आम आदमी के भूख से मरने पर कोई खबर नहीं बनती, विधायक को बुखार की खबर दो घंटे की बहस का मुद्दा बन जाता है

Written by Mithun Prajapati | Published on: October 30, 2017
विधायक जी के द्वार से साइकिल चोरी हो गयी। विधायक जी को लगा उनकी नाक कट गयी। आम आदमी की नाक कटनी तब शुरू होती है जब उसकी बेटी 16 के पार की हो गयी हो और अब भी शादी न हुई हो या फिर दहेज कम मिलने पर दूल्हा शादी के लिए इनकार कर रहा हो, लेकिन बड़े आदमियों की नाक इन छोटी चीजों में नहीं बसती। इसलिए उनकी नाक साइकिल चोरी होने, भैंस के चोरी हो जाने से कट जाती है।

Hunger Deaths
Image Courtesy: Bhaskar
 
विधायक जी बड़े आदमी थे। उनके पिता भी बड़े आदमी थे। ये जो साइकिल चोरी हुई, उनके पिता की आखिरी निशानी और उस गांव की पहली साइकिल थी। सन 1977 में आई इस साइकिल को 2017 में देखकर कोई भी कह सकता था कि यह सिंधु घाटी सभ्यता से खोदकर निकाली गयी होगी ,जिसकी उचित जगह विधायक जी का घर नहीं कोई म्यूजियम ही है। यहाँ रखकर इसका महज अपमान हो रहा है।
 
पूरे क्षेत्र में खबर फैल गयी कि विधायक जी के पिता जी की आखिरी निशानी कोई चुरा ले गया। इस खबर के फैलने की स्पीड  को देखकर आम आदमी अनुमान लगा सकता है कि बुलेट ट्रेन इसी स्पीड से चलती होगी। इस गांव में पिछले कुछ सालों से कई घटनाएं हुईं जिन्हें आग की तरह फैलना था और वे धक्का देने पर भी कीचड़ में फंसी ट्रैक्टर जितना ही आगे बढ़ पायीं। दलितों के घर फूंके गए, उनकी जमीनें हड़पी गयीं, उनकी बहन-बेटियों का यौन शोषण हुआ, विरोध करने पर कितनों को मार गिराया गया। ये वो घटनायें हैं जो धक्का देकर थाने तक पहुंचाई गयीं, पत्रकार तक पहुंचाई गयीं  पर नहीं फैलीं।  आम आदमी भूख से तड़पकर मर जाता है कोई खबर नहीं होती, विधायक जी को हल्का बुखार हुआ तो चैनलों पर दो घंटे का डिबेट रखा जाता है। विधायक जी का बुखार राष्ट्रीय बुखार होता है। 
 
थाने तक खबर पहुंची। रिपोर्ट भी लिख ली गयी और तत्काल कार्यवाही भी शुरू हुई। इतनी जल्दी शुरू की गयी पुलिस की कार्यवाही को देखकर एक बार तो पूरा गांव आंखे मलकर सोचने लगा कि यहीं के थाने की पुलिस है कि विदेश से मंगाई गई है। गांव में पुलिस ने दबिश  दी। पूछताछ शुरु हुई। इसके पहले पुलिस गांव में दो साल पहले आई थी जब एक गरीब लड़की का यौन शोषण उसके बाप के सामने हुआ था। बाप जाकर दरोगा के पैरों में कार्यवाही के लिए नाक रगड़कर गिड़गिड़ाया था पर दरोगा का दिल नाक और आंसुओं से नहीं पैसे से पिघलता है। यह उस बाप को पता नहीं था।  गांव के कुछ लोगों ने थाने को  घेरकर धरना देना शुरू किया तब दरोगा ने तीन लोगों को जांच के लिए भेज दिया था।
 
आज मामला विधायक की नाक का था इसलिए पुलिस घोड़े की तरह काम कर रही थी। पुलिस के आने का मतलब था कि गांव वाले जहाँ भी विधायक की साइकिल छुपा के रखे हैं चुपचाप  दे दें। एक पुलिस वाला गुर्राया- आप लोगों ने जहां कहीं भी  साइकिल छुपाई हो चुपचाप दे दो, वरना पूरा गांव बर्बाद हो जाएगा। 
 
हालांकि उसनें दी धमकी थी पर यह बाबा के श्राप की तरह लग रहा था। दूसरे पुलिस वाले ने कहा- हम लोग कल फिर आएंगे और यह मत  सोचना की तुम्हें बख्स दिया गया है। साइकिल न मिलने तक सब पुलिस की निगाह में रहोगे।
 
पूरा गांव चिंतित हो गया। विधायक की साइकिल ने पूरे गांव को चिंता में डाल दिया था। इराक पर बम गिरे, पेशावर में आतंकवादियों ने बच्चों को स्कूल में ही भून दिया , गोरखपुर में बच्चे ऑक्सीजन की कमी से मर गए, पाकिस्तानी हमारे सैनिकों का सिर काट ले गए। इतनी बुरी खबरों के बीच भी नाई बाल काटता रहा, कुम्हार की चाक बंद नहीं हुई, लोहार ने हंसिया में धार लगाना बंद नहीं किया पर विधायक की साइकिल ने इनके काम को प्रभावित कर दिया। ये विधायक से ज्यादा चिंतित हुए और काम छोड़ इस बात पर ध्यान डरने लगे कि आखिर साइकिल कौन ले गया होगा !!
 
दूसरे दिन पुलिस सुबह फिर पहुँची। इस बार वह वार्निंग देने नहीं अपने आतंक का डेमो देने आई थी। पहुंचते ही तीन घरों  पर छापा पड़ा। हाथ कुछ नहीं आया। पुलिस ने गालियां देना शुरू कर दिया। उनकी गालियों को सुनकर लग रहा था कि इनको गोपनीयता और ईमानदारी की शपथ से पहले गालियां देने की शपथ दिलाई जाती होगी कि- भारतीय संविधान को ठेंगे पर रख हम शपथ लेते हैं, साम,दाम, दंड, भेद किसी भी तरह किसी भी व्यक्ति को मुजरिम साबित करने के लिए खुद से मारक गालियों का ईजाद करेंगे और उनका भरपूर उपयोग करेंगे।  दो युवकों ने गाली देने से रोकना चाहा तो एक पुलिस वाले ने लंबी बंदूक  पर लगी बेंत का सदुपयोग करते हुए उसके मुंह से खून निकाल दिया। वह चुप हो गया बेंत गालियों से ज्यादा चुभ गया। एक साहब से दिखने वाले पुलिस ने गुर्राकर कहा- ले चलो थाने इन्हें, और छोड़ना मत इन भो.... वालों को। कोई कुछ पूछे तो कह देना साइकिल चोरी के शक के आधार पर गिरफ्तार किया है।
 
दूसरे दिन सुबह थाने की घंटी बजी। साहब ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से विधायक जी की आवाज गूंजी- साइकिल मिल गयी है। आप फिकर न करिये... दीवाली की सफाई चल रही थी और पत्नी श्री ने कबाड़ समझकर साइकिल को कबाड़ी के हाथों बेच दिया था। वे मायके में छुट्टियों का आनंद ले रही हैं। उन्हें यह नहीं पता था कि साइकिल उनके ससुर जी की थी और उससे मेरे इमोशन्स जुड़े हुए हैं। सुबह के अखबार में उन्होंने साइकिल चोरी की खबर पढ़ी तो मुझे फौरन फोन करके बताया। 
 
थाने में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।वे दोनों युवक अब भी शक के आधार पर चौकी में ही बैठाए गए हैं।

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