महिलाओं और थाना प्रभारी तारकेश्वर राय के बीच बहस हुई, जिसके दौरान महिलाओं ने पुलिस पर दुर्व्यवहार करने और उन्हें पूजा करने से रोकने का आरोप लगाया।

फोटो साभार : एएनआई (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आबूनगर क्षेत्र में एक विवादित स्थल पर कथित तौर पर पूजा करने की कोशिश कर रही महिलाओं के एक समूह और पुलिस के बीच झड़प के बाद तनाव फैल गया। पुलिस ने यह जानकारी मीडिया को दी।
रीडिफ डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) महेंद्र पाल सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बुधवार शाम करीब छह बजे लगभग 20 महिलाएं दीये और पूजा सामग्री लेकर मांगी समाधि स्थल के आसपास लगे बैरिकेड्स के पास पहुंचीं।
पुलिस ने ये बैरिकेड्स उस स्थान को लेकर चल रहे मुकदमे के कारण लगाए थे, जिनका उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रवेश को रोकना था। अधिकारियों ने बताया कि कुछ महिलाओं ने कथित तौर पर बैरिकेड्स हटाने या उन पर चढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोका।
महिलाओं और थाना प्रभारी तारकेश्वर राय के बीच बहस हुई, जिसके दौरान महिलाओं ने पुलिस पर दुर्व्यवहार करने और उन्हें पूजा करने से रोकने का आरोप लगाया।
विवादित स्थल तक न पहुँच पाने पर, महिलाओं ने अंततः पास की एक गली से ढांचे के सामने पूजा और आरती की।
एएसपी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 121(1) (लोक सेवक के कर्तव्य पालन में बाधा डालना या उस पर हमला करना), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 352 (गंभीर उकसावे के बिना आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
कांस्टेबल मंजू सिंह की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में 20 अज्ञात महिलाओं के नाम शामिल हैं, जिनमें पप्पू सिंह चौहान नामक एक स्थानीय व्यक्ति की पत्नी भी शामिल है। सिंह ने बताया कि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अपनी शिकायत में कांस्टेबल सिंह ने कहा कि वह और अन्य पुलिसकर्मी विवादित मकबरे के पास तैनात थे, जब शाम करीब छह बजे चौहान की पत्नी के नेतृत्व में महिलाओं के एक समूह ने कथित तौर पर बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और पुलिस पर झूठे आरोप लगाकर धमकाया।
सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कथित तौर पर महिलाएं पुलिस से बहस करती और दूर से पूजा करती दिख रही हैं, हालांकि उनकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है।
मांगी समाधि स्थल पर 11 अगस्त से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू है, जब हिंदू संगठनों के सदस्यों ने दावा किया था कि यह ‘ठाकुर जी’ को समर्पित एक मंदिर है और उन्होंने पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि नवाब अबू समद का मकबरा एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। उस समय के वीडियो में कथित तौर पर तोड़फोड़ और स्थल पर भगवा झंडा फहराते हुए दृश्य दिखे थे, जिनसे इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।
अगस्त की उस घटना के बाद जिला प्रशासन ने परिसर को सील कर दिया, बैरिकेड्स लगा दिए और प्रतिबंध लागू कर दिए।
इससे पहले भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने चेतावनी दी थी कि वह और हिंदू संगठनों के सदस्य उस जगह पर पूजा-अर्चना करेंगे। उन्होंने ढांचे के अंदर त्रिशूल और कमल की नक्काशी को इसके हिंदू मूल का प्रमाण बताया था।
अधिकारियों ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए सख्त आदेश जारी किए गए हैं।
ज्ञात हो कि इसी साल अगस्त में हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने मकबरे पर कथित तौर पर हंगामा किया था। उन्होंने वहां पूजा करने की अनुमति मांगी थी, यह दावा करते हुए कि इस स्थल पर पहले एक मंदिर मौजूद था।
जिले में नवाब अबू समद के सदियों पुराने मकबरे और उसके आसपास के इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। यह व्यवस्था तब की गई थी जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि वह 11 अगस्त को हिंदू संगठनों के साथ मिलकर उस स्थल पर पूजा-अर्चना करेंगे। उनका दावा था कि यह प्राचीन इमारत वास्तव में एक मंदिर है, जिसमें ‘शिवलिंग’ मौजूद है।
उस दौरान राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिलाधिकारी को एक पत्र भेजा था, जिसमें प्रशासन से अनुरोध किया गया था कि मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए।
मकबरे के मुतवल्ली (प्रबंधक) मोहम्मद नफीस ने कहा था कि यह संरचना लगभग 500 साल पुरानी है और इसे सम्राट अकबर के पोते द्वारा बनवाया गया था।
मोहम्मद नफीस ने बताया था कि इस मकबरे में अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्रें हैं।
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फोटो साभार : एएनआई (फाइल फोटो)
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर आबूनगर क्षेत्र में एक विवादित स्थल पर कथित तौर पर पूजा करने की कोशिश कर रही महिलाओं के एक समूह और पुलिस के बीच झड़प के बाद तनाव फैल गया। पुलिस ने यह जानकारी मीडिया को दी।
रीडिफ डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) महेंद्र पाल सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बुधवार शाम करीब छह बजे लगभग 20 महिलाएं दीये और पूजा सामग्री लेकर मांगी समाधि स्थल के आसपास लगे बैरिकेड्स के पास पहुंचीं।
पुलिस ने ये बैरिकेड्स उस स्थान को लेकर चल रहे मुकदमे के कारण लगाए थे, जिनका उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रवेश को रोकना था। अधिकारियों ने बताया कि कुछ महिलाओं ने कथित तौर पर बैरिकेड्स हटाने या उन पर चढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें रोका।
महिलाओं और थाना प्रभारी तारकेश्वर राय के बीच बहस हुई, जिसके दौरान महिलाओं ने पुलिस पर दुर्व्यवहार करने और उन्हें पूजा करने से रोकने का आरोप लगाया।
विवादित स्थल तक न पहुँच पाने पर, महिलाओं ने अंततः पास की एक गली से ढांचे के सामने पूजा और आरती की।
एएसपी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 121(1) (लोक सेवक के कर्तव्य पालन में बाधा डालना या उस पर हमला करना), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 352 (गंभीर उकसावे के बिना आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।
कांस्टेबल मंजू सिंह की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में 20 अज्ञात महिलाओं के नाम शामिल हैं, जिनमें पप्पू सिंह चौहान नामक एक स्थानीय व्यक्ति की पत्नी भी शामिल है। सिंह ने बताया कि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
अपनी शिकायत में कांस्टेबल सिंह ने कहा कि वह और अन्य पुलिसकर्मी विवादित मकबरे के पास तैनात थे, जब शाम करीब छह बजे चौहान की पत्नी के नेतृत्व में महिलाओं के एक समूह ने कथित तौर पर बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और पुलिस पर झूठे आरोप लगाकर धमकाया।
सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिनमें कथित तौर पर महिलाएं पुलिस से बहस करती और दूर से पूजा करती दिख रही हैं, हालांकि उनकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है।
मांगी समाधि स्थल पर 11 अगस्त से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू है, जब हिंदू संगठनों के सदस्यों ने दावा किया था कि यह ‘ठाकुर जी’ को समर्पित एक मंदिर है और उन्होंने पूजा-अर्चना की अनुमति मांगी थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि नवाब अबू समद का मकबरा एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। उस समय के वीडियो में कथित तौर पर तोड़फोड़ और स्थल पर भगवा झंडा फहराते हुए दृश्य दिखे थे, जिनसे इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।
अगस्त की उस घटना के बाद जिला प्रशासन ने परिसर को सील कर दिया, बैरिकेड्स लगा दिए और प्रतिबंध लागू कर दिए।
इससे पहले भाजपा जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने चेतावनी दी थी कि वह और हिंदू संगठनों के सदस्य उस जगह पर पूजा-अर्चना करेंगे। उन्होंने ढांचे के अंदर त्रिशूल और कमल की नक्काशी को इसके हिंदू मूल का प्रमाण बताया था।
अधिकारियों ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाली किसी भी गतिविधि को रोकने के लिए सख्त आदेश जारी किए गए हैं।
ज्ञात हो कि इसी साल अगस्त में हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने मकबरे पर कथित तौर पर हंगामा किया था। उन्होंने वहां पूजा करने की अनुमति मांगी थी, यह दावा करते हुए कि इस स्थल पर पहले एक मंदिर मौजूद था।
जिले में नवाब अबू समद के सदियों पुराने मकबरे और उसके आसपास के इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। यह व्यवस्था तब की गई थी जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि वह 11 अगस्त को हिंदू संगठनों के साथ मिलकर उस स्थल पर पूजा-अर्चना करेंगे। उनका दावा था कि यह प्राचीन इमारत वास्तव में एक मंदिर है, जिसमें ‘शिवलिंग’ मौजूद है।
उस दौरान राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने भी जिलाधिकारी को एक पत्र भेजा था, जिसमें प्रशासन से अनुरोध किया गया था कि मकबरे के ऐतिहासिक स्वरूप के साथ कोई छेड़छाड़ न की जाए।
मकबरे के मुतवल्ली (प्रबंधक) मोहम्मद नफीस ने कहा था कि यह संरचना लगभग 500 साल पुरानी है और इसे सम्राट अकबर के पोते द्वारा बनवाया गया था।
मोहम्मद नफीस ने बताया था कि इस मकबरे में अबू मोहम्मद और अबू समद की कब्रें हैं।
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