तमिलनाडु: ऊंची जाति के इलाकों में दलितों का प्रेवश रोकने के लिए बनाई 'अस्पृश्यता दीवार' ढहाई गई

Written by sabrang india | Published on: August 11, 2025
अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले अरुंथथियार समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि यह दीवार उन्हें ऊंची जाति के हिंदुओं के इलाकों में प्रवेश करने से रोकने के इरादे से बनाई गई थी। वहीं दूसरी ओर, थोट्टिया नायकर समुदाय के लोगों ने इस आरोप को खारिज करते हुए दावा किया कि दीवार का उद्देश्य बाहरी लोगों द्वारा शराब के नशे में की जाने वाली अराजक गतिविधियों को रोकना था।


फोटो साभार : द हिंदू

तमिलनाडु के करूर जिले के मुथुलादमपट्टी क्षेत्र में थोट्टिया नायकर समुदाय (जो एक मध्यवर्ती जाति है) द्वारा बनाई गई एक विवादास्पद दीवार को शनिवार को सुरक्षा बलों की मौजूदगी में गिरा दिया गया। लगभग 200 फीट लंबी और 10 फीट ऊंची इस दीवार को दलित समुदाय ने 'अस्पृश्यता दीवार' करार दिया था, जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था।

अनुसूचित जाति से आने वाले अरुंथथियार समुदाय के लोगों का आरोप था कि यह दीवार उन्हें ऊंची जाति के हिंदुओं के क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के उद्देश्य से बनाई गई थी। दूसरी ओर, थोट्टिया नायकर समुदाय के लोगों ने इस आरोप से इनकार करते हुए दावा किया कि दीवार का मकसद शराब के नशे में बाहरी लोगों द्वारा की जाने वाली अराजक गतिविधियों पर नियंत्रण रखना था।

इससे पहले, इसी मध्यवर्ती जाति के सदस्यों ने अरुंथथियार समुदाय द्वारा श्री मुथुमरियम्मन मंदिर उत्सव के दौरान मंच निर्माण और पोरंबोक भूमि पर शौचालय बनाने के प्रयासों को रोक दिया था।

द हिंदू में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, राजस्व विभाग ने कुछ दिन पहले थोट्टिया नायकर समुदाय के नेता 'कोथुकरार' को नोटिस जारी करते हुए 15 दिनों के भीतर दीवार हटाने का आदेश दिया था। विभाग का कहना था कि दीवार सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बिना अनुमति के बनाई गई थी। हालांकि, समुदाय के प्रतिनिधियों ने दीवार गिराने से इनकार करते हुए अपने पहले के तर्कों को दोहराया।

इस घटना के चलते क्षेत्र में जातिगत तनाव की आशंका पैदा हो गई थी। स्थिति को देखते हुए, राजस्व विभाग ने शुक्रवार रात एक और नोटिस जारी कर थोट्टिया नायकर समुदाय को 9 अगस्त सुबह 11 बजे तक दीवार हटाने का अंतिम आदेश दिया। इस आदेश के विरोध में समुदाय के सैकड़ों लोगों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया, लेकिन प्रशासन के सख्त रुख के कारण उन्हें अंततः पीछे हटना पड़ा।

शनिवार सुबह करूर के एसपी के. जोश थंगैया के नेतृत्व में राजस्व और पुलिस अधिकारी विवादित स्थल पर पहुंचे। इसके बाद, मध्यवर्ती जाति के नेताओं ने स्वयं दीवार को गिराने का निर्णय लिया और दोपहर तक पूरी दीवार हटा दी गई। इस प्रक्रिया के दौरान मीडिया को तस्वीरें लेने की अनुमति नहीं दी गई।

करूर के राजस्व मंडल अधिकारी (Revenue Divisional Officer) एम. मोहम्मद बायसल ने द हिंदू को बताया कि दीवार पूरी तरह से गिरा दी गई है और इसकी नींव रविवार दोपहर तक हटा दी जाएगी। साथ ही, दोनों समुदायों के सदस्यों से इस प्रक्रिया में सहयोग करने की अपील की गई है।

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