झारखंड: 11 वर्षीय संतोषी कुमारी की भूख से हुई मौत

सिमडेगा जिला के जलडेगा प्रखंड के पतिअम्बा पंचायत के  कारीमाटी गाँव की निवासी 11 वर्षीयसंतोषी कुमारी ( पिता: तात्यानायक, माँ: कोईली देवी) की 28 सितम्बर 2017 को रात लगभग10:30 बजे  मौत हो गयी.संतोषी कुमारी गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में पांचवी कक्षाकी छात्रा थी.

Hunger Death

संतोषी कुमारी की मौत के कारण का पता लगाने के लिए भोजन का अधिकार अभियान एवं नरेगा वाच से जुड़े सामाजिक कायकर्ताओं केएकदल( तारामणि साहू ,आकाश रंजन,एवं धीरज कुमार) नेमृतक के परिजनों, राशन डीलर, एवं जलडेगाप्रखंड के अधिकारियों से मुलाक़ात की.
बातचीत से निम्नालीखित तथ्य उभर कर आते हैं

भूख से हुई संतोषी कुमारी की मौत: संतोषी कुमारी की माँ कईली देवी ने बतलाया कि पाँच महीने से उनके परिवार को राशन नहीं मिल रहा था. 28 सितम्बरको,जिस दिन संतोषी कुमारी की मौत हुई, घर में चावल नहीं था. 4 दिनसेपरिवार के किसी सदस्य ने कुछ भी नहीं खाया था. मवेशी चराने से कुछ खाना मिल जाता था लेकिन दुर्गा पूजा की वजह से मवेशी चराने का काम भी नहीं मिल पा रहा था. मृतक संतोषी कुमारी को स्कूल में मध्याह्न भोजन से एक समय का खाना मिल जाता था. लेकिन दुर्गा पूजा की छुट्टी की वजह से एक वक़्त का मध्याहन भोजन का खाना भी नहीं मिल पा रहा था.

मृतक की माँ के अनुसार रात को संतोषी कुमारीने माँ से भात माँगा.उसके आँख के सामने अँधेरा छाने लगा और वहकांपने लगी. उसनेकहा कि भात नहीं है तो माड़ पानी ही दे दो. माँ कईली देवी ने कहा गाँव में कौनभात देगा. माँ कईलीदेवीउसे गाँव के वैद्य के पास ले गयी. वैद्य ने कहा कि भूख से पेट तन गया है. उसे भात खिला दो. चाय पिला दो. लेकिन संतोषी के घर में चावल नहीं था. माँ नेबेटी को चायपत्तिउबाल कर पिलाया.लेकिन वह अपनी बेटी को नहीं बचा पाई और संतोषी कुमारी ने दम तोड़ दिया. मृतक संतोषी कुमारीकी माँ ने बतलाया कि मरते समय भी वहभात भात कह रही थी.

प्रशाशन नहीं मान रहा कि भूख से मौत हुई:जलडेगाके प्रखंड विकास पदाधिकारी काकहना है कि संतोषी कुमारी की मौत मलेरिया सेहुई है.जबकि मृतक की माँ ने कहा कि बच्ची को मलेरिया नहीं था.गाँव की ए.एन.एम माला देवी का भी कहना है कि संतोषी कुमारी को मलेरिया नहीं था. जिस दिन संतोषी कुमारी की मौत हुई उसके एक दिन पहले ही एएनएम माला देवी कि मुलाक़ात मृतक के परिवार से हुईथी.

आधार कार्ड सीडिंगनहो होने की वजह से हुआ राशन कार्ड रद्द: जलडेगा के बीडीओ का कहना है कि मृतक संतोषी कुमारी के परिवार का राशन कार्ड इसलिए डिलीट हो गया था क्योंकि आधार से नहीं जुड़ा था. जलडेगा के प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी रमेश कुमार ने बतलाया कि मृतकसंतोषी कुमारी के परिवार का नाम  कार्ड धारियों की सूची सेस्वतः कट गया था क्योंकि उनका आधार सीडिंगनहीं हुआथा.
 
डीसी को शिकायत करने के बावजूद आधार नहीं होने वजह से नहीं बन पाया मृतक के परिवार का राशन कार्ड:मृतक संतोषी कुमारी के परिवार का राशन बंद होने की शिकायतस्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा उपायुक्त के जनता दरबार में 21 अगस्त 2017 को ही दे दी गयी थी. शिकायत के बाद परिवारके लिए  ग्राम अन्न कोष का 5 किलो चावल दिया गया. जलडेगा प्रखंड विकास पदाधिकारी का कहना है कि शिकायत आने के बाद भी उनका राशन कार्ड नहीं बन पाया क्योंकि मृतक संतोषी कुमारी के परिवार में किसी के पास आधार नहीं था.अधिकारियों का कहना है कि पंचायत स्वय सेवक द्वारा संतोषी कुमारी के  परिवार का आधार कार्ड बनवाया गया. जबकि मृतक संतोषीकुमारीकी माँ  का कहना है कि राशन मिलना बंद होने के बाद उन्होंने डीलर को आधार कार्ड की फोटो कॉपी  जमाकी थी . जाँच दल की सदस्य तारामणि साहू का भी कहना है कि 21 अगस्त को जबमृतक संतोषी देवी के परिवार को राशन नहीं मिलने की शिकायत उपायुक्त  के जनता दरबार में की गयी थी तो उस समय परिवार का आधार कार्ड बना हुआ था.उन्हें ऑपरेटर द्वारा बतलाया गया किपरिवार का आधार सीडिंग नहीं हुआ है. 23 अगस्त को उन्हें यह बतलाया गया कि राशन कार्ड रद्द हो गया है.

डीलर भोला साहूकाविरोधाभासीएवं भ्रमित करने वाला बयान:मृतक संतोषी कुमारी के परिवार के पास उनकाराशन कार्ड( कार्ड संख्या 202004278512जोसंतोषी कुमारी की दादी बलमती देवी के नाम था) नहीं था. गाँव के स्कूल टीचर सुदामा जिन्हेंजनवरी 2016 में राशन कार्ड के वितरण की जिम्मेदारी दी गयी थी नेबतलाया कि मृतक संतोषी देवी के परिवार का राशन कार्ड छप कर नहीं आया था. डीलर भोला साहू का कहना है कि मृतक संतोषी देवी के परिवार के नाम जो कार्ड संख्या हैउसनेइस कार्ड संख्या पर कभी वितरण किया ही नहीं. डीलर भोला राम साहू का कहना है कि उसके द्वारामृतक संतोषी कुमारी के परिवार को गलती से  कार्ड संख्या 202004278112 पर कॉपी पर एंट्री के द्वारा राशन का वितरण किया जा रहा था. जोकिसी और परिवार का कार्ड  संख्या है डीलरका कहना है कि इस कार्ड नंबर पर उसकेद्वारा दोनों परिवारों को अक्टूबर 2015 से अक्टूबर 2016 तकमैनुअल रजिस्टर सिस्टम द्वारा राशन दिया गया. अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तकई पौस मशीन (पार्शियलऑनलाईन) द्वाराराशन दिया गया.

फरवरी2017के बाद डीलर भोला राम साहू ने मृतकसंतोषी देवी के परिवार को यह कर राशन देना बंद कर दिया किराशन कार्ड संख्या किसी और परिवार की है. डीलर भोलारामका कहना है कि उसे फरवरी में पता चला कि राशन कार्ड संख्या 202004278512 मृतक संतोषी कुमारी के ही परिवार का है और इस कार्ड में आधार नहीं जुड़ा है. कारीमाटी स्कूल के शीक्षक सुदामाने कहा कि चूँकिपरिवार का राशन कार्ड छप कर नहीं आया था इसलिए उन्होंने डीलर को बतलाया दिया था कि202004278512 कार्ड संख्या मृतक संतोषी देवी के परिवार का है.

डीलर भोला साहू का बयान काफी भरमाने वाला और अविश्वनीय लगता है कि उसने एक ही राशन कार्ड संख्या  पर दो अलग अलग परिवार को एक साल से ज्यादा तक अनजाने में ही राशन दे दिया. भोला साहू पर लाभुको के खिलाफ मार पीट एवं दो महीने के राशन के बजाय एक महीने का राशन देनेकाभीआरोप लगा है. प्रखंडआपूर्ति पदाधिकारी नेबतलाया कि जांच द्वारा मार पीट के आरोप को सही पाया गया है.

परिवारअब भी  भुखमरी की स्थिति में: संतोषी कुमारी की मौत हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं लेकिन परिवार अभी भी भुखमरी की स्थिति में है. अभी तक राशन कार्ड नहीं बना है. मृतक की माँ ने बतलाया कि  बेटी के मरने के बाद जो ३० किलो चावल प्रशाशन द्वारा दिया गया था वह भीबेटी के अंतिम संस्कारमें सबको खिलाने में ख़त्म हो गया. मृतक संतोषी कुमारी के पितातात्यानायक काम नहीं करपाते. वेएक साल से मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं. गाँव में कोइ उधार नहीं देता. माँ और उसकी बड़ी बेटी गुड़िया( उम्र 20 वर्ष)  घर घर जा कर घासछीलने इत्यादिका काम करते है. कोइ 20 रुपया देता है कोइ 25 रुपया, कोइ चावल दे देता है. काम भी रोज नहीं कभी कभी मिलता है हफ्ते में80-90 रुपये कमा लेते हैं. काम नहीं मिलता तो दातुन और पत्तल बेचतेहैं. नहीं तो भूखे सोते हैं. जिस दिनजांचटीम गयी उस दिन भी सुबह से परिवार के किसी सदस्य ने कुछ नहीं खाया था. कोईली देवी ने बतलाया कि गाँव के ही एक परिवार से दो पईला (लगभग आधा किलो)  चावल उधारमाँगाहै. परिवारने भी चावल इस लिए दिया कि कोईली देवी  ने उसे आश्वासन दिया कि वहचावल लौटा देगी क्योंकि उसकी बड़ी बेटी काम के तलाश में गयी है शायद उसे कुछ काम मिल गया हो. बेटी कुछ कमाकर आयेगी तो चावल खरीद कर लौटा देगी. मृतक की माँकोईलीदेवी ने बतलाया कि अभीमुश्किल से जो चावल मिलता है उसी को माड़ भात और नमक के साथ खाते हैं उसे से भी पेट नहीं भरता. कभी कभी किसी की बाड़ी से साग तोड़ कर लेआते हैं.

कोईलीदेवी ने बतलाया कि गाँव में नरेगा का काम भी नहीं हो रहा जहांवह कुछ काम कर सके. भूख लगने पर आंगनबाडी से मिलने वाला पैकेट फुड, जोकोईली देवी देवी के डेढ़वर्षीयबेटेप्रकाश के लिए मिलता है, परिवार के सभी सदस्य पानी के साथ खाते हैं. सासकेवृधा पेंशन से कुछ पैसेआता था लेकिन पेंशन भी 8महीने से बंद है.

संतोषी कुमारी की छोटी बहन 10 वर्षीय चांदो पांचवीकक्षा में है. बहनसंतोषी कुमारी के गुजर जाने के बाद  उसने भी स्कूल जाना छोड़ दिया है इसलिए उसे अब मध्याह्न भोजन का खाना भी नहीं मिलता. चांदो का संतोषी से विशेष लगाव था. दोनों साथ स्कूल जाते थे. अब स्कूल जाना छोड़कर वह गाँव वालों की ही मवेशी चराती है और जिस से उसे बदले में  भात खाने को मिल जाता है.

परिवार अब भी भुखमरी की स्थिति में लेकिन ऑनलाईन प्रक्रिया की जटिलताओं के चलते अब तक नहीं बना राशन कार्ड:संतोषी कुमारी की मौत हुएएकसप्ताह से ज्यादा हो गयाहै लेकिन अब तक परिवारका राशन कार्ड नहीं बना है. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी जलडेगा का कहना था कि दुर्गा पूजा के एक हफ्ते पहले आधारबनवाकर मृतक के परिवार का राशन कार्ड के लिए लॉग इन कर दिया गया है लेकिन दो हफ्ते बाद भी अभी तकमृतक के परिवार का नया राशन कार्ड नंबर नहीं आया है क्योंकि ऑनलाईन राशन कार्ड की सूची में लाभुक का नाम जोड़ने का काम महीने की 10 से 25 तारीख तक के बीच ही होता है.

पड़ोसी परिवार भी है भुखमरी के कगार पर:मृतक संतोषी देवी के चाचा पति नायक  का परिवार जो पड़ोस में ही रहता है उनका राशन कार्ड भी आधार नहीं होने की वजह से रद्द हो गया है. इनका भी जैसे तैसे गुजारा हो रहा है. परिवार में पति नायक की पत्नी डहरी देवी तिन बेटा और तिन बेटी हैं. पति नायक के घर का राशन कार्ड रद्द होने की शिकायत भी 21 सितम्बर को उपायुक्त के जनता दरबार में दी गयी थी लेकिन उनका राशन कार्ड भी अभी तक नहीं बना है. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने बतलाया कि पति नायक का नया राशन कार्ड नंबर के लिए उनका आधार कार्ड बनवाकर लॉग इन कर दिया गया है.

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