नाराजगी जाहिर करते हुए AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह संख्या के आधार पर थोपा गया फैसला है।
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फोटो साभार : इंडिया टूडे
असम विधानसभा शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों को नमाज पढ़ने के लिए दो घंटे का ब्रेक देती थी, जिसे पहली बार चालू बजट सत्र के दौरान खत्म किया गया। यह दशकों पुरानी परंपरा थी।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेक खत्म करने का फैसला अगस्त में सदन के पिछले सत्र में लिया गया था, लेकिन इसे इसी सत्र से लागू किया गया।
इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह संख्या के आधार पर थोपा गया फैसला है। इस्लाम ने कहा, "विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं। हमने इस फैसले के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे, लेकिन उनके (भा.ज.पा.) पास संख्या है और वे उसी के आधार पर इसे थोप रहे हैं।"
विपक्ष के नेता कांग्रेस के देबब्रत सैकिया ने कहा कि मुस्लिम विधायकों के लिए शुक्रवार को पास के स्थान पर नमाज अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "आज, मेरे कई पार्टी सहयोगी और AIUDF विधायक महत्वपूर्ण चर्चा से चूक गए क्योंकि वे 'नमाज' पढ़ने चले गए। चूंकि यह केवल शुक्रवार के लिए एक विशेष नमाज की आवश्यकता है, इसलिए मुझे लगता है कि इसके लिए पास के स्थान पर नमाज अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है ।"
लगभग 90 साल पुरानी रिवायत को बंद करने का फैसला पिछले साल अगस्त में सदन के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली सदन की नियम समिति द्वारा लिया गया था।
अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने "संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए, प्रस्ताव दिया था कि असम विधानसभा को शुक्रवार को किसी भी अन्य दिन की तरह अपनी कार्यवाही का संचालन करना चाहिए," जिसे नियम समिति के समक्ष रखा गया और सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई रिवायत थी और अवकाश को समाप्त करने के निर्णय ने "उत्पादकता को प्राथमिकता दी और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हटा दिया।"
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फोटो साभार : इंडिया टूडे
असम विधानसभा शुक्रवार को मुस्लिम विधायकों को नमाज पढ़ने के लिए दो घंटे का ब्रेक देती थी, जिसे पहली बार चालू बजट सत्र के दौरान खत्म किया गया। यह दशकों पुरानी परंपरा थी।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रेक खत्म करने का फैसला अगस्त में सदन के पिछले सत्र में लिया गया था, लेकिन इसे इसी सत्र से लागू किया गया।
इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए AIUDF विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि यह संख्या के आधार पर थोपा गया फैसला है। इस्लाम ने कहा, "विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं। हमने इस फैसले के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे, लेकिन उनके (भा.ज.पा.) पास संख्या है और वे उसी के आधार पर इसे थोप रहे हैं।"
विपक्ष के नेता कांग्रेस के देबब्रत सैकिया ने कहा कि मुस्लिम विधायकों के लिए शुक्रवार को पास के स्थान पर नमाज अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, "आज, मेरे कई पार्टी सहयोगी और AIUDF विधायक महत्वपूर्ण चर्चा से चूक गए क्योंकि वे 'नमाज' पढ़ने चले गए। चूंकि यह केवल शुक्रवार के लिए एक विशेष नमाज की आवश्यकता है, इसलिए मुझे लगता है कि इसके लिए पास के स्थान पर नमाज अदा करने का प्रावधान किया जा सकता है ।"
लगभग 90 साल पुरानी रिवायत को बंद करने का फैसला पिछले साल अगस्त में सदन के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली सदन की नियम समिति द्वारा लिया गया था।
अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने "संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए, प्रस्ताव दिया था कि असम विधानसभा को शुक्रवार को किसी भी अन्य दिन की तरह अपनी कार्यवाही का संचालन करना चाहिए," जिसे नियम समिति के समक्ष रखा गया और सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई रिवायत थी और अवकाश को समाप्त करने के निर्णय ने "उत्पादकता को प्राथमिकता दी और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हटा दिया।"
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