रांची। झारखंड के छतरा जिले में एक बार फिर एक व्यक्ति की भूख से मौत की खबर है। मृतक के परिजनों का कहना है कि घर में अनाज के अभाव में यह घटना हुई है। हालांकि प्रशासन ने इसे बीमारी के कारण हुई मौत बताया है। घटना के सामने आने के बाद प्रशासनिक जांच की कार्रवाई शुरू हो गई है, जबकि विपक्षी दलों ने इसे सरकार की नाकामी करार दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चतरा जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के डोंगागड़ा गांव के रहने वाले अनुसूचित जाति के झींगुर भुईयां नामक शख्स की मौत हो गई। परिजनों की मानें तो झींगुर भुइयां के घर में अनाज का एक दाना न होने के चलते वह दस दिन से कुछ नहीं खा पा रहा था।
मृतक की पत्नी ने कहा कि घर में अनाज के अभाव में दस दिनों से झींगुर भूखा था। अन्य परिजनों का भी कहना था कि सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था। हालांकि मौत की सूचना मिलने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मृतक के घर अनाज जरूर पहुंचावाया।
घटना की सूचना मिलने पर प्रशासनिक जांच भी शुरू हो गई है। प्रशासनिक जांच में प्रथम दृष्टया यह बात भी सामने आई है कि झींगुर पिछले कई महीनों से बीमार था और बीमारी की वजह से ही उसकी मौत हुई है। फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है।
युवक की मौत के बाद पूर्व कृषिमंत्री और राजद नेता सत्यानंद भोक्ता ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि झींगुर की मौत जांच का विषय है, लेकिन यह घटना सरकारी मशीनरी के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा करती है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार अपनी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात करती है। दूसरी ओर चतरा में भूख से मौत हो रही है। पूर्वमंत्री ने कहा कि सरकार सिर्फ हवा हवाई बात करती है। जमीनी हकीकत कुछ और है। मामले की लीपापोती का प्रयास नहीं होना चाहिए।
10 जुलाई 2019 को नुआपाड़ा जिले में एक विकलांग बच्चे की भुखमरी से मौत का संदिग्ध मामला दर्ज किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 वर्षीय गौतम बेहेरा की 6 जुलाई 2019 को कथित रूप से पांच दिन खाना न मिलने के चलते भुखमरी के कारण मौत हो गई थी। गौतम नुआपाड़ा जिले के बोडेन ब्लॉक के अंतर्गत करलाकोट पंचायत के सरगीमुंडा गाँव के रहने वाला था। ओडिशा राइट टू फूड कैंपेन की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चतरा जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड के डोंगागड़ा गांव के रहने वाले अनुसूचित जाति के झींगुर भुईयां नामक शख्स की मौत हो गई। परिजनों की मानें तो झींगुर भुइयां के घर में अनाज का एक दाना न होने के चलते वह दस दिन से कुछ नहीं खा पा रहा था।
मृतक की पत्नी ने कहा कि घर में अनाज के अभाव में दस दिनों से झींगुर भूखा था। अन्य परिजनों का भी कहना था कि सरकारी योजना का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा था। हालांकि मौत की सूचना मिलने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मृतक के घर अनाज जरूर पहुंचावाया।
घटना की सूचना मिलने पर प्रशासनिक जांच भी शुरू हो गई है। प्रशासनिक जांच में प्रथम दृष्टया यह बात भी सामने आई है कि झींगुर पिछले कई महीनों से बीमार था और बीमारी की वजह से ही उसकी मौत हुई है। फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है।
युवक की मौत के बाद पूर्व कृषिमंत्री और राजद नेता सत्यानंद भोक्ता ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि झींगुर की मौत जांच का विषय है, लेकिन यह घटना सरकारी मशीनरी के कामकाज पर सवालिया निशान खड़ा करती है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार अपनी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की बात करती है। दूसरी ओर चतरा में भूख से मौत हो रही है। पूर्वमंत्री ने कहा कि सरकार सिर्फ हवा हवाई बात करती है। जमीनी हकीकत कुछ और है। मामले की लीपापोती का प्रयास नहीं होना चाहिए।
10 जुलाई 2019 को नुआपाड़ा जिले में एक विकलांग बच्चे की भुखमरी से मौत का संदिग्ध मामला दर्ज किया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 17 वर्षीय गौतम बेहेरा की 6 जुलाई 2019 को कथित रूप से पांच दिन खाना न मिलने के चलते भुखमरी के कारण मौत हो गई थी। गौतम नुआपाड़ा जिले के बोडेन ब्लॉक के अंतर्गत करलाकोट पंचायत के सरगीमुंडा गाँव के रहने वाला था। ओडिशा राइट टू फूड कैंपेन की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है।