष्ट्रपति को कोई भी ऐसा कार्य दिया गया है जो किसी मौजूदा कानून के तहत किसी राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण को दिया गया हो;
दूसरे शब्दों में, संविधान के अनुच्छेद 53(2) के तहत संघ की रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास होगी और किसी अन्य प्राधिकारी के पास नहीं।
अंत में, इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन “घिनौने कृत्यों” पर सवाल उठाने और उनकी निंदा करने के बजाय, भाजपा के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय स्तर पर और उनके सहायक इनका समर्थन कर रहे हैं। अंततः, इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि हम कर्नल सोफिया कुरैशी और अपने सैनिकों के साथ खड़े हैं, क्योंकि वे देश की सुरक्षा के लिए पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहे हैं। साथ ही, हम दो मंत्रियों के इन बयानों को पूरी तरह से गलत और भ्रामक मानते हैं और उनकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हस्ताक्षरकर्ता:
1. श्रीमती ललिता रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) पूर्व नौसेना प्रमुख एल. रामदास की पत्नी
2. एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत, पूर्व नौसेना प्रमुख
3. जनरल (सेवानिवृत्त) विजय ओबेरॉय
4. वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) संजय मिश्रा
5. मेजर एम जी देवसाहयम IAS (सेवानिवृत्त)
6. ईएएस सरमा IAS (सेवानिवृत्त)
7. सुरेंद्र नाथ IAS (सेवानिवृत्त)
8. प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) सेबेस्टियन मॉरिस (IIM अहमदाबाद)
9. थॉमस फ्रांसो (पीपल फर्स्ट)
10. जो एथियाली (सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी)
11. दिनेश अब्रोल (दिल्ली साइंस फोरम)
12. सौम्या दत्ता (MAUSAM, पर्यावरण कार्यकर्ता)
13. वी श्रीधर (पत्रकार, बेंगलुरु)
14. प्रसाद चाको (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़)
15. विजयकुमार (इंडियन स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज)
16. स्मिता रामनाथन (सामाजिक कार्यकर्ता)
17. आर. सांकरी (TNGPA)
18. तीस्ता सेतलवाड (मानवाधिकार कार्यकर्ता)
19. विवेकानंदन (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, MUTA)
20. के अशोक राव (संरक्षक, अखिल भारतीय पावर इंजीनियर्स फेडरेशन)
21. कौशिक मजूमदार (सामाजिक कार्यकर्ता)
22. विवेकानंदन (TANRECTA)
23. प्रवीर पीटर (साझा कदम फॉर पीस एंड हार्मनी)
24. वेंकटेश अथरेया (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, अर्थशास्त्री)
25. नित्यानंद जयारामन (चेन्नई सॉलिडेरिटी ग्रुप)
26. अमानुल्ला खान (अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ)
27. तारा राव (एड्डेलु कर्नाटक)
28. उमा शंकरी (सामाजिक कार्यकर्ता)
29. मीरा संधामित्रा (सामाजिक कार्यकर्ता, NAPM), तेलंगाना
30. मधु भादुरी, दिल्ली
31. मलाथी एन थॉमस, कर्नाटक
32. प्रभात पट्टनायक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
33. अरुण कुमार, हरियाणा
34. सेड्रिक प्रकाश, गुजरात
35. अरुण कुमार
36. विवेकानंदन टीडी, तमिलनाडु
37. राजदूत के पी फेबियन, दिल्ली
38. अशोक शर्मा IFS (सेवानिवृत्त), उत्तर प्रदेश
39. एलिजाबेथ डी’सूजा, मुंबई
40. ए. नाथन - अध्यक्ष - न्यू लाइफ पीपल्स पार्टी, तमिलनाडु
41. सुशील, कर्नाटक
42. बीना चोकसी, महाराष्ट्र
43. सतीश कुमार, तमिलनाडु
44. सबीना बाशा, कर्नाटक
45. बिराज मेहता, महाराष्ट्र
46. राहुल जॉर्ज, कर्नाटक
47. सबला, महाराष्ट्र
48. जॉन दयाल, दिल्ली
49. चेलप्पा, तमिलनाडु
50. मेजर शरत चंद्र सिंह (डीजीएम BOI सेवानिवृत्त), उत्तर प्रदेश
51. एच एस गुजऱाल, पंजाब
52. शरद बिहारी, IAS सेवानिवृत्त, मध्य प्रदेश
53. अरमैटी इरानी, महाराष्ट्र
54. मरियादसा, तमिलनाडु
55. प्रभात शरण (वरिष्ठ पत्रकार), महाराष्ट्र
56. रवि बुढिराजा IAS (सेवानिवृत्त), महाराष्ट्र
57. आशीष काजला, दिल्ली
58. अरुणा रोड्रिग्स, मध्य प्रदेश
59. आलोक पर्टी, दिल्ली
60. कैल्विन डी’सूजा, गोवा
61. मधु भादुरी, दिल्ली
62. पीटर, तमिलनाडु
63. बॉब मोंटेइरो, कर्नाटक
64. मरियादासन, तमिलनाडु
65. अमानुल्ला खान, कर्नाटक
66. मोहम्मद इमरान, तमिलनाडु
67. एस एम सेबेस्टियन, तमिलनाडु
68. प्रांजली त्रिपाठी, दिल्ली
69. किरिती रॉय, मासूम, पश्चिम बंगाल
70. आदित्य मुखर्जी, दिल्ली
71. नरेंद्र पांजवानी, महाराष्ट्र
72. एम. फिडेलिस, तमिलनाडु
73. रमेश दीक्षित, उत्तर प्रदेश
74. कोशी फिलिप, तमिलनाडु
75. नीरा बुर्रा, नई दिल्ली
76. एंटोनी रवि जे, तमिलनाडु
77. माया कृष्णा राव, कर्नाटक
78. आइवी लोबो, कर्नाटक
79. एस ओम प्रकाश, कर्नाटक
80. कृपा नोरोंहा, कर्नाटक
81. मृदुला मुखर्जी, दिल्ली
82. हिलेरियस, तमिलनाडु
83. जस्टिस डी. हरिपरांतम (सेवानिवृत्त)
84. सर्वेंदु गुहा, पश्चिम बंगाल
85. टी.आर. कोलासो, कर्नाटक
86. सम्राट, दिल्ली
87. कैप्टन सुब्बाराव प्रभला आईएन (सेवानिवृत्त), कर्नाटक
88. नवीन यादव, दिल्ली
89. नागलसामी, तमिलनाडु
90. वर्षा, तेलंगाना
91. ग्लीटस, तमिलनाडु
92. अंजलि भारद्वाज, दिल्ली
93. अमृता जोहरी, दिल्ली
Related
एफआईआर को कमजोर करने की कोशिश: नफरत भरे भाषण मामले में बीजेपी मंत्री को बचाने की कोशिश पर एमपी हाई कोर्ट सख्त, जांच की निगरानी करेगा कोर्ट
‘शांति की बात करना, नफरत के खिलाफ बोलना कोई जुर्म नहीं’: महमूदाबाद मामले पर पूर्व नौकरशाहों का बयान

करीब सौ नागरिकों ने राष्ट्रपति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर उनसे सशस्त्र बलों के "सम्मान और आत्मसम्मान की रक्षा" करने की अपील की है। यह अपील विशेष रूप से उस संदर्भ में की गई है जिसमें हाल ही में भारत-पाक संघर्ष को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, जैसे कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राज्य सरकार में मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयान शामिल हैं।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं में श्रीमती ललिता रामदास (पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल रामदास की पत्नी), विश्णु भागवत (सेवानिवृत्त), पूर्व नौसेनाध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल विजय ओबेरॉय (सेवानिवृत्त), वाइस एडमिरल संजय मिश्रा (सेवानिवृत्त), मेजर एम. जी. देवसहायम (आईएएस सेवानिवृत्त) और ई.ए.एस. शर्मा (आईएएस सेवानिवृत्त) सहित कई अन्य नागरिक शामिल हैं। इन सभी ने यह स्पष्ट किया है कि इन दोनों मंत्रियों द्वारा दिए गए अपमानजनक बयानों से हमारे सशस्त्र बलों के सेवारत जवानों का मनोबल प्रभावित हो सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता कमजोर हो सकती है। इसलिए, हस्ताक्षरकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से मांग की है कि वे भारतीय न्याय संहिता (जो अब भारतीय दंड संहिता का स्थान ले चुकी है) के तहत प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार दोनों मंत्रियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। साथ ही, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इन दोनों मंत्रियों को तुरंत राज्य मंत्रिमंडल से हटाएं। संबंधित राजनीतिक दल के केंद्रीय नेतृत्व को इन अपमानजनक बयानों की सार्वजनिक रूप से निंदा करनी चाहिए और संबंधित मंत्रियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने अपनी 17 मई 2025 की सार्वजनिक चिट्ठी में लिखा है कि सशस्त्र बलों में सख्त नियम और अनुशासन के कारण उनके सदस्य ऐसे अपमानजनक बयानों और बेइज्जती का जवाब खुद नहीं दे सकते। इसलिए उन्होंने भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से अपील की है कि वे हमारे बहादुर सैनिकों के सम्मान और आत्मसम्मान की रक्षा करें। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि जो लोग सशस्त्र बलों का अपमान कर रहे हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसे बयान दोबारा न हों।
यह याद दिलाना जरूरी है कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और मंत्री विजय शाह द्वारा दिए गए बयानों को लेकर हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के दौरान काफी आलोचना हुई थी। सबसे पहले, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह ने एक सार्वजनिक बयान में सेना की आधिकारिक प्रवक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी का जिक्र करते हुए कहा:
"आतंकवादियों ने हमारी बहनों-बेटियों का सिंदूर मिटाया (पहलगाम हमले के संदर्भ में), और हमने उनकी ही बहन को जवाब देने के लिए भेजा।"
यह बयान न केवल लिंगभेद और असंवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि सांप्रदायिकता फैलाने वाला और समाज में विभाजन पैदा करने वाला भी है। इसके साथ ही यह महिलाओं का अपमान करता है और सशस्त्र बलों के गरिमामय पेशेवर रुख का भी अपमान है। इस तरह का बयान देश की सुरक्षा में लगे जवानों और अधिकारियों की छवि को ठेस पहुंचाता है।
दूसरे, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने शुक्रवार को जबलपुर में सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण सत्र में बोलते हुए विवादास्पद रूप से दर्शकों से कहा:
“प्रधानमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहेंगे, और पूरा देश, देश की वो सेना, वो सैनिक, उनके चरणों में नतमस्तक हैं। उनके चरणों में पूरा देश नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है।”
ये सार्वजनिक संवाद यह भी याद दिलाता है और दर्ज करता है कि इससे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2019 में सशस्त्र बलों के खिलाफ इसी तरह का अपमानजनक बयान दिया था, जब उन्होंने सशस्त्र बलों को “मोदीजी की सेना” कहा था। इन सभी टिप्पणियों के जरिए, जो बलों की गरिमा और मनोबल को प्रभावित करती हैं, सरकार ने इस मामले में चुप्पी साधे रखी है, जिससे सशस्त्र बलों का अपमान बार-बार दोहराया जा रहा है।
इसके अलावा, आदित्यनाथ के पहले के बयान और देवड़ा के हालिया बयान ने इस पत्र और संविधान के अनुच्छेद 53 की भावना के प्रति उनकी स्पष्ट असम्मान दिखाया है, जो संघ के कार्यकारी अधिकार को निम्नलिखित रूप में परिभाषित करता है:
“(1) संघ की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त होगी और वह इसे या तो प्रत्यक्ष रूप से या इस संविधान के अनुसार अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से अनुपालन करेंगे।”
(2) उपरोक्त प्रावधान की सामान्यता को प्रभावित किए बिना, संघ की रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति को प्राप्त होगी और इसके इस्तेमाल को कानून द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
(3) इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि—
(क) ऐसा नहीं माना जाएगा कि राष्ट्रपति को कोई भी ऐसा कार्य दिया गया है जो किसी मौजूदा कानून के तहत किसी राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण को दिया गया हो;
दूसरे शब्दों में, संविधान के अनुच्छेद 53(2) के तहत संघ की रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान भारत के राष्ट्रपति के पास होगी और किसी अन्य प्राधिकारी के पास नहीं।
अंत में, इस पत्र में उल्लेख किया गया है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन “घिनौने कृत्यों” पर सवाल उठाने और उनकी निंदा करने के बजाय, भाजपा के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय स्तर पर और उनके सहायक इनका समर्थन कर रहे हैं। अंततः, इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि हम कर्नल सोफिया कुरैशी और अपने सैनिकों के साथ खड़े हैं, क्योंकि वे देश की सुरक्षा के लिए पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहे हैं। साथ ही, हम दो मंत्रियों के इन बयानों को पूरी तरह से गलत और भ्रामक मानते हैं और उनकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हस्ताक्षरकर्ता:
1. श्रीमती ललिता रामदास, एडमिरल (सेवानिवृत्त) पूर्व नौसेना प्रमुख एल. रामदास की पत्नी
2. एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत, पूर्व नौसेना प्रमुख
3. जनरल (सेवानिवृत्त) विजय ओबेरॉय
4. वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) संजय मिश्रा
5. मेजर एम जी देवसाहयम IAS (सेवानिवृत्त)
6. ईएएस सरमा IAS (सेवानिवृत्त)
7. सुरेंद्र नाथ IAS (सेवानिवृत्त)
8. प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) सेबेस्टियन मॉरिस (IIM अहमदाबाद)
9. थॉमस फ्रांसो (पीपल फर्स्ट)
10. जो एथियाली (सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी)
11. दिनेश अब्रोल (दिल्ली साइंस फोरम)
12. सौम्या दत्ता (MAUSAM, पर्यावरण कार्यकर्ता)
13. वी श्रीधर (पत्रकार, बेंगलुरु)
14. प्रसाद चाको (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़)
15. विजयकुमार (इंडियन स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज)
16. स्मिता रामनाथन (सामाजिक कार्यकर्ता)
17. आर. सांकरी (TNGPA)
18. तीस्ता सेतलवाड (मानवाधिकार कार्यकर्ता)
19. विवेकानंदन (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, MUTA)
20. के अशोक राव (संरक्षक, अखिल भारतीय पावर इंजीनियर्स फेडरेशन)
21. कौशिक मजूमदार (सामाजिक कार्यकर्ता)
22. विवेकानंदन (TANRECTA)
23. प्रवीर पीटर (साझा कदम फॉर पीस एंड हार्मनी)
24. वेंकटेश अथरेया (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, अर्थशास्त्री)
25. नित्यानंद जयारामन (चेन्नई सॉलिडेरिटी ग्रुप)
26. अमानुल्ला खान (अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ)
27. तारा राव (एड्डेलु कर्नाटक)
28. उमा शंकरी (सामाजिक कार्यकर्ता)
29. मीरा संधामित्रा (सामाजिक कार्यकर्ता, NAPM), तेलंगाना
30. मधु भादुरी, दिल्ली
31. मलाथी एन थॉमस, कर्नाटक
32. प्रभात पट्टनायक, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
33. अरुण कुमार, हरियाणा
34. सेड्रिक प्रकाश, गुजरात
35. अरुण कुमार
36. विवेकानंदन टीडी, तमिलनाडु
37. राजदूत के पी फेबियन, दिल्ली
38. अशोक शर्मा IFS (सेवानिवृत्त), उत्तर प्रदेश
39. एलिजाबेथ डी’सूजा, मुंबई
40. ए. नाथन - अध्यक्ष - न्यू लाइफ पीपल्स पार्टी, तमिलनाडु
41. सुशील, कर्नाटक
42. बीना चोकसी, महाराष्ट्र
43. सतीश कुमार, तमिलनाडु
44. सबीना बाशा, कर्नाटक
45. बिराज मेहता, महाराष्ट्र
46. राहुल जॉर्ज, कर्नाटक
47. सबला, महाराष्ट्र
48. जॉन दयाल, दिल्ली
49. चेलप्पा, तमिलनाडु
50. मेजर शरत चंद्र सिंह (डीजीएम BOI सेवानिवृत्त), उत्तर प्रदेश
51. एच एस गुजऱाल, पंजाब
52. शरद बिहारी, IAS सेवानिवृत्त, मध्य प्रदेश
53. अरमैटी इरानी, महाराष्ट्र
54. मरियादसा, तमिलनाडु
55. प्रभात शरण (वरिष्ठ पत्रकार), महाराष्ट्र
56. रवि बुढिराजा IAS (सेवानिवृत्त), महाराष्ट्र
57. आशीष काजला, दिल्ली
58. अरुणा रोड्रिग्स, मध्य प्रदेश
59. आलोक पर्टी, दिल्ली
60. कैल्विन डी’सूजा, गोवा
61. मधु भादुरी, दिल्ली
62. पीटर, तमिलनाडु
63. बॉब मोंटेइरो, कर्नाटक
64. मरियादासन, तमिलनाडु
65. अमानुल्ला खान, कर्नाटक
66. मोहम्मद इमरान, तमिलनाडु
67. एस एम सेबेस्टियन, तमिलनाडु
68. प्रांजली त्रिपाठी, दिल्ली
69. किरिती रॉय, मासूम, पश्चिम बंगाल
70. आदित्य मुखर्जी, दिल्ली
71. नरेंद्र पांजवानी, महाराष्ट्र
72. एम. फिडेलिस, तमिलनाडु
73. रमेश दीक्षित, उत्तर प्रदेश
74. कोशी फिलिप, तमिलनाडु
75. नीरा बुर्रा, नई दिल्ली
76. एंटोनी रवि जे, तमिलनाडु
77. माया कृष्णा राव, कर्नाटक
78. आइवी लोबो, कर्नाटक
79. एस ओम प्रकाश, कर्नाटक
80. कृपा नोरोंहा, कर्नाटक
81. मृदुला मुखर्जी, दिल्ली
82. हिलेरियस, तमिलनाडु
83. जस्टिस डी. हरिपरांतम (सेवानिवृत्त)
84. सर्वेंदु गुहा, पश्चिम बंगाल
85. टी.आर. कोलासो, कर्नाटक
86. सम्राट, दिल्ली
87. कैप्टन सुब्बाराव प्रभला आईएन (सेवानिवृत्त), कर्नाटक
88. नवीन यादव, दिल्ली
89. नागलसामी, तमिलनाडु
90. वर्षा, तेलंगाना
91. ग्लीटस, तमिलनाडु
92. अंजलि भारद्वाज, दिल्ली
93. अमृता जोहरी, दिल्ली
Related
एफआईआर को कमजोर करने की कोशिश: नफरत भरे भाषण मामले में बीजेपी मंत्री को बचाने की कोशिश पर एमपी हाई कोर्ट सख्त, जांच की निगरानी करेगा कोर्ट
‘शांति की बात करना, नफरत के खिलाफ बोलना कोई जुर्म नहीं’: महमूदाबाद मामले पर पूर्व नौकरशाहों का बयान