बनारस के लल्लापुरा मोहल्ले मे 200 से 250 साल पुरानी एक पांच गुम्बद वाली मस्जिद है|
Photo Courtesy: Muniza Khan
कहते है जब उमराव जान का इन्तेकाल हुआ तो ये मस्जिद बन चुकी थी| हसीना बेग़म जो एक तवाएफ़ थी उन्होंने ये मस्जिद बनवाई थी, वोह यही रहती थी|
पितरकुंडे का बगीचा जो लल्लापुरा से जुड़ा हुआ है वो हसीना बेगम का था जहा आज गरीब लोग रहते है|
पहले ये मस्जिद शिया समुदाय के हाथ मे थी लोगो ने एतराज़ किया की ये मस्जिद जायज़ पैसे से नहीं बनी है इसलिए नमाज़ जायज़ नहीं है|
बाद मे इस मस्जिद को सुन्नी समुदाय के लोगो ने ले लिया अब ये 'अहले सुन्नत' वालो के हाथ मे है रोज़ नमाज़ होती है, ईद की नमाज़ भी होती है, लेकिन औरते यहाँ नमाज़ नहीं पढ़ सकती है|
औरत द्वारा बनाई मस्जिद मे ही औरतो की 'नो एंट्री ' |
Photo Courtesy: Muniza Khan
कहते है जब उमराव जान का इन्तेकाल हुआ तो ये मस्जिद बन चुकी थी| हसीना बेग़म जो एक तवाएफ़ थी उन्होंने ये मस्जिद बनवाई थी, वोह यही रहती थी|
पितरकुंडे का बगीचा जो लल्लापुरा से जुड़ा हुआ है वो हसीना बेगम का था जहा आज गरीब लोग रहते है|
पहले ये मस्जिद शिया समुदाय के हाथ मे थी लोगो ने एतराज़ किया की ये मस्जिद जायज़ पैसे से नहीं बनी है इसलिए नमाज़ जायज़ नहीं है|
बाद मे इस मस्जिद को सुन्नी समुदाय के लोगो ने ले लिया अब ये 'अहले सुन्नत' वालो के हाथ मे है रोज़ नमाज़ होती है, ईद की नमाज़ भी होती है, लेकिन औरते यहाँ नमाज़ नहीं पढ़ सकती है|
औरत द्वारा बनाई मस्जिद मे ही औरतो की 'नो एंट्री ' |