बिना किसी उचित सुरक्षा उपकरण के तीनों मजदूर टैंक में उतर गए। अंदर जहरीली गैस होने की वजह से सब बेहोश हो गए।

तमिलनाडु में तिरुप्पूर के पास एक दुखद घटना में तीन दलित लोगों की मौत उस समय हो गई जब वे एक डाईंग यूनिट के टैंक की सफाई करने गए। वे बिना किसी सुरक्षा उपकरण इस टैंक में गए थे और जहरीली गैस की चपेट में आ गए।
इस मामले में डाईंग यूनिट के मालिक समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सरवनन सुंडामेडु के अंबेडकर नगर में रहते थे और कपड़े की फैक्ट्री में काम करते थे। वे अपने पड़ोसियों वेणुगोपाल और हरिकृष्णन के साथ सोमवार सुबह कराई पुदुर गए थे। वे एक कचरा ले जाने वाले ट्रक में गए थे जो चिन्नासामी नाम के शख्स का था। वहां उन्हें नवीन नाम के व्यक्ति की डाईंग फैक्ट्री के गंदे पानी के टैंक की सफाई करनी थी।
तीनों मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीधे उस टैंक के अंदर उतर गए।
सरवनन, वेणुगोपाल और हरिकृष्णन जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण बेहोश होकर टैंक के अंदर ही गिर पड़े।
उन्हें बचाने की कोशिश में चिन्नासामी और यूनिट में काम कर रहे कई अन्य लोग भी गैस से प्रभावित हो गए और उनकी तबीयत बिगड़ गई।

घटना के बाद तीनों पीड़ितों को तुरंत तिरुप्पूर के पुराने बस स्टैंड के पास स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि सरवनन और वेणुगोपाल की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी।
हरिकृष्णन और चिन्नासामी को आईसीयू में भर्ती किया गया। हालांकि इलाज के दौरान हरिकृष्णन की भी मंगलवार सुबह मौत हो गई।
तीनों मजदूरों का पोस्टमार्टम तिरुप्पूर के सरकारी अस्पताल में किया गया। इस घटना के बाद इलाके में लोग बेहद नाराज हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही तिरुप्पूर के जिला कलेक्टर डी. क्रिस्टुराज और जिला पुलिस अधीक्षक गिरीश यादव अशोक ने सोमवार रात को चिन्नाकराई स्थित निजी डाईंग यूनिट का दौरा कर निरीक्षण किया।
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) के अधिकारियों ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया।
जिला कलेक्टर ने कहा कि TNPCB की रिपोर्ट मिलने के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
सरवनन की पत्नी कौसल्या की शिकायत पर पलादम पुलिस ने डाईंग यूनिट के मालिक नवीन, जनरल मैनेजर धनपाल, कचरा निपटान ट्रक के मालिक चिन्नासामी और सुपरवाइज़र बालासुब्रमणियम के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जांच पलादम के उप पुलिस अधीक्षक सुरेश द्वारा की जा रही है।
इन आरोपों में लापरवाही से मौत का कारण बनना, मानव मल को साफ करने के लिए मजबूर करना और अनुसूचित जाति के श्रमिकों को मैनुएल स्कैवेंजिंग में लगाना शामिल हैं।
टीएनयूईएफ के जिला अध्यक्ष एस. नंदगोपाल और अन्य पदाधिकारियों ने मृतकों के परिवारों के साथ मिलकर तिरुप्पूर के राजस्व अधिकारी कार्तिकेयन से मुलाकात की और सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की।
अपनी याचिका में उन्होंने 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जिसमें जहरीली गैसों के संपर्क में आकर सीवेज टैंक की सफाई करते हुए मरने वालों को 30 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
उन्होंने यह राशि सरवनन, वेणुगोपाल और हरिकृष्णन के परिवारों को देने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से परिवारों को आवास, भूमि, रोजगार और अन्य पुनर्वास उपाय देने की अपील की।
उन्होंने सभी पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मृतकों के बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता और जिन्होंने श्रमिकों को अवैध रूप से जहरीले टैंक में जाने के लिए मजबूर किया उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की।
भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने जिले भर में मॉनिटरिंग कमेटियों का गठन करने की सिफारिश की जिसमें स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
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तमिलनाडु में तिरुप्पूर के पास एक दुखद घटना में तीन दलित लोगों की मौत उस समय हो गई जब वे एक डाईंग यूनिट के टैंक की सफाई करने गए। वे बिना किसी सुरक्षा उपकरण इस टैंक में गए थे और जहरीली गैस की चपेट में आ गए।
इस मामले में डाईंग यूनिट के मालिक समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सरवनन सुंडामेडु के अंबेडकर नगर में रहते थे और कपड़े की फैक्ट्री में काम करते थे। वे अपने पड़ोसियों वेणुगोपाल और हरिकृष्णन के साथ सोमवार सुबह कराई पुदुर गए थे। वे एक कचरा ले जाने वाले ट्रक में गए थे जो चिन्नासामी नाम के शख्स का था। वहां उन्हें नवीन नाम के व्यक्ति की डाईंग फैक्ट्री के गंदे पानी के टैंक की सफाई करनी थी।
तीनों मजदूर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीधे उस टैंक के अंदर उतर गए।
सरवनन, वेणुगोपाल और हरिकृष्णन जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण बेहोश होकर टैंक के अंदर ही गिर पड़े।
उन्हें बचाने की कोशिश में चिन्नासामी और यूनिट में काम कर रहे कई अन्य लोग भी गैस से प्रभावित हो गए और उनकी तबीयत बिगड़ गई।

घटना के बाद तीनों पीड़ितों को तुरंत तिरुप्पूर के पुराने बस स्टैंड के पास स्थित एक निजी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि सरवनन और वेणुगोपाल की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो चुकी थी।
हरिकृष्णन और चिन्नासामी को आईसीयू में भर्ती किया गया। हालांकि इलाज के दौरान हरिकृष्णन की भी मंगलवार सुबह मौत हो गई।
तीनों मजदूरों का पोस्टमार्टम तिरुप्पूर के सरकारी अस्पताल में किया गया। इस घटना के बाद इलाके में लोग बेहद नाराज हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही तिरुप्पूर के जिला कलेक्टर डी. क्रिस्टुराज और जिला पुलिस अधीक्षक गिरीश यादव अशोक ने सोमवार रात को चिन्नाकराई स्थित निजी डाईंग यूनिट का दौरा कर निरीक्षण किया।
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (TNPCB) के अधिकारियों ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया।
जिला कलेक्टर ने कहा कि TNPCB की रिपोर्ट मिलने के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
सरवनन की पत्नी कौसल्या की शिकायत पर पलादम पुलिस ने डाईंग यूनिट के मालिक नवीन, जनरल मैनेजर धनपाल, कचरा निपटान ट्रक के मालिक चिन्नासामी और सुपरवाइज़र बालासुब्रमणियम के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जांच पलादम के उप पुलिस अधीक्षक सुरेश द्वारा की जा रही है।
इन आरोपों में लापरवाही से मौत का कारण बनना, मानव मल को साफ करने के लिए मजबूर करना और अनुसूचित जाति के श्रमिकों को मैनुएल स्कैवेंजिंग में लगाना शामिल हैं।
टीएनयूईएफ के जिला अध्यक्ष एस. नंदगोपाल और अन्य पदाधिकारियों ने मृतकों के परिवारों के साथ मिलकर तिरुप्पूर के राजस्व अधिकारी कार्तिकेयन से मुलाकात की और सरकार से उचित कार्रवाई की मांग की।
अपनी याचिका में उन्होंने 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जिसमें जहरीली गैसों के संपर्क में आकर सीवेज टैंक की सफाई करते हुए मरने वालों को 30 लाख रूपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।
उन्होंने यह राशि सरवनन, वेणुगोपाल और हरिकृष्णन के परिवारों को देने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से परिवारों को आवास, भूमि, रोजगार और अन्य पुनर्वास उपाय देने की अपील की।
उन्होंने सभी पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मृतकों के बच्चों के लिए शैक्षिक सहायता और जिन्होंने श्रमिकों को अवैध रूप से जहरीले टैंक में जाने के लिए मजबूर किया उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की।
भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोकने के लिए उन्होंने जिले भर में मॉनिटरिंग कमेटियों का गठन करने की सिफारिश की जिसमें स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
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