तेलंगाना में प्रति एक लाख महिला आबादी पर अपराध दर 124.9 रही, जो सबसे अधिक है। वहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 66,381 मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए।

देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में अभी तक कोई खास गिरावट देखने को नहीं मिली है। दहेज हत्या हो या घरेलू हिंसा, इन अपराधों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वर्ष 2023 में महिलाओं से जुड़े अपराधों के कुल 4,48,211 मामले सामने आए, जो 2022 की तुलना में करीब तीन हजार अधिक हैं। महिला अपराध दर के लिहाज से तेलंगाना सबसे ऊपर रहा, जबकि जनसंख्या अधिक होने के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
यूपी में आबादी के लिहाज से मामले सर्वाधिक
तेलंगाना में प्रति एक लाख महिला आबादी पर अपराध दर 124.9 रही, जो सबसे अधिक है। वहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 66,381 मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, ये आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से जुटाए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी।
महिला अपराध के मामले में दूसरे राज्यों की स्थिति
वर्ष 2023 में प्रति एक लाख महिला जनसंख्या पर औसतन 66.2 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 77.6% रही। महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में सबसे अधिक मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता के रहे, जो 19.7% रही। वहीं अपहरण के 88,605 मामले सामने आए, जिनकी दर 13.1 थी। राज्यवार मामलों की बात करें तो राजस्थान में यह दर 114.8, ओडिशा में 112.4, हरियाणा में 110.3 और केरल में 86.1 दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 83,891 मामले दर्ज हुए, जबकि दुष्कर्म के 29,670 और दहेज हत्या के 6,156 केस सामने आए। इसके अलावा, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले भी दर्ज किए गए।
बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2 % की वृद्धि
बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके तहत कुल 1,77,335 मामले सामने आए। प्रति एक लाख बच्चों पर अपराध दर 36.6 से बढ़कर 39.9 हो गई। 2023 में देश के 19 प्रमुख शहरों में कुल 9,44,291 अपराध दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में 10.6% अधिक हैं। वर्ष 2022 में इन शहरों में 8,53,470 मामले दर्ज किए गए थे।
क्षेत्रवार आंकड़ों में मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराधों के 22,393 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 22,390, उत्तर प्रदेश में 18,852, असम में 10,174 और बिहार में 9,906 मामले दर्ज किए गए।
केंद्र शासित प्रदेशों और छोटे राज्यों की बात करें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपराध दर 143.4 रही, जबकि दिल्ली में यह दर 140.3 थी। केवल दिल्ली में ही बच्चों के खिलाफ 7,769 मामले दर्ज किए गए।
वृद्ध के खिलाफ अपराध
वर्ष 2023 में देशभर में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के 27,886 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में थोड़े कम हैं। वर्ष 2022 में ऐसे मामलों की संख्या 28,545 थी। राज्यवार आंकड़ों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए। इन मामलों में प्रमुख रूप से चोरी के 4,130 मामले (जो कुल मामलों का 14.8% हैं) और जालसाजी, धोखाधड़ी व ठगी के 3,473 मामले शामिल थे।
वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में मध्य प्रदेश 5,738 मामलों के साथ सबसे आगे रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 5,115, तमिलनाडु में 2,104 और कर्नाटक में 1,840 मामले दर्ज किए गए।
केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली 1,361 मामलों के साथ शीर्ष पर रही।
अपराध दर्ज - केस
दहेज हत्या- 6,156
शील भंग -8,823
दुष्कर्म का प्रयास- 2,796
एसिड अटैक - 113
दहेज प्रताड़ना - 15,489
घरेलू हिंसा - 632
अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में वृद्धि, वर्ष 2023 में ऐसे कुल 12,960 मामले
साल 2023 में देश में न केवल साइबर अपराधों में तेजी आई, बल्कि अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में भी वृद्धि देखी गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, एसटी के खिलाफ अपराधों में 28% की बढ़ोतरी हुई, जो 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 हो गए। साइबर अपराधों में भी 31.2% की वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें 2023 में कुल 86,420 मामले आए, जबकि 2022 में यह संख्या 65,893 थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हत्या के मामलों में 2.8% की कमी आई है। 2022 में हत्या के कुल 28,522 मामले दर्ज हुए थे, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए। इसके अलावा, अपहरण के 1.16 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें लगभग 18,000 ऐसे मामले थे, जिनमें 9,000 बच्चे और 8,800 वयस्क की अपनी मर्जी थी।
1.73 लाख लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में गंवाई जान
देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में 1.73 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 4,47,969 लोग घायल हुए। इनमें से 45.8% पीड़ित दोपहिया वाहनों पर सवार थे। तेज गति और लापरवाही वाहन चलाने को सड़क हादसों के मुख्य कारण माना गया है। साल 2023 में कुल 4,64,029 सड़क दुर्घटनाओं में से 95,984 हादसे शाम 6 से रात 9 बजे के बीच हुए, जो कुल दुर्घटनाओं का 20.7% है।
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यूपी में आबादी के लिहाज से मामले सर्वाधिक
तेलंगाना में प्रति एक लाख महिला आबादी पर अपराध दर 124.9 रही, जो सबसे अधिक है। वहीं उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा 66,381 मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, ये आंकड़े राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से जुटाए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2022 में महिलाओं के खिलाफ कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2021 में यह संख्या 4,28,278 थी।
महिला अपराध के मामले में दूसरे राज्यों की स्थिति
वर्ष 2023 में प्रति एक लाख महिला जनसंख्या पर औसतन 66.2 आपराधिक घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि आरोप पत्र दाखिल करने की दर 77.6% रही। महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों में सबसे अधिक मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा की गई क्रूरता के रहे, जो 19.7% रही। वहीं अपहरण के 88,605 मामले सामने आए, जिनकी दर 13.1 थी। राज्यवार मामलों की बात करें तो राजस्थान में यह दर 114.8, ओडिशा में 112.4, हरियाणा में 110.3 और केरल में 86.1 दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं पर शील भंग करने के इरादे से हमले के 83,891 मामले दर्ज हुए, जबकि दुष्कर्म के 29,670 और दहेज हत्या के 6,156 केस सामने आए। इसके अलावा, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले भी दर्ज किए गए।
बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2 % की वृद्धि
बच्चों के खिलाफ अपराधों में 9.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके तहत कुल 1,77,335 मामले सामने आए। प्रति एक लाख बच्चों पर अपराध दर 36.6 से बढ़कर 39.9 हो गई। 2023 में देश के 19 प्रमुख शहरों में कुल 9,44,291 अपराध दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में 10.6% अधिक हैं। वर्ष 2022 में इन शहरों में 8,53,470 मामले दर्ज किए गए थे।
क्षेत्रवार आंकड़ों में मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराधों के 22,393 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 22,390, उत्तर प्रदेश में 18,852, असम में 10,174 और बिहार में 9,906 मामले दर्ज किए गए।
केंद्र शासित प्रदेशों और छोटे राज्यों की बात करें तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपराध दर 143.4 रही, जबकि दिल्ली में यह दर 140.3 थी। केवल दिल्ली में ही बच्चों के खिलाफ 7,769 मामले दर्ज किए गए।
वृद्ध के खिलाफ अपराध
वर्ष 2023 में देशभर में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के 27,886 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में थोड़े कम हैं। वर्ष 2022 में ऐसे मामलों की संख्या 28,545 थी। राज्यवार आंकड़ों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज किए गए। इन मामलों में प्रमुख रूप से चोरी के 4,130 मामले (जो कुल मामलों का 14.8% हैं) और जालसाजी, धोखाधड़ी व ठगी के 3,473 मामले शामिल थे।
वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या में मध्य प्रदेश 5,738 मामलों के साथ सबसे आगे रहा। इसके बाद महाराष्ट्र में 5,115, तमिलनाडु में 2,104 और कर्नाटक में 1,840 मामले दर्ज किए गए।
केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली 1,361 मामलों के साथ शीर्ष पर रही।
अपराध दर्ज - केस
दहेज हत्या- 6,156
शील भंग -8,823
दुष्कर्म का प्रयास- 2,796
एसिड अटैक - 113
दहेज प्रताड़ना - 15,489
घरेलू हिंसा - 632
अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में वृद्धि, वर्ष 2023 में ऐसे कुल 12,960 मामले
साल 2023 में देश में न केवल साइबर अपराधों में तेजी आई, बल्कि अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराधों में भी वृद्धि देखी गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, एसटी के खिलाफ अपराधों में 28% की बढ़ोतरी हुई, जो 2022 में 10,064 मामलों से बढ़कर 2023 में 12,960 हो गए। साइबर अपराधों में भी 31.2% की वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें 2023 में कुल 86,420 मामले आए, जबकि 2022 में यह संख्या 65,893 थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हत्या के मामलों में 2.8% की कमी आई है। 2022 में हत्या के कुल 28,522 मामले दर्ज हुए थे, जो 2023 में घटकर 27,721 रह गए। इसके अलावा, अपहरण के 1.16 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें लगभग 18,000 ऐसे मामले थे, जिनमें 9,000 बच्चे और 8,800 वयस्क की अपनी मर्जी थी।
1.73 लाख लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं में गंवाई जान
देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में 1.73 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 4,47,969 लोग घायल हुए। इनमें से 45.8% पीड़ित दोपहिया वाहनों पर सवार थे। तेज गति और लापरवाही वाहन चलाने को सड़क हादसों के मुख्य कारण माना गया है। साल 2023 में कुल 4,64,029 सड़क दुर्घटनाओं में से 95,984 हादसे शाम 6 से रात 9 बजे के बीच हुए, जो कुल दुर्घटनाओं का 20.7% है।
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